काइलॉसिस - Cheilosis in Hindi

Dr. Apratim GoelMBBS,MD,DNB

February 14, 2022

December 20, 2023

काइलॉसिस
काइलॉसिस

होंठों के बाहर कोने में लाल और सूजे हुए पैच को काइलॉसिस कहा जाता है. यह मुंह के सिर्फ एक किनारे या दोनों ओर हो सकता है. यह सूजन वाली स्थिति है, जो कुछ दिनों में अपने आप खत्म हो जाती है या फिर क्रोनिक समस्या का रूप धारण कर लेती है. यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, जिसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं. इसे हिंदी में ओष्ठविदरण भी कहा जाता है.

आज इस लेख में हम काइलॉसिस के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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काइलॉसिस के लक्षण - Cheilosis Symptoms in Hindi

काइलॉसिस यानी ओष्ठविदरण के लक्षण मुंह के कोने पर दिखते हैं. इसके लक्षण दर्द भरे हो सकते हैं और यह दिखने में हल्के लाल से लेकर खुले और खून निकलने वाला घाव जैसे हो सकते हैं. काइलॉसिस का अनुभव होने पर मुंह के कोने निम्न तरह के हो सकते हैं -

  • खून निकल सकता है.
  • लाल हो सकते हैं.
  • सूजन आ सकती है.
  • क्रैक हो सकता है.
  • घाव बन सकता है .
  • पपड़ीदार हो सकता है.
  • खुजली हो सकती है.
  • त्वचा निकल सकती है.
  • दर्द महसूस हो सकता है.
  • मुंह का स्वाद खराब हो जा सकता है.
  • होंठ या मुंह में जलन महसूस हो सकती है.
  • होंठ रूखे और कटे-फटे हो सकते हैं.
  • खाने में दिक्कत आ सकती है.

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काइलॉसिस के कारण - Cheilosis Causes in Hindi

काइलॉसिस होने के कई कारण हैं, जिसमें से एक आम कारण यीस्ट इंफेक्शन है, जो लार होने की वजह से हो जाता है. लार बनने के बाद होंठ के कोनों में फंस सकती है, जिसकी वजह से होंठ फटने लगते हैं. एक व्यक्ति होंठों के दर्द या रूखेपन से निजात पाने की कोशिश में अपने होंठों को ज्यादा चाट सकता है.

यह अतिरिक्त लार होंठ के कोनों में चिपक जाती है, जो यीस्ट जैसे फंगस के उत्पन्न होने के लिए परफेक्ट गर्माहट वाला वातावरण साबित होता है. इसके उत्पन्न होने में वायरस और बैक्टीरिया भी कारण हो सकते हैं. आइए, विस्तार से काइलॉसिस के कारण के बारे में जानते हैं. कुछ लोगों में काइलॉसिसस होने का ज्यादा जोखिम रहता है, ये लोग हैं -

  • ऊपरी होंठ ज्यादा लटके रहते हैं और इसकी वजह से होंठ के कोने पर गहरे कोण बन जाते हैं.
  • जिन्हें बार-बार मुंह में छाले होते रहते हैं.
  • नियमित तौर पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं. 
  • त्वचा संवेदनशील होती है.
  • क्रोहन डिजीज जैसी सूजन वाली अन्य बीमारी होती है.
  • ओरल रेटिनॉइड दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं.
  • ब्रेसेज पहनते हैं.
  • स्मोकिंग करते हैं.
  • एनीमिया, डायबिटीज या कैंसर जैसे रोग हैं.
  • विटामिन-बी9, बी6, बी2, बी3, मिनरल या जिंक की कमी है.
  • स्जोग्रेन सिंड्रोम है.

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काइलॉसिस का निदान - Diagnosis of Cheilosis in Hindi

काइलॉसिस यानी ओष्ठविदरण फंगल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन का चिह्न है. इसके इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. इसकी जांच की प्रक्रिया निम्न प्रकार से है -

  • डॉक्टर त्वचा की जांच करके शरीर पर कहीं और भी होने वाले इरिटेशन के बारे में पूछ सकते हैं.
  • वह बार-बार मुंह में छाले होने और यीस्ट इंफेक्शन से संबंधित व्यक्तिगत और पारिवारिक इतिहास के बारे में सवाल पूछ सकते हैं.
  • डॉक्टर लैब में जांच के लिए होंठ के कोने से स्वैब भी ले सकते हैं. इससे काइलॉसिस के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है.

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काइलॉसिस का इलाज - Cheilosis Treatment in Hindi

काइलॉसिस के कारण से ही इलाज का पता चल सकता है. यदि डॉक्टर को पोषण की कमी का आभास होगा, तो वह डाइट या अन्य सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकता है. यदि यीस्ट होगा, तो डॉक्टर टॉपिकल एंटीफंगल लिख सकता है. टॉपिकल का मतलब दवा को त्वचा पर लगाने से है. यदि इस स्थिति के लिए बैक्टीरियल इंफेक्शन जिम्मेदार होगा, तो टॉपिकल एंटीबायोटिक लगाने की सलाह मिल सकती है. आइए, विस्तार से काइलॉसिस के इलाज के बारे में जानते हैं -

  • खुले घाव को साफ रखने के लिए टॉपिकल एंटीसेप्टिक 
  • टॉपिकल स्टेरॉइड ऑइन्टमेंट 
  • मुंह के कोने की सिलवटों को कम करने के लिए फिलर इंजेक्शन 
  • ड्राई माउथ के लिए पानी पीते रहना या हार्ड कैंडी चूसते रहना.

काइलॉसिस को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू इलाज अपनाए जा सकते हैं - 

  • रूखे होंठों से बचाव के लिए लिप बाम का लगातार इस्तेमाल करना.
  • मुंह के कोनों पर पेट्रोलियम जेली या नारियल तेल लगाना, जो लार के लिए अवरोध बन सकता है.

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सारांश – Summary

होंठ के बाहरी ओर कोने में जब लाल पैच और सूजन आ जाती है, तो इस स्थिति को काइलॉसिस कहा जाता है. यह एक आम सूजन वाली स्थिति है, जो होंठों पर हो जाती है. अधिकतर मामलों में यह स्थिति घरेलू इलाज से ठीक हो जाती है, लेकिन इसके लिए लगातार देखभाल की जरूरत पड़ती है. यदि इसके बाद भी दो सप्ताह में लक्षण दूर नहीं होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है. एक बार डॉक्टर काइलॉसिस के कारण को पहचान लेता है, तो इसका सही इलाज किया जा सकता है.

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