चोट से बाहरी कान में बदलाव क्या है?
चोट से बाहरी कान में बदलाव को चिकित्सीय भाषा में कॉलीफ्लॉवर ईयर (Cauliflower ear) कहा जाता है। यह कान के बाहरी हिस्से की कुरूपता होती है, जो आमतौर पर कान की चोट की वजह से होती है। जब कान में चोट या सूजन की वजह से कार्टिलेज (cartilage - ये कठोर और लचीले सफेद रंग कें ऊतक होते हैं, जो घुटने, गले और श्वसन तंत्र समेत शरीर के कई भागों में होते हैं) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तब रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है और ऐसे में कान में रक्त की बड़ी गांठ बन जाती है, जिसको हेमाटोमा (hematoma) कहते हैं। इस चोट के ठीक होने पर कान की त्वचा सिकुड़ कर मुड़ते हुए पीले रंग की हो जाती है, इस स्थिति में कान किसी गोभी की तरह लगने लगता है, इसलिए इसे कॉलीफ्लॉवर ईयर कहा जाता है।
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चोट से बाहरी कान में बदलाव के लक्षण क्या हैं?
शरीर के किसी हिस्से में चोट के अन्य लक्षण की तरह ही कॉलीफ्लॉवरर ईयर में भी लक्षण दिखाई देते हैं। इस दौरान कान में सूजन, लालिमा और नील पड़ सकती है। जब भी आपको कान में कोई चोट लगे तो उसका इलाज अच्छे से करवाएं। समय पर इलाज करने से कॉलीफ्लॉवर ईयर की समस्या से बचा जा सकता है। लेकिन चोट के बाद रक्त प्रवाह बंद होने व कान के ऊतको को नुकसान पहुंचने से पहले उसका इलाज कर लेना चाहिए।
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चोट से बाहरी कान में बदलाव क्यों होता है?
कान में चोट लगना इस समस्या के होने का मुख्य कारण होता है। कान की चोट की वजह से खून का थक्का जम जाता है, जिसकी वजह से ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कई मामलों में चोट कार्टिलेज को त्वचा से ऊपर कर देती है। हालांकि यह स्थिति कान के संक्रमण और कान के ऊपरी हिस्से में छेद कराने के कारण भी हो सकती है।
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चोट से बाहरी कान में बदलाव का इलाज कैसे होता है?
कॉलीफ्लॉवर ईयर के इलाज में सबसे पहले आपको कान में 15 मिनट के अंतराल में बर्फ की ठंडी सिकाई करनी चाहिए। इससे सूजन में कमी आती है। इसके बाद भी समस्या बनी रहे तो डॉक्टर खून के थक्के को निकालते हैं। इसके लिए डॉक्टर चोट वाली जगह पर कट लगाते हुए जमें हुए खून को बाहर निकाल देते हैं।
वैसे तो यह समस्या स्थाई होती है लेकिन ओटोप्लास्टी नामक सर्जरी से भी इसको ठीक किया जा सकता है।
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