कॉडा इक्विना सिंड्रोम - Cauda Equina Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

November 19, 2020

March 29, 2022

कॉडा इक्विना सिंड्रोम
कॉडा इक्विना सिंड्रोम

पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना बहुत सामान्य सी बात है। हममें से ज्यादातर लोगों को यह समस्या होती है। हालांकि, यह दर्द व्यायाम और कुछ दवाओं के लेने से ठीक हो जाता है, इस​के लिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि पीठ के निचले हिस्से में होने वाला दर्द हर बार सामान्य नहीं होता है, कई बार यह कॉडा इक्विना सिंड्रोम जैसे गंभीर मामलों का संकेत हो सकता है। इसमें रोगी को तत्काल सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है। आइए इस सिंड्रोम के बारे में समझते हैं।

जिन लोगों को कॉडा इक्विना सिंड्रोम (सीईएस) की समस्या होती है उनकी रीढ़ की हड्डी का बिल्कुल निचला हिस्सा संकीर्ण हो जाता है। इसके चलते होने वाली गंभीर क्षति और पैरों को लकवा मारने से बचाने के लिए रोगी को त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है। सीईएस मुख्य रूप से तंत्रिकाओं के जड़ों के बंडल को प्रभावित करता है, जिसे 'कॉडा इक्विना' कहा जाता है। ये तंत्रिकाएं लंबोसैक्रल स्पाइन में रीढ़ की हड्डी के निचले छोर पर स्थित होती हैं। इनका मुख्य काम पैरों और पेल्विक हिस्सों को संदेश भेजना और वहां से संदेश प्राप्त करना होता हैं। यदि पीठ के निचले हिस्से में सूजन या संपीड़न के कारण कॉडा इक्विना क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसके गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जिन लोगों की रीढ़ की हड्डी में चोट लगी हो या जन्मजात रीढ़ की हड्डी की समस्या हो उनमें सीईएस विकसित होने का खतरा अधिक रहता है।

इस लेख में हम कॉडा इक्विना सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

कॉडा इक्विना सिंड्रोम के लक्षण - Cauda Equina Syndrome Symptoms in Hindi

कॉडा इक्विना सिंड्रोम के लक्षण लोगों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं तथा यह धीरे-धीरे विकसित होते हैं ऐसे में इसका निदान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को निम्न प्रकार के लक्षणों का अनुभव होता है तो उसे डॉक्टर से शीघ्र संपर्क करना चाहिए।

  • पीठ के निचले हिस्से में गंभीर दर्द
  • एक या दोनों पैरों में दर्द, सुन्नता या कमजोरी महसूस होना, जिसके कारण कुर्सी से उठने तक में परेशानी हो सकती है
  • पैरों, नितंबों, जांघों के आंतरिक हिस्से, पैरों के पीछे की ओर किसी प्रकार की संवेदना का एहसास न होना
  • मूत्राशय या आंतों की समस्या, जैसे पेशाब करने में दिक्कत महसूस होना और पेशाब को रोक कर रखने में असमर्थता का अनुभव होना
  • अचानक से शुरू हुआ यौन रोग
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कॉडा इक्विना सिंड्रोम का कारण - Cauda Equina Syndrome Causes in Hindi

शरीर के लंबर हिस्से में हर्नियेटेड डिस्क के परिणामस्वरूप सीईएस की समस्या उत्पन्न होती है। इसके अलावा कुछ लोगों में स्पाइनल कैनाल के संकीर्ण होने, ट्यूमर, संक्रमण, फ्रैक्चर के कारण भी कॉडा इक्विना सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। हर्नियेटेड डिस्क की समस्या गंभीर चोट के कारण होती है। कुछ लोगों को यह उम्र के आधार पर भी हो सकती है। उम्र के साथ स्नायुबंधन कमजोर पड़ने लगते हैं, जिसके कारण भी डिस्क की समस्या हो सकती है जो कॉडा इक्विना सिंड्रोम का कारण बनती है। बच्चों में यह समस्या बहुत कम ही देखते को मिलती है। जिन बच्चों का जन्म रीढ़ की हड्डी में किसी कमी के साथ होता है, उनमें यह समस्या हो सकती है।

इसके अलावा निम्न कारणों से भी कॉडा इक्विना सिंड्रोम की समस्या विकसित हो सकती है।

  • शरीर के लंबर हिस्से में डिस्क को होने वाली गंभीर क्षति या चोट ( यह सबसे आम कारण है)
  • स्पाइनल कैनाल का संकीर्ण होना (स्टेनोसिस)
  • रीढ़ की हड्डी में घाव या ट्यूमर
  • रीढ़ की हड्डी में संक्रमण, सूजन, रक्तस्राव या फ्रैक्चर
  • कार के दुर्घटनाग्रस्त होने, गिरने, गोली लगने आदि के कारण लंबर स्पाइन को होने वाली क्षति
  • रक्त वाहिकाओं से जुड़े जन्मजात विकार (आटर्रीओवेनस मलफॉर्मेशन)

कॉडा इक्विना सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of cauda equina syndrome in Hindi

कॉडा इक्विना सिंड्रोम की समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी की फैमिली हिस्ट्री के साथ लक्षणों और कामकाज के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं। इसके आधार पर समस्या की पुष्टि करने के लिए निम्न प्रकार के परीक्षणों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

  • अंगों में ताकत, सक्रियता, संवेदना और उनकी गति के बारे में जानने के लिए डॉक्टर रोगी का शारीरिक परीक्षण करते हैं। आवश्यकतानुसार रोगी को खून की जांच कराने की भी सलाह दी जा सकती है।
  • रीढ़ की हड्डी की स्थिति को विस्तृत रूप से जानने के लिए डॉक्टर एमआरआई स्कैन टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट में चुंबकीय क्षेत्र और कंप्यूटर का उपयोग करते हुए रीढ़ की थ्री डाइमेंशनल तस्वीर प्राप्त की जाती है।
  • रीढ़ की हड्डी और नसों में दबाव को जानने के लिए माइलोग्राम टेस्ट किया जाता है।इस परीक्षण में एक खास तरह के लिक्विड का इंडेक्शन लगाकर स्पाइनल कैनाल का विशेष प्रकार का एक्स-रे किया जाता है, जिसमें समस्याग्रस्त हिस्से आसानी से दिखने लगते हैं।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन

कॉडा इक्विना सिंड्रोम का इलाज - Cauda Equina Syndrome Treatment in Hindi

कॉडा इक्विना सिंड्रोम वाले लोगों में नसों पर पड़ रहे दबाव को दूर करने के लिए शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है। कई प्रकार की समस्याओं जैसे पैरों के लकवा, मल-मूत्र पर नियंत्रण खोने, यौन क्रिया आदि अन्य प्रकार की समस्याओं से रोगी को बचाने के लिए जल्दी ही सर्जरी करने की आवश्यकता होती है। सामान्य रूप से लक्षणों के नजर आने के 48 घंटों के भीतर ही सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। समस्याओं से बचाने के लिए डॉक्टर कोर्टिकोस्टेरोइड की हाई डोज भी दे सकते हैं, इससे सूजन को कम करने में मदद मिलती है। यदि रोगी में किसी प्रकार के संक्रमण का पता चला है तो उसे एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं। कुछ लोगों में रोग का मुख्य कारण ट्यूमर होता है, इस स्थिति में सर्जरी के बाद रेडिएशन या कीमोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

उपचार की तमाम प्रक्रियाओं के बाद भी जरूरी नहीं है कि शरीर पहले की ही तरह से काम करे। यह मुख्य रूप से सिंड्रोम के कारण हुई क्षति पर निर्भर करता है। यदि सर्जरी सफल होती है, तो मूत्राशय और आंत के कार्यों को पहले की ही तरह से ठीक होने में कुछ वक्त लग सकता है। ध्यान रहे कि यदि रोगी को हुई क्षति स्थाई है तो जरूरी नहीं है कि सर्जरी से लाभ मिल ही जाए। यदि कॉडा इक्विना सिंड्रोम क्रोनिक है तो रोगी को इस समस्या के साथ जीवन बिताने के तरीके सीखने पड़ते हैं। यहां पर रोगी के लिए शारीरिक और भावनात्मक, दोनों प्रकार के समर्थन की आवश्यकता होती है।

रोगी की समस्याओं के आधार पर उसे निम्न प्रकार के विशेषज्ञों की सहायता की आवश्यकता होती है।

  • फिजिकल थेरपिस्ट
  • विशेष सलाहकार
  • सेक्स थेरेपिस्ट
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