कैट स्क्रैच डिजीज क्या है?
कैट स्क्रैच डिजीज को "सीएसडी" (CSD) भी कहा जाता है, यह एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। जब कोई संक्रमित बिल्ली किसी व्यक्ति को काट लेती है या त्वचा पर बने घाव को चाट लेती है, तो वह व्यक्ति इस रोग से संक्रमित हो जाता है। बिल्ली के संपर्क में आने के 14 दिन बाद प्रभावित जगह पर संक्रमण के हल्के लक्षण शुरू हो जाते हैं।
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कैट स्क्रैच डिजीज के लक्षण क्या हैं?
कैट स्क्रैच डिजीज के कुछ सामान्य लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- प्रभावित जगह पर फफोला, घाव या त्वचा में उभार होना
- थकान (और पढ़ें - थकान दूर करने का तरीका)
- सिरदर्द (और पढ़ें - सिरदर्द दूर करने के उपाय)
- हल्का बुखार होना (98.6°F और 100.4°F के बीच)
- बदन दर्द
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कैट स्क्रैच डिजीज के कुछ ऐसे लक्षण जो कभी-कभी देखने को मिलते हैं:
- भूख कम लगना
- शरीर का वजन घटना
- गले में दर्द होना
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कैट स्क्रैच डिजीज क्यों होती है?
यह इन्फेक्शन मुख्य रूप से "बार्टोनेला हेन्सेलाई" (Bartonella henselae) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। लगभग 40 प्रतिशत बिल्लियों के मुंह व पंजों में यह बैक्टीरिया पाया जाता है। ये बैक्टीरिया बिल्लियों को मुख्य रूप से उनके शरीर पर पाए जाने वाले पिस्सूओं से मिलता है।
यदि बार्टोनेला हेन्सेलाई से संक्रमित बिल्ली आपको काट लेती है, या अपने पंजों से आपकी त्वचा को चीर देती है, तो आप इस बैक्टीरिया से सक्रमित हो जाते हैं। इसके अलावा यदि आपकी त्वचा पर कोई घाव बना हुआ है और संक्रमित बिल्ली इसे चाट लेती है, तो बार्टोनेला हेन्सेलाई बैक्टीरिया आपके शरीर में पहुंच कर आपको कैट स्क्रैच डिजीज से संक्रमित कर देता है।
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कैट स्क्रैच डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है?
यदि सामान्य रूप से अच्छी सेहत वाले किसी व्यक्ति को कैट स्क्रैच डिजीज हो जाता है, तो यह आमतौर पर कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है और इसका इलाज करवाने की जरूरत नहीं पड़ती । इसके अलावा कुछ प्रकार की ओटीसी दवाओं (डॉक्टर की पर्ची के बिना मेडिकल स्टोर से मिलने वाली दवाएं) की मदद से भी इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है, इनमें मुख्य रूप से इबुप्रोफेन (Ibuprofen) और नेप्रोक्सेन सोडियम (Naproxen sodium) दवाएं शामिल हैं, इन दवाओं की मदद से सूजन व दर्द को कम किया जा सकता है। गर्म सिकाई से भी इसके लक्षणों से राहत मिल जाती है।
ग्रंथियों में सूजन व भारीपन को कम करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर उनमें खाली इंजेक्शन लगाते हैं और उसके अंदर बने द्रव को निकाल लेते हैं।
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