ब्रुगाडा सिंड्रोम, हृदय की विद्युत प्रणाली को प्रभावित करने वाला एक गंभीर विकार है। विशेषज्ञ इसे दुर्लभ और गंभीर जानलेवा स्थिति के रूप में वर्णित करते हैं। ब्रुगाडा सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में हृदय के निचले कक्षों (वेंट्रिकल्स) में अनियमित गति का खतरा बढ़ जाता है। हालिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ब्रुगाडा सिंड्रोम, हृदय रोगियों में अचानक मृत्यु के 20 फीसदी तक मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। यह एक आनुवंशिक विकार है और आंकड़ों की मानें तो प्रत्येक 10 हजार में से पांच लोगों को यह समस्या हो सकती है।
हृदय में सामान्य रूप से चार कक्ष होते हैं। ऊपरी दो कक्षों को आर्टियां जबकि दो निचले कक्षों को वेंट्रिकल्स के नाम से जाना जाता है। विद्युत आवेगों के कारण दिल धड़कता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम वाले लोगों में, वेंट्रिकल्स के बीच विद्युतीय आवेग अनियंत्रित हो जाता है, जिसके कारण रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इस स्थिति को 'वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन' के नाम से जाना जाता है। मस्तिष्क और हृदय में रक्त का प्रवाह कम होने से बेहोशी या अचानक मृत्यु हो सकती है।
ब्रुगडा सिंड्रोम का मुख्य कारण जीन में उत्परिवर्तन होता है। इस स्थिति में रोगी को शीघ्र चिकित्सा उपलब्ध कराने की जरूरत होती है। इलाज के दौरान आवश्यकतानुसार डॉक्टर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफिब्रिलेटर (आईसीडी) नामक चिकित्सा उपकरण को शामिल कर सकते हैं।
इस लेख में हम ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।