बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस (जन्म से दोनों किडनी न होना) - Bilateral Renal Agenesis in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 16, 2019

March 06, 2020

बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस
बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस

रीनल एजेनेसिस क्या है?

जन्म के समय दोनों किडनी न होने को बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस (बीआरए) कहते हैं, जबकि एक किडनी की अनुपस्थिति को यूनिलेटरल रीनल एजेनेसिस (यूआरए) कहा जाता है। यह एक आनुवांशिक विकार है, जिसमें गर्भ में ही भ्रूण की किडनी फेल हो जाती है। ऐसा अक्सर गर्भवती महिला में एमनियोटिक द्रव (गर्भाशय में भ्रूण के चारों ओर का तरल पदार्थ, जो गर्भ में शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है) की कमी के कारण होता है। आमतौर पर, एमनियोटिक द्रव भ्रूण के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। जब किसी स्थिति में इस तरल पदार्थ की मात्रा कम हो जाती है, तो भ्रूण पर दबाव पड़ने लगता है, जिसके कारण बच्चे में कई विकृतियां (शरीर का कोई अंग सामान्य न होना) पैदा हो सकती हैं। यह विकार ऐसे शिशुओं को ज्यादा प्रभावित करता है, जिनके माता-पिता में किडनी की विकृति या यूनिलेटरल रीनल एजेनेसिस (एक किडनी के साथ पैदा होना) की समस्या थी। अध्ययनों से साबित हुआ है कि यूनिलेटरल रीनल एजेनेसिस और बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस आनुवांशिक रूप से जुड़ा है।

रीनल एजेनेसिस के संकेत और लक्षण

दोनों प्रकार के रीनल एजेनेसिस का संबंध कई अन्य जन्म विकारों से है, जैसे: 

  • फेफड़ों
  • जननांगों और मूत्र मार्ग
  • पेट और आंतें
  • ह्रदय
  • मांसपेशियां और हड्डियां
  • आंखें और कान

यूनिलेटरल रीनल एजेनेसिस (यूआरए) के साथ पैदा होने वाले शिशुओं में जन्म के समय, बचपन में या बाद में इसके संकेत और लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:

बीआरए के साथ पैदा हुए बच्चे बहुत बीमार रहते हैं व आमतौर पर ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाते हैं। इनमें निम्न शारीरिक कमियां होती हैं:

  • आंखों के बीच में ज्यादा गैप होना व पलकों का असामान्य रूप
  • कान की बनावट सामान्य न होना
  • दबी हुई या चपटी नाक 
  • ठोड़ी का छोटा होना
  • हाथ व पैर में विकृति

रीनल एजेनेसिस का कारण

भ्रूण के विकास के शुरूआती चरण के दौरान यूरेटिक बड (मेटानफेरिक मार्ग से बाहर विकसित होने वाली एपिथेलियल ट्यूब) विकसित नहीं हो पाने की स्थिति में  यूआरए और बीआरए होता है। हालांकि, नवजात शिशुओं में रीनल एजेनेसिस का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चला है। रीनल एजेनेसिस के अधिकतर मामले न तो जेनेटिक होते हैं और न ही वे माता के किसी भी व्यवहार का नतीजा हैं। लेकिन, कुछ मामले जीन में गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं। ये गड़बड़ी माता-पिता से बच्चों में आती है। वैसे इन गड़बड़ियों का शिशु के जन्म से पहले ही टेस्ट के जरिए पता लगाया जा सकता है।

रीनल एजेनेसिस का इलाज

यूआरए से ग्रस्त नवजात शिशुओं में कुछ समस्याएं होती हैं लेकिन वे सामान्य रूप से जी सकते हैं। चूंकि इस स्थति में केवल एक किडनी होती है, इसलिए इससे ग्रस्त बच्चे का जीवन किडनी की स्वास्थ्य स्थिति और बच्चे में मौजूद अन्य असामान्यताओं पर भी निर्भर करता है। एक किडनी होने की स्थिति में सावधानी से रहने की सख्त जरूरत होती है। ऐसी स्थति में कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जो किडनी को प्रभावित करे। एक बार निदान करने के बाद, इस बीमारी से ग्रस्त रोगियों को किडनी के सही तरह से कार्य करने की जांच करने के लिए बीपी, यूरिन और ब्लड टेस्ट करवाते रहना चाहिए।



बाइलेटरल रीनल एजेनेसिस (जन्म से दोनों किडनी न होना) के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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