बार्डे बीडल सिंड्रोम एक ऐसा विकार है, जो शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति के संकेत और लक्षण प्रभावित व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं। यहां तक कि अगर परिवार में एक से ज्यादा लोग इस विकार से प्रभावित हैं तो उनमें भी लक्षणों में अंतर हो सकता है।
बार्डे बीडल सिंड्रोम की मुख्य पहचान विजन लॉस यानी दृष्टि हानि है जो कि तब होता है जब आंख में मौजूद रेटिना धीरे-धीरे खराब होने लगता है। दृष्टि हानि (देखने की क्षमता में कमी) की समस्या आमतौर पर मिड चाइल्डहुड (6 से 12 साल के बीच) दौरान पता चल जाती है। इसके बाद साइड विजन पर ब्लाइंड स्पॉट विकसित होने लगते हैं।
आंखों के पिछले हिस्से में रेटिना होती है, यह मस्तिष्क को उन चीजों के बारे में जानकारी भेजती है, जो भी आपकी आंखें देखती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के रेटिना में एक ऐसा स्पॉट होता है, जो कि ऑप्टिक तंत्र से जुड़ा होता है। इस हिस्से में रोशनी के प्रति संवेदनशील कोशिकाएं नहीं होती हैं, इसलिए रेटिना का यह हिस्सा कुछ नहीं देख सकता है। इस हिस्से को ब्लाइंड स्पॉट कहा जाता है।
समय के साथ, ये ब्लाइंड स्पॉट बड़े होते जाते हैं, जिससे देखने की क्षमता में कमी आने लगती है। बार्डे बीडल सिंड्रोम से ग्रस्त अधिकांश लोगों को सामने की तरफ धुंधला दिखने लगता है और किशोरावस्था या वयस्कता की शुरुआत तक पूरी तरह से अंधेपन का शिकार हो सकते हैं।
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