मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) में प्रतिरक्षा प्रणाली मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती है, जिसकी वजह से लीशन हो जाता है। लीशन ऊतक का वह हिस्सा है, जिसे चोट या बीमारी की वजह से नुकसान होता है। दूसरी ओर बॉलो डिजीज में भी ठीक ऐसा ही होता है। यही कारण है कि अधिकांश डॉक्टर बॉलो डिजीज को मल्टीपल स्केलेरोसिस का एक दुर्लभ रूप समझते हैं।
दोनों में अंतर यह है कि एमएस के कारण हुए लीशन किसी धब्बे की तरह दिखते हैं, लेकिन बॉलो डिजीज के कारण होने वाले लीशन किसी बैल के आंखों (बुल आई) की तरह दिखते हैं। इस वजह से, बॉलो डिजीज को कभी-कभी 'बॉलो कॉन्सेंट्रिक स्केलेरोसिस' के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है बैल की आंखों के आकार का निशान।
दोनों में एक और अंतर यह है कि एमएस के लक्षण कम गंभीर होते हैं, लेकिन बॉलो डिजीज में लक्षणों से जल्दी राहत नहीं मिलती है और समय के साथ उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
बॉलो की बीमारी एशियाई लोगों में सबसे आम है। बच्चों से ज्यादा वयस्कों में इसका जोखिम रहता है और यह पुरुषों व महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है।
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