बेकर्स सिस्ट को “पोप्लिटीयल सिस्ट” और “साइनोवियल सिस्ट” के नाम से भी जाना जाता है। यह द्रव से भरी एक नरम गांठ होती है, जो घुटने के पीछे विकसित हो जाती है। हिन्दी भाषा में इसे “घुटने के पीछे गांठ” भी कहा जाता है। इस गांठ को कभी-कभी खून का थक्का भी समझ लिया जाता है। बेकर्स सिस्ट आमतौर पर घुटने में किसी प्रकार की चोट लगने के कारण विकसित होता है। जब घुटने के अंदर व उसके आसपास की संरचना क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो इसमें अधिक मात्रा में द्रव बनने लग जाता है।
घुटने को प्रभावित करने वाले रोगों के कारण भी बेकर्स सिस्ट हो सकती है, जैसे गठिया या कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होना। इसके अंदरुनी कारणों का इलाज करके समस्याओं को कम किया जा सकता है। वैसे तो बेकर्स सिस्ट से कोई दीर्घकालिक समस्या पैदा नहीं होती है, लेकिन कुछ समय के लिए यह काफी परेशान कर देने वाली स्थिति हो सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में घुटने के पीछे की गांठ फट जाती है, जिससे काफी गंभीर समस्या पैदा हो जाती है। गांठ फट जाने से उसके अंदर का द्रव टांग में नीचे की तरफ (पिंडली में) बहने लग जाता है, जिससे टखने के आस-पास नील पड़ जाता है।
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