बी-सेल लिम्फोमा, लिम्फोसाइट्स नामक सफेद रक्त कोशिकाओं के कैंसर को कहा जाता है। लिम्फोसाइट्स के दो मुख्य प्रकार हैं, लेकिन जिस तरह से यह बीमारी विकसित होती है उसे बी कोशिकाएं कहते हैं। ये कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं जो शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करती हैं। जिन लोगों को बी-सेल लिम्फोमा की समस्या होती है, उनके शरीर में असामान्य रूप से बी कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है। ये कोशिकाएं संक्रमणों से मुकाबला नहीं कर पाती हैं। इतना ही नहीं वे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं।
लिम्फोमा दो प्रकार का होता है : हॉजकिन का लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा। बी-सेल लिम्फोमा के ज्यादातर मामले नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा होते हैं। किसी व्यक्ति में बी-सेल लिम्फोमा के निदान के साथ डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि यह किस प्रकार का है। नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के सबसे आम प्रकार को डिफ्यूज लॉर्ज बी-सेल लिम्फोमा (डीएलबीसीएल) कहा जाता है।
लिम्फोमास हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे व्यक्ति को संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। लिम्फोमा के लिए कुछ उपचार के चलते भी कुछ प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं। जैसे
- बांझपन
- दिल, फेफड़े, गुर्दे और थायरॉयड रोग
- मधुमेह
इस लेख में हम बी-सेल लिम्फोमा के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानेंगे।