एट्रियल फाइब्रिलेशन, हृदय अतालता या अनियमित दिल की धड़कन का एक प्रकार है। यह एक ऐसी स्थिति जो हृदय की असामान्य धड़कन द्वारा चिह्नित होती है जिसमें धड़कन अचानक ही असामान्य रूप से तेज हो जाती है जिसे टैकीकार्डिया भी कहते हैं। एट्रियल फाइब्रिलेशन को AF या AFib के तौर पर भी जाना जाता है।
सामान्य तौर पर आराम की स्थिति में वयस्कों की हृदय गति 60 से 100 बीट प्रति मिनट होती है। लेकिन एट्रियल फाइब्रिलेशन की स्थिति में जब मरीज आराम की स्थिति में होता है तब भी उसकी हृदय गति इससे कहीं अधिक हो सकती है। हृदय गति में होने वाले इस परिवर्तन को मरीज की कलाई या गर्दन में पल्स की जांच करके देखा जा सकता है। किसी व्यक्ति में एट्रियल फाइब्रिलेशन की स्थिति हृदय रोग से जुड़े कई तरह के जोखिम जैसे- खून के थक्के जमना, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर को भी बढ़ा सकती है।
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एट्रियल फाइब्रिलेशन स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ाता है : जब हार्ट बीट सामान्य होती है तो हृदय संकुचित होकर अपने सामान्य साइज में वापस आ जाता है लेकिन एट्रियल फाइब्रिलेशन की स्थिति में हृदय का ऊपरी कक्ष- जिसे एट्रिया के रूप में जाना जाता है- अनियमित रूप से धड़कने लगता है जिससे खून का सामान्य प्रवाह बाधित होता है। यह स्थिति खून में थक्का जमने की स्थिति का कारण बन सकती है, और इस तरह का खून का कोई एक थक्का बड़ी आसानी से रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकता है और धमनी में फंस सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है।
अमेरिकन हार्ट इंस्टिट्यूट के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि करीब 15 से 20 प्रतिशत लोग जो स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं, उनमें एट्रियल फाइब्रिलेशन की भी समस्या होती है। इस बारे में अब तक कई अध्ययन हुए हैं जिससे यह पता चलता है कि दुनियाभर में एट्रियल फाइब्रिलेशन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में, हालांकि अधिकांश अध्ययनों ने हृदय वाल्व रोग और क्रॉनिक हार्ट कंडिशन की व्यापकता पर ही ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन महामारी विज्ञान से जुड़े विभिन्न अध्ययनों के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में एट्रियल फाइब्रिलेशन के मामलों की संख्या वैश्विक औसत से काफी अधिक है।
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विकासशील देशों में लगभग 1-1.5% आबादी को एट्रियल फाइब्रिलेशन से पीड़ित बताया गया है- यह कार्डियक हृदय अतालता का सबसे आम रूप है। हृदय अतालता के अन्य प्रकार हैं:
- एट्रियल स्पंदर (फ्लटर)
- प्रीमैच्योर वेन्ट्रिक्यूलर कॉन्ट्रैक्शन्स
- वेन्ट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया
- सुप्रावेन्ट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया
- वेन्ट्रिक्यूलर फाइब्रिलेशन
- लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम
भारतीय आबादी के बीच एट्रियल फाइब्रिलेशन के बोझ के सटीक आंकड़ों की कमी के बावजूद, अधिकांश अध्ययनों से पता चला है कि भारत में इस बीमारी से पीड़ित रोगियों की औसत आयु पश्चिमी देशों में अध्ययन की गई जनसंख्या की तुलना में लगभग 10 साल कम है।