अटैक्सिया-टेलंगीक्टेसिया क्या है?
अटैक्सिया-टेलंगीक्टेसिया (एटी) बच्चों में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। यह मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करती है। अटैक्सिया में मूवमेंट यानी गतिविधियां करने के लिए तालमेल बैठाने में दिक्कत आती है, जैसे कि चलने में।
त्वचा की सतह के ठीक नीचे रक्त वाहिकाओं का बढ़ना टेलंगीक्टेसिया कहलाता है। टेलंगीक्टेसिया छोटी, लाल, मकड़ी जैसी दिखाई देने वाली नसों के रूप में दिखता है।
एटी से ग्रस्त लोगों में कुछ प्रकार के कैंसर विकसित होने का भी खतरा ज्यादा रहता है, खासतौर पर लसीका प्रणाली (अपशिष्ट पदार्थ, बैक्टीरिया व वायरस को द्रव के रूप में शरीर से बाहर निकालने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली का एक हिस्सा, जो संक्रमण व बीमारी से बचाती है, खून बनाने वाले अंग (जैसे कि ल्यूकेमिया) और ब्रेन कैंसर।
अटैक्सिया-टेलंगीक्टेसिया के लक्षण
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे किशोरावस्था तक इस स्थिति की वजह से चलने में दिक्कत आनी बढ़ती रहती है। इसकी वजह से प्रभावित व्यक्ति चलने में असमर्थ हो जाता है।
इस बीमारी में अक्सर बोलने में कठिनाई, लार बहना, आंखों से जुड़ी कुछ मूवमेंट करने के लिए तालमेल बैठाने में असमर्थता, किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने पर आंखों का तेजी से घूमना शामिल है। इस बीमारी के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
- गतिविधियों में तालमेल बैठाने में कमी
- 10 से 12 वर्ष की आयु के बाद मानसिक विकास कम, धीमा होना या रुक जाना
- देर से चलना सीखना
- सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर त्वचा का रंग प्रभावित होना
- नाक, कान और कोहनी एवं घुटने के अंदर की त्वचा में रक्त वाहिकाओं का बढ़ना
- आंखों के सफेद हिस्से में रक्त वाहिकाओं का बढ़ना
- बीमारी के बढ़ने पर असामान्य तरीके से आंखों का चलना
- बालों का समय से पहले सफेद होना
- दौरे पड़ना
- रेडिएशन के प्रति संवेदनशीलता (इसमें एक्स-रे भी शामिल है)
- सांस से संबंधित गंभीर संक्रमण होना, जो बार-बार प्रभावित करता हो
अटैक्सिया-टेलंगीक्टेसिया के कारण
एटेक्सिया-टेलंगीक्टेसिया एक अनुवांशिक (जेनेटिक) स्थिति है। इसका मतलब है कि माता-पिता से यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी का कारण अटैक्सिया टेलंगीक्टेसिया म्यूटेटिड (एटीएम) नामक जीन में गड़बड़ी है। इस जीन में गड़बड़ी के कारण शरीर में कोशिका की असामान्य मृत्यु हो जाती है।
इसमें मस्तिष्क का वह हिस्सा भी शामिल है जिसकी वजह से गतिविधियों में तालमेल बैठा पाते हैं। इस बीमारी से लड़के और लड़कियां समान रूप से प्रभावित होते हैं।
अटैक्सिया-टेलंगीक्टेसिया का इलाज
फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एटीएम नामक जीन के प्रतिरूप से बेहतर उपचार की दिशा में कई रास्ते खुल गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जीन थेरेपी
- प्रभावित प्रोटीन के कार्य को सही करने के लिए दवाइयां
- प्रभावित प्रोटीन को रिप्लेस (बदलना) करना
शरीर में लचीलेपन को बनाए रखने में मदद करने के लिए फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी (रोजमर्रा के काम करने में मदद करना) और स्पीच थेरेपी का उपयोग किया जाता है। एटी से ग्रस्त मरीजों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए गामा-ग्लोब्युलिन इंजेक्शन मदद कर सकता है। इसके अलावा कुछ दवाओं पर शोध जारी हैं, जिनमें विटामिन की हाई डोज शामिल है।