एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी को 'Jeune syndrome' के नाम से जाना जाता है, जो कि हड्डी के विकास से जुड़ा एक वंशानुगत डिसऑर्डर है। इसमें छाती की बनावट अत्यधिक संकीर्ण होने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। यही वजह है कि इसे जानलेवा स्थिति समझा जा सकता है। ऐसे में बच्चे केवल शैशवावस्था या बाल्यावस्था में ही जीवित रह सकते हैं। हालांकि, जो बच्चे शुरुआती कुछ वर्ष संघर्ष कर ले जाते हैं, उनमें समय के साथ स्थिति में सुधार हो सकता है।

इस बीमारी से ग्रस्त कुछ बच्चों में शरीरिक बनावट अत्यधिक गंभीर नहीं होती है। ऐसे में सांस लेने से जुड़ी हल्की समस्याएं हो सकती हैं जैसे तेज सांस लेना, सांस लेने में कठिनाई इत्यादि। ऐसे बच्चे युवावस्था तक जीवित रहने में सक्षम हो सकते हैं।

एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी के संकेत और लक्षण क्या हैं? Asphyxiating thoracic dystrophy Symptoms in hindi

इसमें छाती का संकीर्ण होना, पसलियां छोटी होना, हाथ और पैरों की हड्डियां छोटी होना, छोटा कद और हाथ व पैरों में अतिरिक्त उंगली होना आदि लक्षण देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कॉलरबोन, श्रोणि की हड्डियों और हाथों व पैरों का आकार भी आसामान्य (शंकु की तरह) हो सकता है।

इस स्थिति से ग्रस्त जन्में कुछ शिशुओं की छाती संकीर्ण और घंटी के आकार की हो सकती है, जिस वजह से फेफड़ों का विकास और विस्तार सही से नहीं हो पाता है।

कुछ मामलों में शैशवावस्था के बाद, किडनी से जुड़ी घातक समस्याएं विकसित हो सकती हैं, जिसमें किडनी खराब होना या फेल होना शामिल हैं। इसके अलावा हृदय दोष और वायुमार्ग में संकुचन होने का भी खतरा रहता है।

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एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी का कारण क्या है? Asphyxiating thoracic dystrophy causes in hindi

कई मामलों में इस सिंड्रोम का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि, कई इसका संबंध अलग-अलग 24 जीन (IFT80, DYNC2H1, WDR19, IFT140, TTC21, NEK1, TTC21B, TCTEX1D2, INTU इत्यादि) में गड़बड़ी (उत्परिवर्तन) से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि एटीडी से ग्रस्त बच्चे में इन्हीं जीन में से किसी एक में गड़बड़ी हो सकती है। यह सिंड्रोम ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से अगली पीढ़ी में पारित होता है, जिसका मतलब है कि बच्चे को उसके माता-पिता दोनों से जीन की खराब प्रति मिली हो।

ऐसे जीन जिनमें गड़बड़ी की वजह से एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी की समस्या हो सकती है, यह ऐसे प्रोटीन बनाने के निर्देश देते हैं जो सिलिया में पाए जाते हैं। सिलिया सभी स्तनधारियों की कोशिकाओं की सतह पर मौजूद छोटे, पतले, बाल जैसी संरचनाएं होती हैं जो लोकोमोशन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। लोकोमोशन का अर्थ है, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना या मूवमेंट करना।

एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी का निदान कैसे किया जाता है? Asphyxiating thoracic dystrophy diagnosis in hindi

कुछ मामलों में, जन्म से पहले इस स्थिति का निदान किया जा सकता है। यदि संकेत और लक्षण अल्ट्रासाउंड पर नजर आते हैं, तो जन्म के बाद, बच्चे का एक्स-रे किया जा सकता है। कई बार जेनेटिक टेस्टिंग की मदद से निदान की पुष्टि की जा सकती है।

एटीडी का निदान क्लिनिकल टेस्ट के जरिए भी किया जा सकता है। साथ ही साथ श्रोणि, हाथ पैर व पसलियों का रेडियोलॉजी एग्जामिनेशन किया जाता है। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई के साथ संकीर्ण छाती व हाथ पैर की लंबाई कम होना इस स्थिति के निदान के लिए पर्याप्त है।

एस्फिक्सिएटिंग थोरैसिक डिस्ट्रोफी का इलाज कैसे होता है? - Asphyxiating thoracic dystrophy treatment in hindi

एटीडी का उपचार व्यक्ति में मौजूद संकेतों और लक्षणों के आधार पर अलग-अलग निर्धारित किया जाता है। इस सिंड्रोम से ग्रस्त अधिकांश लोग सांस लेने में कठिनाई का अनुभव करते हैं जो श्वसन संक्रमणों की वजह से कुछ समय बाद गंभीर हो सकता है। ऐसे गंभीर मामलों में, जन्म के तुरंत बाद मैकेनिकल वेंटिलेशन आवश्यक हो सकता है और सर्जरी कराने का भी सुझाव दिया जाता है।

किडनी की समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए डायलिसिस और रीनल ट्रांसप्लांटेशन की मदद ली जा सकती है।

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