शरीर के परिसंचरण तंत्र में हृदय और रक्त वाहिकाएं शामिल हैं। कुल तीन प्रकार की रक्त वाहिकाएं होती हैं : नस या शिरा, केशिकाएं और धमनियां। जब परिसंचरण तंत्र के इन रक्त वाहिकाओं में दोष आ जाता है तो इस स्थिति को आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन यानी धमनीविस्फार विकृति कहते हैं।
विकृत का मतलब नसों और धमनियों के बीच एक असामान्य संबंध है। यह शरीर की रक्त संचार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह स्थिति आमतौर पर जन्मजात होती है। हालांकि, विकृतियां पूरे शरीर में कहीं भी शुरू हो सकती हैं, इनमें से कुछ मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी या इसके आसपास वाले हिस्से में विकसित होती हैं, जिससे दौरे और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम) के लक्षण
एवीएम के लक्षण अलग-अलग होते हैं, यह चीजों पर निर्भर करता है :
- एवीएम का स्थान
- एवीएम का आकार
- एवीएम में शामिल रक्त वाहिकाओं का आकार
यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में एवीएम की समस्या है, तो ऐसे में हो सकता है कि लक्षणों को नोटिस करना कठिन हो। कुछ मामलों में, ब्रेन एवीएम की स्थिति में सिरदर्द या दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है। दुर्भाग्य से, बहुत सारे लक्षण न होने के कारण, अक्सर इस प्रकार की समस्या का निदान तब तक नहीं हो पाता है, जब तक कि जानलेवा नहीं हो जाता है।
ब्रेन एवीएम के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :
- खोपड़ी में ब्लीडिंग
- दौरे पड़ना
- सिर दर्द
- फोकल न्यूरोलॉजिकल डेफिसिट यानी तंत्रिका, रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क के कार्यों का प्रभावित होना
- भ्रम
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आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम) का कारण
एवीएम का कारण अभी तक अज्ञात है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि यह समस्या गर्भ में या जन्म के तुरंत बाद होती है और बाद में बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ यह स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
जो बच्चे आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन से ग्रस्त होते हैं उनकी त्वचा पर हल्के नीले रंग के स्पॉट दिखाई दे सकते हैं। यह खून में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। इसमें बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ त्वचा गहरी लाल या बैंगनी रंग की हो जाती है और स्थिति बदतर हो जाती है।
आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन का एक और कारण यह है कि इसमें नसों और धमनियों के बीच का संबंध प्रभावित हो जाता है, लेकिन विशेषज्ञों को इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। उनका मानना है कि कुछ आनुवंशिक परिवर्तन इसमें विशेष भूमिका निभा सकते हैं।
आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम) का जोखिम
दुर्लभ मामलों में, एवीएम की समस्या यदि फैमिली हिस्ट्री से संबंधित है तो आपमें भी इसका जोखिम हो सकता है, लेकिन ज्यादातर प्रकार के एवीएम वंशानुगत नहीं होते हैं।
आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम) का निदान
एवीएम का निदान करने के लिए, डॉक्टर पीड़ित के लक्षणों की समीक्षा व शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। एवीएम के निदान में सहायता के लिए आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले टेस्ट में शामिल हैं :
- सेरेब्रल एंजियोग्राफी जिसे आर्टियोग्राफी भी कहा जाता है
- कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन
- एमआरआई
- मैगनेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी (एमआरए)
- ट्रांसक्रेनियल डॉपलर अल्ट्रासाउंड
आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम) का इलाज
इस स्थिति का उपचार मरीज की आयु, स्थिति और शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इलाज का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य इंटर्नल ब्लीडिंग को रोकना है, जिससे स्ट्रोक या जान जाने का खतरा हो सकता है।
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दवाई
डॉक्टर भले ही एवीएम का इलाज नहीं कर सकते हों, लेकिन वे लक्षणों के प्रबंधन के लिए दवाएं लिख सकते हैं। यह दवाएं दर्द और दौरे को नियंत्रित कर सकती हैं।
सर्जरी
प्रभावित रक्त वाहिकाओं को ठीक करने या उन्हें हटाने के लिए सर्जरी की मदद ली जा सकती है। मरीज को किस प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता है, यह उसके एवीएम के प्रकार पर निर्भर करता है। वैसे कुल तीन विकल्प हैं :
- कन्वेंशनल सर्जरी
- एंडोवस्कुलर एम्बोलाइजेशन
- रेडियोसर्जरी