अप्लास्टिक एनीमिया - Aplastic Anemia in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

August 31, 2020

April 13, 2021

अप्लास्टिक एनीमिया
अप्लास्टिक एनीमिया

शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया चलती रहती है और यह रक्त कई तरह की कोशिकाओं से मिलकर बनता है। जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में नई रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करना बंद कर देता है तो उस स्थिति में अप्लास्टिक एनीमिया की समस्या होनी शुरू हो जाती है। यह स्थिति कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है। अप्लास्टिक एनीमिया के रोगी को हमेशा थकान का अनुभव होता है। इतना ही नहीं इससे संक्रमण और अनियंत्रित रक्तस्राव का खतरा भी बढ़ जाता है। अप्लास्टिक एनीमिया एक प्रकार की दुर्लभ और गंभीर समस्या है जो किसी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। कुछ लोगों को यह दिक्कत अचानक से शुरू होती है जबकि कुछ लोगों में यह धीरे-धीरे विकसित होती है और समय के साथ गंभीर होती जाती है।

बोन मैरो के भीतर स्टेम कोशिकाओं को होने वाली क्षति के कारण अप्लास्टिक एनीमिया की समस्या आती है। बोन मैरो हड्डियों के भीतर मौजूद ऊतक होता है। इस स्थिति में पहले की अपेक्षा बोन मैरो से लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स का उत्पादन कम हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति का प्रमुख कारक ऑटोइम्यून विकार होता है। इसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली बोन मैरो के भीतर स्टेम कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है। कई प्रकार की बीमारियों के कारण स्टेम कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है। इसका प्रमुख कारण माता-पिता से मिला आनुवंशिक जीन, कुछ विशेष दवाओं का प्रभाव अथवा वातावरणीय प्रभाव हो सकता है। नेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर रेयर डिसऑर्डर (एनओआरडी) के अनुसार अमेरिका में हर साल 500 से 1,000 मामले सामने आते हैं। किशोरों और वयस्कों में यह समस्या सबसे आम है।

इस लेख में हम अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण, कारण, इससे होने वाली समस्याओं और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण - Aplastic Anemia symptoms in hindi

सामान्य तौर पर अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, निम्न समस्याओं के आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है।

अप्लास्टिक एनीमिया के कारण - Aplastic Anemia causes in hindi

एनओआरडी के शोधकर्ताओं का मानना है कि अप्लास्टिक एनीमिया का मुख्य कारण आटोइम्यून डिसआर्डर है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ बोन मैरो कोशिकाओं पर हमला कर देती है। डॉक्टरों का मानना है कि प्रतिरक्षा प्रणाली की इस प्रकार की प्रतिक्रिया के निम्न कारण हो सकते हैं।

  • प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, डिटर्जेंट और कीटनाशक बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले बेंजीन नामक रसायन के संपर्क में आने के कारण।
  • कीटनाशकों के संपर्क में आने के कारण
  • नॉनवायरल हेपेटाइटिस
  • किमोथेरेपी या क्लोरैमफेनिकॉल के दवाओं के कारण
  • हेपेटाइटिस
  • गर्भावस्था के दौरान
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस और ल्यूपस
  • कैंसर
  • अन्य कई प्रकार के संक्रमण के कारण

कुछ लोगों में पैरॉक्सिस्मल नोक्टुर्नल हेमोग्लोबिनुरिया नाम का एक दुर्लभ विकार भी देखने को मिलता है। इस विकार के कारण लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूटने लगती हैं, इसके कारण भी अप्लास्टिक एनीमिया विकसित हो सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों में आनुवंशिक रूप से फैनकोनी एनीमिया की भी शिकायत देखने को मिलती है, जो बाद में अप्लास्टिक एनीमिया को विकसित कर सकती है।

अप्लास्टिक एनीमिया का निदान- Diagnosis of Aplastic Anemia in hindi

अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं, ऐसी स्थिति में डॉक्टर सबसे पहले रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और महसूस हो रही परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। खून में लाल रक्त कोशिकाओं, श्वेत रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स की मात्रा को जानने के लिए कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जांच कराने को कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति में इन तीनों की कमी पाई जाती है तो उसे पैन्टीटोपेनिया की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बीमारी को जानने के लिए बोन मैरो टेस्ट कराने को भी कहा जा सकता है।

अप्लास्टिक अनीमिया के लक्षण कई अन्य चिकित्सा स्थितियों जैसे मयेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम और पैरॉक्सिस्मल नॉक्टेर्नल हेमोग्लोबिनुरिया की तरह हो सकते हैं, ऐसे में डॉक्टर इस बारे में भी जानने की कोशिश करते हैं। अप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति को जानने के लिए आमतौर पर निम्न दो प्रकार के परीक्षण कराए जाते हैं।

खून की जांच

आमतौर पर रक्त में एक नियत मात्रा में लाल रक्त कोशिका, श्वेत रक्त कोशिका और प्लेटलेट मौजूद होता है। अप्लास्टिक एनीमिया में इन तीनों का स्तर कम होता है। खून की जांच से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

बोन मैरो बायोप्सी

अप्लास्टिक एनीमिया के निदान के लिए बोन मैरो बायोप्सी भी एक बेहतर तरीका माना जाता है। इसके लिए रोगी के पेल्विस या कूल्हे की हड्डी से बोन मैरो का सैंपल लिया जाता है। इस सैंपल की माइक्रोस्कोपिक जांच होती है, जिससे रक्त से संबंधित अन्य बीमारियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। अप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति में सामान्य की तुलना में बोन मैरो में कम रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं।

अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज- Treatment of Aplastic Anemia in hindi

अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज के दौरान दो बातों पर डॉक्टरों का विशेष रूप से ध्यान होता है। पहला रोगी के लक्षणों को ठीक करना और दूसरा उन उपायों को प्रयोग में लाना, जिससे बोन मैरो फिर से नई रक्त कोशिकाएं बनाना शुरू कर दें। इसके लिए कई बार अप्लास्टिक एनीमिया के रोगियों को खून और प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। चूंकि, इस दौरान शरीर किसी प्रकार के संक्रमण का मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं होता है, ऐसे में रोगी को एंटीबायोटिक्स भी दी जाती हैं।

डॉक्टर आमतौर पर आवश्यकतानुसार बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की भी सलाह दे सकते हैं, जिससे लंबे समय तक नई कोशिकाओं के बनने में कोई समस्या न आए। इसके लिए सबसे पहले असामान्य बोन मैरो कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी की दवाएं दी जाती हैं। असामान्य बोन मैरो कोशिकाओं के कारण बोन मैरो का सामान्य कार्य प्रभावित होता है। इसके पश्चात रोगी के शरीर में बोन मैरो का प्रत्यारोपण किया जाता है।

बोन मैरो स्टिम्यलन्ट

जिन लोगों में बिना ट्रांसप्लांट के स्थिति में सुधार होने के आसार दिखते हैं ऐसे लोगों पर बोन मैरो स्टिम्यलन्ट जैसे उपायों को प्रयोग में लाया जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर कुछ ऐसी दवाएं देते हैं जो बोन मैरो को प्रभावी बनाने के साथ नई कोशिकाओं के तेजी से निर्माण में मदद करते हैं।

एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल थेरपी

अप्लास्टिक एनीमिया आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है, जिससे शरीर में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपको अप्लास्टिक एनीमिया की शिकायत है तो बुखार जैसे संक्रमण के शुरुआती संकेत दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करें। इस स्थिति में संक्रमण बढ़ना जानलेवा हो सकता है। डॉक्टर आपको संक्रमण रोकने में मदद करने वाली एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं देते हैं।

उपचार के अन्य माध्यम

कैंसर के उपचार के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले रेडिएशन और कीमोथेरेपी उपचारों के कारण होने वाला अप्लास्टिक एनीमिया आमतौर पर उपचार को बंद करने के बाद ठीक हो जाता है। अप्लास्टिक एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। कई महिलाओं में गर्भावस्था के बाद यह समस्या ठीक हो जाती है। जिनमें फिर भी सुधार नहीं होता है, उनको उपचार जारी रखने की आवश्यकता होती है।



अप्लास्टिक एनीमिया के डॉक्टर

Dr. Srikanth M Dr. Srikanth M रक्तशास्त्र
25 वर्षों का अनुभव
Dr. Kartik Purohit Dr. Kartik Purohit रक्तशास्त्र
13 वर्षों का अनुभव
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