एंटीथ्रोम्बिन की कमी क्या है?
एंटीथ्रोम्बिन की कमी एक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें नसों में क्लॉट (खून के थक्के) बनने लगते हैं। इस प्रकार का थक्का विशेष रूप से पैर की नसों में बनता है। इसे 'डीप वेन थ्रोम्बोसिस' कहते हैं। खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को थ्रोम्बोसिस कहते हैं। इस विकार से ग्रस्त लोगों में क्लॉटिंग का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होता है।
एंटीथ्रोम्बिन खून में पाए जाने वाला एक ऐसा पदार्थ है, जो खून में क्लॉट बनने की प्रक्रिया को सीमित करता है। इसकी कमी हो जाने पर असामान्य रूप से क्लॉटिंग होने लगती है।
एंटीथ्रोम्बिन की कमी के संकेत और लक्षण क्या हैं?
एंटीथ्रोम्बिन की कमी से खून के थक्के बनने की समस्या होती है। बाहों (भुजाओं) या पैरों में खून के थक्के बनने से आमतौर पर सूजन, लालिमा और दर्द की समस्या हो सकती है। जब खून का थक्का टूटकर शरीर के दूसरे हिस्से में जाता है, तो इसे थ्रोम्बोम्बोलिज्म कहते हैं।
लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि खून के थक्के शरीर में कहां मौजूद हैं। हालांकि, सामान्य तौर पर ये फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं, इस स्थिति में कफ, सांस की तकलीफ, गहरी सांस लेते समय दर्द, छाती में दर्द और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। यदि ये थक्के मस्तिष्क में पहुंच जाएं तो ऐसे में स्ट्रोक की समस्या हो सकती है।
एंटीथ्रोम्बिन की कमी के कारण क्या हैं?
एंटीथ्रोम्बिन की कमी एक वंशानुगत स्थिति है। एंटीथ्रॉम्बिन की कमी SERPINC1 नामक जीन में बदलाव या गड़बड़ी के कारण होती है। इस जीन का कार्य एंटीथ्रोम्बिन (इसे पहले एंटीथ्रोम्बिन III के रूप में जाना जाता था) नामक प्रोटीन का उत्पादन करना है। यह प्रोटीन रक्तप्रवाह में पाया जाता है और खून के थक्के को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एंटीथ्रोम्बिन ऐसे प्रोटीन के कार्यों को ब्लॉक करता है, जो खून के थक्के को बढ़ावा देता है।
जब SERPINC1 जीन में गड़बड़ी हो जाती है तो एंटीथ्रोम्बिन के कार्य असामान्य हो जाते हैं, जिस वजह से यह खून के थक्के को नियंत्रित नहीं कर पाता और अन्य लोगों की तुलना में तेजी से ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है।
इस स्थिति वाले लोगों को अक्सर कम उम्र में भी ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है।
एंटीथ्रोम्बिन की कमी का निदान कैसे होता है?
फिजिकल टेस्ट के जरिए इसके लक्षणों को पहचाना जा सकता है, जिनमें शामिल हैं :
- बांह या पैर में सूजन
- धड़कनें बढ़ना (और पढ़ें - अनियमित दिल की धड़कन)
यदि एंटीथ्रोम्बिन की कमी है तो डॉक्टर ब्लड टेस्ट के लिए भी सुझाव दे सकते हैं।
एंटीथ्रोम्बिन की कमी का इलाज कैसे होता है?
खून के थक्के का इलाज खून को पतला करने वाली दवाइयों (जिसे एंटीकोअगुलांट्स भी कहा जाता है) की मदद से किया जाता है। इन दवाओं को कितने समय तक लेना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि खून के थक्के व अन्य कारक कितने गंभीर हैं।
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