एंजियोडिमा क्या है?
एंजियोडिमा या वाहिकाशोफ एक ऐसी स्थिति है जिसमें छोटी रक्त वाहिकाएं ऊतकों में तरल पदार्थ का रिसाव करती हैं, जिससे सूजन हो जाती है। त्वचा की सतह पर गोल घेरेदार सूजन होती है जिसे पित्ती (अर्टिकेरिया) कहा जाता है। एंजियोडिमा के कारण ऊतकों की गहराई में भी सूजन होती है। लगभग 20% लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी पित्ती होती है और इनमें से 3 में से लगभग 1 व्यक्ति को एंजियोडिमा भी होता है।
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एंजियोडिमा शरीर में आमतौर पर चेहरे, होंठ, जीभ, गले और जननांग जैसे क्षेत्रों में होते हैं। किसी क्षेत्र में सूजन आमतौर पर 1 से 3 दिनों तक रहती है। कभी-कभी एंजियोडिमा से एसोफैगस, पेट या आंत जैसे आंतरिक अंगों की सूजन सीने में दर्द या पेट दर्द का कारण बन सकती है।
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एंजियोडिमा के लक्षण क्या हैं?
त्वचा की सतह के नीचे लाल रंग के धब्बे के साथ सूजन एंजियोडिमा या वाहिकाशोफ का सबसे आम लक्षण है। यह पैरों, हाथों, आंखों या होंठों के पास हो सकती है। अधिक गंभीर मामलों में, सूजन शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है। एंजियोडिमा के कारण होने वाली सूजन त्वचा की सतह पर दिख भी सकती है और नहीं भी।
एंजियोडिमा के अन्य लक्षणों में पेट में ऐंठन तथा कुछ दुर्लभ मामलों में, एंजियोडिमा वाले लोगों को गले में सूजन, गला बैठने और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं। एंजियोडिमा में खुजली भी हो सकती है।
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एंजियोडिमा क्यों होता है?
एक्यूट एंजियोडिमा आमतौर पर एलर्जिक रिएक्शन का परिणाम होता है। जब आपको कोई एलर्जी होती है, तो आपका शरीर हिस्टामाइन का उत्पादन करता है। हिस्टामाइन आपकी रक्त वाहिकाओं में फैल जाता है और तरल पदार्थ के रिसाव का कारण बनता है।
इसके अतिरिक्त, कुछ दवाएं गैर-एलर्जिक एंजियोडिमा का कारण बन सकती हैं। एंजियोडिमा किसी संक्रमण या बीमारी के परिणामस्वरूप भी विकसित हो सकता है, जैसे लुपस (एसएलई) या ल्यूकेमिया इत्यादि। इस प्रकार के एंजियोडिमा को अक्वायर्ड एंजियोडिमा कहा जाता है।
वंशानुगत आनुवंशिक उत्परिवर्तन या माता-पिता से म्युटेशन वाले जीन को प्राप्त करने के कारण होने वाले एंजियोडिमा की स्थिति को हेरेडिटरी एंजियोडिमा कहा जाता है।
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एंजियोडिमा का इलाज कैसे होता है?
एंजियोडिमा का उपचार इसको पैदा करने वाले कारण पर निर्भर करता है। लेकिन इस स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण कार्य रोगी को सांस लेने में मदद सुनिश्चित करना होता है। इसका मतलब है कि आपात स्थिति में, सुरक्षा के लिए एक वेंटीलेटर लगाया जा सकता है।
एलर्जिक रिएक्शन का इलाज एपिनेफ्राइन से किया जा सकता है। एंटीहिस्टामाइन और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी अन्य दवाओं को भी उपयोग किया जा सकता हैं। यदि एंजियोडिमा का कारण वंशानुगत है, तो रोगी को विशेष दवाएं दी जा सकती हैं।
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