ऐमाइलोयडोसिस होना क्या है?
ऐमाइलोयडोसिस तब होता है जब एमाइलोयड नामक असामान्य प्रोटीन उत्तक और अंगों में जमा होने लगता है। इससे उत्तकों के आकार और कार्य करने की प्रक्रिया बिगड़ने लगती है। ऐमाइलोयडोसिस एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण शरीर के अंग खराब हो सकते हैं।
ऐमाइलोयडोसिस के लक्षण क्या हैं?
ऐमाइलोयडोसिस के लक्षण तब तक अनुभव नहीं होते जब तक ये समस्या बढ़ नहीं जाती। समस्या बढ़ने के बाद इससे होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि बीमारी किस अंग को प्रभावित कर रही है। ऐमाइलोयडोसिस से जुड़े लक्षण जैसे टखनों और पैरों में सूजन, चक्कर व कमजोरी आना, सांस लेने में दिक्कत, हाथ व पैरों में सूजन या झुनझुनी होना, खासकर कलाई में दर्द होना (कार्पल टनल सिंड्रोम), दस्त या कब्ज, अचानक वजन कम होना आदि।
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ऐमाइलोयडोसिस क्यों होता है?
कई तरह के प्रोटीन से एमाइलोयड जमा हो सकता है, लेकिन इनमें से कुछ प्रोटीन के कारण ही कई बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। किसी एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में एमाइलोयड जमा हो सकता है। ऐमाइलोयडोसिस की जांच करने के लिए डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेगा। साथ ही डॉक्टर के लिए पिछली समस्याओं के बारें में भी जानना बेहद जरूरी है। ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट की मदद से भी असामान्य प्रोटीन के बारें में पता चलता है। आपके लक्षण पर निर्भर करते हुए, डॉक्टर थायराइड और लीवर की भी जांच कर सकते हैं। ऐमाइलोयडोसिस का निदान करने के लिए डॉक्टर बायोप्सी जांच कर सकते हैं। इस तरह डॉक्टर को पता चल पाएगा कि आपके शरीर में किस प्रकार का प्रोटीन मौजूद है। बायोप्सी के दौरान उत्तकों के सैंपल आपके पेट की चर्बी, मुंह, मलाशय या अन्य अंग से लिए जा सकते हैं। आपके डॉक्टर अनुवांशिक परीक्षण से भी ऐमाइलोयडोसिस की जांच कर सकते हैं।
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ऐमाइलोयडोसिस का इलाज कैसे होता है?
ऐमाइलोयडोसिस का इलाज नहीं किया जा सकता है। इलाज का उद्देश्य होता है एमाइलोयड प्रोटीन का उत्पादन धीमा करना और लक्षण के असर को कम कर देना। ऐमाइलोयडोसिस के दौरान कुछ दवाइयां हैं जिनसे आप ऐमाइलोयडोसिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं जैसे दर्द निवारक गोलियां, डायरिया, मतली और उल्टी को कम करने के लिए गोलियां, शरीर में तरल पदार्थ को कम करने के लिए ड्यूरेटिक्स, ह्रदय की गति को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां, अन्य दवाइयां आपके ऐमाइलोयडोसिस के प्रकार पर निर्भर करती हैं।
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