एल्केप्टोनूरिया क्या है?
एल्केप्टोनूरिया एक दुर्लभ वंशागत विकार है। यह तब होता है जब आपका शरीर होमोजेंटिसिक डाइऑक्साइनेज नामक एक एंजाइम का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है। यह एंजाइम होमोजेंटिसिक एसिड नामक विषाक्त पदार्थ को तोड़ने का कार्य करता है। जब पर्याप्त मात्रा में होमोजेंटिसिक डाइऑक्साइनेज का उत्पादन नहीं होता है, तो शरीर में होमोजेंटिसिक एसिड बनने लगता है।
होमोजेंटिसिक एसिड बनने से हड्डियां और उपास्थि कमजोर हो जाती हैं। आमतौर इसकी वजह से ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से आपकी रीढ़ और बड़े जोड़ों में इसका खतरा ज्यादा रहता है। एल्केप्टोनूरिया से ग्रस्त व्यक्ति जब पेशाब करते हैं तो हवा के संपर्क में आते ही पेशाब का रंग भूरा या काला हो सकता है।
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एल्केप्टोनूरिया के संकेत और लक्षण
एल्केप्टोनूरिया के शुरुआती लक्षणों में बच्चे के डायपर पर गहरे रंग का दाग आना है। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाती है लक्षण स्पष्ट होते जाते हैं। हवा के संपर्क में आने पर मूत्र गहरे भूरे या काले रंग का हो सकता है। जब पीड़ित अपने 20 या 30 के दशक तक पहुंचते हैं, तब तक वह ऑस्टियोआर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों को नोटिस कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, पीड़ित व्यक्ति अपने बड़े जोड़ों व निचली पीठ में क्रोनिक स्टिफनेस (धीरे-धीरे अकड़न) या दर्द महसूस कर सकते हैं :
एल्केप्टोनूरिया के अन्य लक्षणों में शामिल हैं :
- आंखों के सफेद भाग पर काले धब्बे
- कानों में उपास्थि मोटी होना
- गहरे रंग का पसीना या पसीने के धब्बे
- कान की गंदगी का रंग काला होना
- किडनी और प्रोस्टेट में पथरी
- गठिया (विशेषकर कूल्हे और घुटने के जोड़ में)
एल्केप्टोनूरिया की वजह से हृदय संबंधित समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि होमोजेंटिसिक एसिड इकट्ठा होने से हृदय के वाल्व कठोर हो सकते हैं। यह उन्हें ठीक से बंद होने से रोक सकता है, जिसके कारण एऑर्टिक और माइट्रल वॉल्व डिसऑर्डर हो सकता है। गंभीर मामलों में, 'हार्ट वॉल्व रिप्लेंसमेंट' की जरूरत पड़ सकती है। होमोजेंटिसिक एसिड की अधिकता की वजह से रक्त वाहिकाएं भी कठोर हो सकती हैं। इसके अलावा यह हाई बीपी का कारण भी बन सकता है।
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एल्केप्टोनूरिया का कारण
एचजीडी जीन में खराबी के कारण एल्केप्टोनूरिया की समस्या होती है। एल्केप्टोनूरिया वंशानुगत विकार है, जिसका मतलब है कि यह बीमारी आपके माता पिता में से किसी एक से पारित हुई है। एचजीडी जीन में दोष होने के कारण शरीर कुछ एमिनो एसिड (टायरोसिन और फेनिलएलनिन) को ठीक से तोड़ने में असमर्थ हो जाता है। नतीजतन, त्वचा और शरीर के अन्य ऊतकों में होमोजेंटिसिक एसिड नामक विषाक्त पदार्थ बनने लगता है।
होमोजेंटिसिक एसिड और इससे संबंधित यौगिक की मात्रा अधिक हो जाने से यह संयोजी ऊतकों में जमा हो जाते हैं, जिस कारण उपास्थि और त्वचा का रंग काला होने लगता है। बाद में, यह एसिड मूत्रमार्ग के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। जब पेशाब हवा के संपर्क में आती है तो इसका रंग भी भूरा या काला हो सकता है। कुछ समय के बाद, होमोजेंटिसिक एसिड जोड़ों को प्रभावित करने लगता है, जो कि गठिया का कारण बनता है।
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एल्केप्टोनूरिया का निदान
यदि मूत्र हवा के संपर्क में आने पर गहरे भूरे या काले रंग का हो जाता है, तो यह एल्केप्टोनूरिया का संकेत हो सकता है। यदि ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण जल्दी विकसित होने लगते हैं तो डॉक्टर अन्य परीक्षण भी कर सकते हैं।
डॉक्टर मूत्र में होमोजेंटिसिक एसिड की मात्रा की जांच करने के लिए 'गैस क्रोमैटोग्राफी' नामक टेस्ट भी कर सकते हैं। एचजीडी जीन में गड़बड़ी की जांच के लिए वे डीएनए टेस्ट की भी मदद ले सकते हैं। एल्केप्टोनूरिया के निदान में फैमिली हिस्ट्री बहुत उपयोगी होती है।
एल्केप्टोनूरिया का इलाज
दुर्भाग्य से इस बीमारी के लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है। आपको कम प्रोटीन वाला आहार दिया जा सकता है। डॉक्टर आपकी उपास्थि में होमोजेंटिसिक एसिड के संचय को कम करने के लिए एस्कॉर्बिक एसिड या विटामिन सी की बड़ी खुराक दे सकते हैं। एल्केप्टोनूरिया के अन्य उपचार जटिलताओं को रोकने और राहत देने पर केंद्रित हैं जैसे :
- गठिया
- दिल की बीमारी
- पथरी
डॉक्टर जोड़ों के दर्द के लिए एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) दवाएं या नार्कोटिक्स लिख सकते हैं। फिजिकल एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी (मानसिक या शारीरिक रोग या अक्षमता से ग्रस्त लोगों की सहायता करके, उन्हें सामान्य जीवन जीने और जितना संभव हो उन्हें सक्रिय बनाने का प्रयास है) की मदद से मांसपेशियों और जोड़ों में लचीलापन और ताकत को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा मरीज को ऐसी गतिविधियों से भी बचना चाहिए, जिनसे जोड़ों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है।
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