एलाजील सिंड्रोम एक आनुवांशिक (जेनेटिक) सिंड्रोम है जो लिवर, हृदय और शरीर के अन्य भागों को प्रभावित कर सकता है। इसमें पित्त नलिकाओं में असामान्यता आ जाती है। दरअसल, सामान्य लिवर की तुलना में जब लिवर में पित्त वाहिनी कम और छोटी होती है तो लिवर संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं जिससे लिवर डैमेज (नुकसान) होता है। ये नलिकाएं पित्त (जो वसा को पचाने में मदद करती हैं) को लिवर से पित्ताशय और छोटी आंत तक ले जाती हैं।
एलाजील सिंड्रोम बीमारी में, पित्त नलिकाएं संकीर्ण यानी सिकुड़ी हुई, विकृत (सही तरीके से न बनी हुई) और संख्या में कम हो सकती हैं, जिस वजह से पित्त लिवर में ही बनने और जमा होने लगता है। ऐसा होने पर लिवर में स्कारिंग (किसी चोट या सर्जरी के बाद के निशान) होने लगती है। ये चोट के निशान (स्कार) लिवर के कार्य करने की क्षमता को बाधित करते हैं जिस वजह से लिवर रक्तप्रवाह में से अपशिष्ट पदार्थों को सही तरीके से निकाल नहीं पाता है।
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