एगोराफोबिया क्या है?
एगोराफोबिया एक दुर्लभ प्रकार का एंजाइटी डिसऑर्डर है। यदि कोई व्यक्ति इस विकार से ग्रसित है, तो वह कुछ निश्चित स्थानों और स्थितियों से बचने की कोशिश करता हुआ दिखाई देगा। ऐसे लोगों को अक्सर लगता है कि वे फंस गए हैं और उन्हें कहीं से मदद नहीं मिलेगी।
जब कोई व्यक्ति निम्न स्थितियों में होता है तो वह चिंतित और घबराया हुआ महसूस कर सकता है :
सार्वजनिक परिवहन (बस, ट्रेन, पानी या हवाई जहाज)
- बड़े, खुले स्थान (पार्किंग स्थल)
- बंद स्थान (स्टोर, मूवी थिएटर)
- भीड़ या कतार में खड़ा होना
- अपने घर के बाहर अकेले रहना
ऐसे लोग कुछ ही स्थानों पर जाने के लिए तैयार होते हैं या फिर घर से बाहर निकलने में हिचकते या डरते हैं।
एगोराफोबिया के संकेत और लक्षण
यदि कोई व्यक्ति एगोराफोबिया से ग्रसित है और उसे कोई निश्चित जगह या स्थिति डराती है, तो ऐसी जगह पर वह बहुत चिंतित हो सकता है। इसके शारीरिक लक्षणों में शामिल हैं :
- धड़कनें तेज होना
- पसीना, कांपना, हिलना-डुलना
- सांस लेने में परेशानी
- गर्म या ठंडा महसूस करना
- मतली या दस्त
- छाती में दर्द
- निगलने में समस्या
- चक्कर आना या बेहोश होना
इसके अलावा निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं :
- नियंत्रण में न रहना
- दूसरों के सामने अच्छा न दिखने का भय
- कहीं भी जाने पर भरोसेमंद व्यक्ति के साथ लगातार रहना
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एगोराफोबिया का कारण
एगोराफोबिया का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, कई ऐसे कारक हैं जो एगोराफोबिया के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं :
- अवसाद (डिप्रेशन)
- अन्य किसी तरह का डर जैसे कि क्लस्ट्रोफोबिया और सोशल फोबिया
- एंजाइटी डिसआर्डर का एक अन्य प्रकार जैसे जेनरलाइज्ड एंजाइटी डिसआर्डर या आब्सेसिव कंपल्सिव डिसआर्डर
- शारीरिक या यौन शोषण का शिकार
- मादक द्रव्यों का सेवन
- एगोराफोबिया से संबंधित फैमिली हिस्ट्री
एगोराफोबिया की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है। आमतौर पर यह समस्या वयस्कता (करीब 20 साल के आस पास) में शुरू होती है। हालांकि, किसी भी उम्र में लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
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एगोराफोबिया का निदान
एगोराफोबिया में दिखने वाले बहुत से लक्षण अन्य चिकित्सा स्थितियों जैसे हृदय रोग, पेट के रोग और सांस लेने की समस्याओं से मिलते-जुलते हैं। ऐसे में एक बार में निदान करना मुश्किल हो सकता है। इस मामले में सटीक पुष्टि के लिए कई बार डॉक्टर विजिट की जरूरत पड़ सकती है।
डॉक्टर मरीज से उसके लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जिसमें कुछ इस तरह के प्रश्न हो सकते हैं जैसे लक्षण दिखना कब शुरू हुए? कैसा महसूस होता है? इत्यादि। वे मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री से संबंधित प्रश्न भी पूछ सकते हैं। वे भौतिक कारणों को जानने के लिए ब्लड टेस्ट की भी मदद ले सकते हैं।
एगोराफोबिया का निदान निम्न आधार होता है :
- लक्षण और संकेत क्या हैं
- चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ साक्षात्कार
- शारीरिक परीक्षा
एगोराफोबिया का इलाज
आमतौर पर डॉक्टर थेरेपी, दवा या दोनों के संयोजन से एगोराफोबिया का इलाज कर सकते हैं।
इसमें तीन तरह की थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है : साइकोथेरेपी, कॉगनिटिव बिहैवियरल थेरेपी और एक्सपोजर थेरेपी।
- साइकोथेरेपी : इसे टॉक थेरेपी भी कहते हैं। इसमें नियमित आधार पर एक चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मिलने की जरूरत होती है। वे मरीज को ऐसा महौल देते हैं, जिसमें वह अपने डर के बारे में खुलकर बता कर सकता है।
- कॉगनिटिव बिहैवियरल थेरेपी : इसे हिंदी में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी कहते हैं। यह मनोचिकित्सा का सबसे सामान्य रूप है, जो एगोराफोबिया वाले लोगों का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी के जरिए मरीज को विकृत भावनाओं और विचारों को समझने में मदद मिल सकती है। यह मरीज को तनावपूर्ण परिस्थितियों में काम करने का तरीका भी सिखा सकता है।
- एक्सपोजर थेरेपी : एक्सपोजर थेरेपी के जरिए डर को दूर करने में मदद मिलती है। इस प्रकार की चिकित्सा में, धीरे-धीरे उन स्थितियों या स्थानों के संपर्क में आने लगते हैं, जिनसे आप पहले डरते थे।
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