कई बार जब किसी व्यक्ति के साथ कोई घटना घटती है, तो वह लंबे समय तक उसके बारे में सोचता रहता है. उस घटना के विचार दिनभर व्यक्ति के दिमाग में चलते रहते हैं, लेकिन जब किसी दर्दनाक घटना के बाद ये लक्षण नजर आए, तो इसे एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर कहा जा सकता है -
घटना को न भूलना
एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर का सबसे आम लक्षण दर्दनाक घटना को बार-बार याद करना होता है. इस स्थिति में व्यक्ति उस घटना के बारे में बार-बार सोचता है. वह फ्लैशबैक में चला जाता है. वह उस घटना को यादों में या फिर सपनों में भी देख सकता है. इससे व्यक्ति की नींद तक प्रभावित हो सकती है.
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नेगेटिव सोचना
ट्रॉमेटिक इंसिडेंट के बाद व्यक्ति हर समय नेगेटिव सोचता रहे, तो यह एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर का लक्षण हो सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं. वह उदास हो सकता है और तनाव महसूस कर सकता है.
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घटना वाली जगह पर न जाना
जिन लोगों को किसी दर्दनाक घटना के बाद एएसडी होता है. वे अक्सर दोबारा उस स्थान पर जाना पसंद नहीं करते हैं. वे उन विचारों, लोगों और स्थानों से बचते हैं, जो उन्हें दर्दनाक घटना से जोड़ते हैं. इसलिए, इस स्थिति को भी एएसडी का लक्षण माना जा सकता है.
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तनाव में रहना
दर्दनाक घटना के बाद हमेशा तनाव में रहना भी एएसडी का एक लक्षण हो सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई आ सकती है. इतना ही नहीं व्यक्ति घटना के बाद चिड़चिड़ा हो सकता है. एएसडी से पीड़ित लोग हमेशा चिंता, तनाव और डिप्रेशन में रह सकते हैं.
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भूख न लगना
दर्दनाक घटना के बाद कई लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं. इस स्थिति में उन्हें भूख कम लगती है. साथ ही वजन भी कम होने लगता है. इस स्थिति में उन्हें बेचैनी और थकान महसूस हो सकती है. ये स्थितियां भी एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर का लक्षण हो सकती हैं.
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