ऐन्हेडोनिया - Anhedonia in Hindi

written_by_editorial

August 26, 2020

March 29, 2022

ऐन्हेडोनिया
ऐन्हेडोनिया

ऐन्हेडोनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति उन कार्यों में रुचि खो देते है जिनका कुछ समय पहले वह आनंद लिया करता था। दूसरे शब्दों में इसे आनंद अनुभति करने की क्षमता में कमी के रूप में जाना जा सकता है। विशेषज्ञ इस स्थिति को डिप्रेशन का प्रमुख लक्षण मानते हैं, हालांकि यह अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों का भी लक्षण हो सकता है। कुछ ऐसे लोगों के मामले भी सामने आ चुके हैं जिन्हें ऐन्हेडोनिया की शिकायत तो है पर अन्य कोई मानसिक विकार नहीं है।

ऐन्हेडोनिया का शिकार व्यक्ति अलग प्रकार का अनुभव करता है। व्यक्ति के लिए उन चीजों से खुशी प्राप्त कर पाना असंभव हो जाता है जो कभी उसे बहुत आनंदित कर देती थीं जैसे कि संगीत, सेक्स, भोजन और लोगों से बातचीत करना आदि। कई सारे शोध से यह भी साबित हो चुका है कि ऐन्हेडोनिया के कारण आत्महत्या करने का जोखिम भी बढ़ जाता है। ऐसे लोगों के लिए जीवन में आनंद के विषय को ढूंढ पाना काफी मुश्किल हो जाता है जो उन्हें अंदर ही अंदर काफी परेशान करता रहता है।

इस लेख में हम ऐन्हेडोनिया के प्रकार, लक्षण और इसके इलाज के बारे में जानेंगे।

ऐन्हेडोनिया के प्रकार - Types of Anhedonia in Hindi

ऐन्हेडोनिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है।

सोशल ऐन्हेडोनिया : इस स्थिति में व्यक्ति दूसरे लोगों के साथ उठने-बैठने से कतराता है।

फिजिकल ऐन्हेडोनिया : इस स्थिति में व्यक्ति शारीरिक संवेदनाओं का आनंद नहीं प्राप्त कर पाता है। उदाहरण के लिए किसी दोस्त से गले लगाने पर आप आराम महसूस करने के बजाय खुद को अकेला पाते हैं। आपको अपने पसंदीदा खाने वाली चीजें बिना स्वाद के लगने लगती हैं। यहां तक कि व्यक्ति सेक्स अपील को भी धीरे-धीरे खोने लगता है।

ऐन्हेडोनिया की स्थिति में दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रिश्ते खराब होने लगते हैं। वह व्यक्ति लोगों से मिलना-जुलना, संगीत कार्यक्रमों, पार्टियों आदि में शामिल होने से बचने लगता है। उसे ऐसा लगता है कि लोगों से मिलकर या फिर कार्यक्रमों में शामिल होने से क्या लाभ होने वाला है? ऐन्हेडोनिया के शिकार व्यक्ति को सोशल एंग्जाइटी होने लगती है। उसे ऐसा लगने लगता है कि वह नए लोगों से मिलते समय उनके समाज में खुद को फिट नहीं कर पा रहा है।

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ऐन्हेडोनिया के लक्षण - Anhedonia symptoms in Hindi

किसी भी विषय में आनंद प्राप्त न कर पाना ऐन्हेडोनिया का प्रमुख लक्षण है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति सामाजिक और पारिवारिक दूरियां बनाने लगता है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं।

  • सामाजिक दूरी बना लेना
  • रिश्तों का टूटना या पहले के रिश्तों को बनाए रख पाने में असमर्थता
  • अपने और दूसरों के प्रति नकारात्मक भावनाएं
  • भावनात्मक अभिव्यक्ति में कमी।
  • सामाजिक परिस्थितियों में स्वयं को फिट कर पाने में कठिनाई
  • कामेच्छा की कमी
  • लगातार अन्य शारीरिक समस्याओं का बने रहना, जैसे अक्सर बीमारी, दर्द आदि

उपरोक्त लक्षणों के आधार पर ऐन्हेडोनिया की पहचान की जा सकती है। व्य​क्ति में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। ऐन्हेडोनिया का शिकार व्यक्ति जिन कार्यक्रमों का पहले बड़ी उत्सुकता से इंतजार करता था, उसमें भी उसकी रुचि खत्म होने लगती है।

ऐन्हेडोनिया के कारण - Causes of Anhedonia in Hindi

एन्हेडोनिया और अवसाद को आपस में जोड़कर देखा जाता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि जिन्हें एन्हेडोनिया हो उन्हें डिप्रेशन की भी शिकायत हो। इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि अवसाद का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक्स दवाएं भी एन्हेडोनिया का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा सिज़ोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को भी एन्हेडोनिया का खतरा रहता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि दिमाग की गतिविधि और एन्हेडोनिया का गहरा संबंध होता है। मस्तिष्क के डोपामाइन के उत्पादन या प्रतिक्रिया करने के तरीके से आपको यह समस्या हो सकती है। डोपामाइन मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक रसायन होता है जो इंसान को खुश और अच्छा महसूस कराता है। चूहों पर किए गए कुछ प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स नामक हिस्से में डोपामाइन न्यूरॉन्स की उपस्थिति एन्हेडोनिया को विकसित कर सकती है। इसके अलावा कई प्रकार की दवाओं के सेवन, बहुत अधिक तनाव या चिंता के कारण भी एन्हेडोनिया की समस्या हो सकती है।

एन्हेडोनिया के जोखिम कारक - Risk Factors of Anhedonia in Hindi

परिवार में यदि किसी को अवसाद या सिज़ोफ्रेनिया की समस्या रह चुकी हो तो अन्य लोगों को एन्हेडोनिया का खतरा बढ़ जाता है। एन्हेडोनिया के खतरे को बढ़ाने वाले कुछ कारक निम्न हो सकते हैं।

  • हाल में ही ​कोई दुर्घटना अथवा कोई ऐसी घटना, जिसका दिमाग पर गहरा प्रभाव हुआ हो।
  • उपेक्षा या दुर्व्यवहार का शिकार व्यक्ति।
  • जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली कोई बीमारी।
  • किसी अन्य गंभीर बीमारी का शिकार।
  • खान-पान संबंधी विकार।
  • पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को एन्हेडोनिया का खतरा अधिक रहता है।
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एन्हेडोनिया का निदान - Diagnosis of Anhedonia in Hindi

एन्हेडोनिया के निदान के लिए डॉक्टर आपसे बीमारी के लक्षणों और सामान्य मनोदशा के बारे में सवाल पूछ सकते हैं। डॉक्टर से मिलने से पहले उन लक्षणों की सूची बना लेना बेहतर होता है, जिसे आप सामान्य रूप से अनुभव करते हैं। इससे बीमारी का निदान करना आसान हो जाता है।

लक्षणों और अनुभवों के बारे में जानने के बाद डॉक्टर आवश्यकतानुसार शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। इससे यह समझने में आसानी होती है कि शरीर में किसी प्रकार की अन्य कोई समस्या तो नहीं है? इसके अतिरिक्त, विटामिन की कमी या थायराइड की समस्या को  जानने के लिए रक्त परीक्षण कराया जा सकता है। मूड विकार में विटामिन की कमी या थायराइड एक विशेष कारक हो सकता है।

एन्हेडोनिया का इलाज - Treatment of Anhedonia in Hindi

एन्हेडोनिया का कोई विशेष इलाज नहीं है, ऐसे में यह काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस स्थिति में शुरुआती स्तर पर अवसाद जैसे मानसिक विकारों का उपचार किया जाता है जो एन्हेडोनिया के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। शुरुआती स्तर में उन सभी विकारों पर ध्यान केंद्रित कर इलाज किया जाता है जो एन्हेडोनिया के संभावित कारक हो सकते हैं। यदि आपके चिकित्सक को बीमारी के पीछे किसी प्रकार की चिकित्सकीय समस्या समझ नहीं आती है तो ऐसी स्थिति में वह आपको किसी साइकेट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।

इलाज के रूप में एंटीडिप्रेसेंट जैसी दवाएं दी जाती हैं। आवश्यकतानुसार इलाज में कुछ अन्य दवाओं को भी शामिल किया जा सकता है। इन दवाओं का विभिन्न तरीके से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव देखने को मिलता है। एक दवा जो आप पर काम करती है, हो सकता है वह समान लक्षणों वाले किसी और पर उतनी प्रभावी न हो। ऐसे में डॉक्टर से नियमित रूप से संपर्क में बने रहें।

एन्हेडोनिया के उपचार का एक अन्य माध्यम है थेरपी। डॉक्टर रोगी को इलेक्ट्रोकोनवल्सी थेरेपी (ईसीटी) दे सकते हैं। ईसीटी अवसाद के लिए सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका उपयोग शुरुआती स्तर पर ही शुरू कर देना चाहिए। एन्हेडोनिया के ऐसे रोगी जो अवसादग्रस्तता के भी शिकार हैं, उन पर यह काफी प्रभावी हो सकता है। इस उपचार की प्रक्रिया में रोगी के सिर पर इलेक्ट्रोड लगाता है और फिर उसमें विद्युत प्रवाह किया जाता है। मुख्य रूप से ईसीटी का प्रयोग तभी किया जाता है जब दूसरे उपचार के माध्यमों का कोई विशेष प्रभाव दिखाई न दे।

इलाज का आखिरी विकल्प वेगस नर्व स्टीमुलेशन (वीएनएस) है। इसमें रोगी की छाती में पेसमेकर जैसा एक उपकरण लगाया जाता है। यह उपकरण नियमित रूप से विद्युत आवेग पैदा करते हैं जिससे मस्तिष्क को उत्तेजित रखा जा सकता है।



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