कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में हमारा जीवन किसी सुरंग-क्षेत्र में चलने जितना मुश्किल हो गया है। रोगाणु तो पहले भी हमारे आसपास और हमारे शरीर के अंदर रहते थे। लेकिन हममें से अधिकांश लोगों को इससे पहले किसी भी तरह के संक्रमण का इतना खतरा महसूस नहीं हुआ होगा।
इस महामारी की वजह से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर जो बोझ पड़ा है उसे कम नहीं समझना चाहिए। वैसे तो बीमारी हमारे जीवन का एक सामान्य हिस्सा है लेकिन हकीकत यही है कि यह एक नया वायरस और नई बीमारी है जिसने हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को किनारे पर धकेल दिया है, चिकित्सा और सामुदायिक समर्थन वैसा नहीं है जैसा कि सामान्य दिनों में होता है। इसके अतिरिक्त, कोविड-19 से बचने के लिए हर वक्त सावधानी बरतना है- इसे याद रखना थकावट से भरा अनुभव हो सकता है।
(और पढ़ें- महामारी कैसे खत्म होती है)
अहम सवाल यह है कि आखिर इन सारी चीजों को मैनेज करने का तरीका क्या है? हर किसी का तनावपूर्ण स्थितियों से मुकाबला करने का अपना अलग तरीका होता है और आगे बढ़ने और इसका सामना करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं है। लेकिन इसका सामने करने के कई स्वास्थ्यप्रद तरीके हैं क्योंकि अगर इस दौरान आप बहुत ज्यादा तनाव लेंगे या चिंता करेंगे तो आपकी स्थिति और बदतर हो जाएगी। ऐसे में आप ध्यान यानी मेडिटेशन के माध्यम से महामारी से जुड़े इस तनाव को कुछ कम कर सकते हैं।
ध्यान के कई रूप हैं जिसने वैश्विक स्तर पर काफी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली है। यह सुझाव देने के लिए कई ठोस सबूत मौजूद हैं कि ध्यान करने से दिमाग और शरीर दोनों मिलकर तनाव को बेहतर तरीके से संभाल पाते हैं और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने में लचीलापन भी बढ़ता है। इस सुझाव के भी कई प्रमाण मौजूद हैं कि ध्यान, शारीरिक रोगों के लक्षणों को भी कम कर सकता है।
(और पढ़ें- अगर ये 10 चीजें करेंगे तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे)
ध्यान की खासियत यही है कि इसे कोई भी कर सकता है और इसे दिन के किसी भी समय किया जा सकता है क्योंकि इसे करने में आपका सिर्फ कुछ मिनटों का ही समय लगता है। वैसे तो ध्यान के कई रूप हैं, लेकिन इसका केंद्रीय विचार यही है कि मन की इधर-उधर भटक कर चिंतन-मनन करने की प्रवृत्ति को कम किया जाए- इसका उद्देश्य नकारात्मक विचारों के दुष्चक्र के कारण होने वाले नुकसान को कम करना है और इसके लिए मन को अधिक ग्रहणशील बनाना है ताकि जब तनाव उत्पन्न हो तो उससे अधिक रचनात्मक तरीके से कैसे निपटना है यह मन को पता हो।
ध्यान को आभास या प्रतिबिंब का एक अत्यंत व्यक्तिगत रूप माना जाता है और आप शुरू में इसे किसी भी तरह से देख सकते हैं जो आपको फिट लगता हो। धीरे-धीरे आपको समझ में आने लगेगा कि आप इस व्यायाम से क्या चाहते हैं और आप अपने विचारों में गहराई तक उतर सकते हैं।
(और पढ़ें- तनाव के लिए योग)