प्रत्येक व्यक्ति को योग जरूर करना चाहिए. योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है. योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान लगाना शामिल होता है. आपने कई ऐसे योगासनों के बारे में सुना होगा, जो मांसपेशियों के लिए अच्छे होते हैं. इसमें विपरीत शलभासन भी शामिल है. इस आसन को करने से पीठ, पेट और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

आज इस लेख में आप विपरीत शलभासन को करने का तरीका, फायदे और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. विपरीत शलभासन क्या है?
  2. विपरीत शलभासन के फायदे
  3. विपरीत शलभासन करते हुए रखें ये सावधानियां
  4. सारांश
विपरीत शलभासन के फायदे व करने का तरीका के डॉक्टर

स्वस्थ रहने के लिए विपरीत शलभासन किया जा सकता है. इस आसन को सुपरमैन पोज भी कहा जाता है. इस पोज में व्यक्ति सुपरमैन की तरह उड़ता हुआ प्रतीत होता है. विपरीत शलभासन करने से पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, इसलिए आपको इसे अपने फिटनेस रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए.

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विपरीत शलभासन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है. इस योगासन को करने से पीठ के निचले हिस्से, ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग की मसल्स मजबूत बनती हैं. रोजाना विपरीत शलभासन करने से मिलने वाले फायदे इस प्रकार हैं -

रीढ़ की हड्डी के लिए विपरीत शलभासन के फायदे

विपरीत शलभासन रीढ़ के लिए फायदेमंद हो सकता है. इस योगासन की रेगुलर प्रैक्टिस से रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है. इससे रीढ़ को सहारा मिलता है. इसके अलावा, विपरीत शलभासन करने से इरेक्टर स्पाइन की मसल्स भी मजबूत बनती हैं.

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पोश्चर में सुधार के लिए विपरीत शलभासन के फायदे

विपरीत शलभासन करने से पीठ की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. जब पीठ की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, तो इससे पोस्टुरल डेविएशन रुक सकता है. दरअसल, पोस्टुरल डेविएशन होने पर पोश्चर खराब हो सकता है और व्यक्ति को असुविधा महसूस हो सकती है. ऐसे में विपरीत शलभासन पोश्चर में सुधार कर सकता है.

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चोट के लिए विपरीत शलभासन के फायदे

अगर आप रोजाना विपरीत शलभासन का अभ्यास करेंगे, तो इससे चोट से बच सकते हैं. यह योगासन कोर मसल्स को मजबूत बनाता है. दरअसल, पीठे के निचले हिस्से पर खिंचाव कम करने के लिए कोर का मजबूत होना जरूरी होता है. कमजोर कोर मसल्स पर चोट जल्दी लग सकती है और दर्द हो सकता है. अगर कोर मसल्स मजबूत रहेंगी, तो जल्दी से चोट नहीं लगेगी.

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मजबूत पैर व नितंब के लिए विपरीत शलभासन के फायदे

अपने दोनों पैरों और नितंबों को मजबूत बनाने के लिए आप विपरीत शलभासन कर सकते हैं. इस योगासन को करने से आपके पैरों की स्ट्रेंथ बढ़ती है, आपको मजबूती प्रदान होती है. साथ ही विपरीत शलभासन ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग को भी मजबूत बनाता है.

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विपरीत शलभासन करने का तरीका

इस आसन काे करने का तरीका नीचे क्रमवार बताया गया है -

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछा लें.
  • योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं.
  • अपने पैरों को बिल्कुल सीधा रखें और थोड़ी-सी दूरी बनाकर रखें.
  • अपने हाथों को सामने की तरफ रखें. 
  • इसके बाद सिर को सामान्य स्थिति में रखें. आसमान की तरफ न देखें.
  • अब अपने हाथों और पैरों को धीरे-धीरे जमीन से लगभग 6 इंज ऊपर उठाएं.
  • इस अवस्था में तब तक बने रहें, जब तक आप अपनी पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को सिकुड़ता हुए महसूस न करें.
  • अपने ग्लूट्स, कोर और मांसपेशियों में खिंचाव महसूस करें.
  • अपनी नाभि को जमीन से ऊपर उठाएं. सांस लें और छोड़ें.
  • इस स्थिति में आपको ऐसा महसूस होगा, जैसे सुपरमैन हवा में उड़ रहा है.
  • अब इस पोजिशन में 2-3 सेकंड के लिए रुकें. 
  • फिर अपने हाथों, पैरों और पेट को वापस जमीन पर ले आएं. 
  • इसके 8-10 रैप्स लगाएं और 2-3 सेट करें.

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विपरीत शलभासन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ खास लोगों को यह योगासन नहीं करना चाहिए, अन्यथा तकलीफ हो सकती है -

  • अगर लंबे समय से पीठ के निचले हिस्से में दर्द है, तो इस आसन को करने से बचें.
  • इसके अलावा, जिन लोगों की हाल ही में पीठ के निचले या ऊपरी हिस्से में चोट लगी है, उन्हें भी इसे करने से बचना चाहिए.
  • जिन लोगों को पेट, हैस्ट्रिंग या ग्लूट्स में हाल ही में चोट लगी है, वो विपरीत शलभासन करने से बचें.
  • अगर आप गर्भवती हैं, तो दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान इस योगासन को करने से बचें. इससे पेट पर अधिक दबाव पड़ सकता है. 
  • कंधे में दर्द की स्थिति में भी विपरीत शलभासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.

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विपरीत शलभासन को आसानी से घर में भी किया जा सकता है. इसे करने के लिए आपको किसी भी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है. इस आसन में आप सुपरमैन की तरह उड़ते हुए प्रतीत हो सकते हैं. अपने पैरों, पीठ और नितंब को मजबूत बनाने के लिए आपको इस योगासन को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करना चाहिए, लेकिन शुरुआत में इसे किसी एक्सपर्ट या योग गुरु की देखरेख में ही करें.

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Dr. Smriti Sharma

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