भारत में प्राचीन काल से ही योग एक ऐसे ज्ञान के रूप में प्रचलित है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। योग में कई ऐसी क्रियाओं का जिक्र मिलता है जो आप सभी को बीमारियों से दूर रखने के लिए उपयोगी मानी जाती है। योग और आयुर्वेद आपके शरीर को साफ रखने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताते हैं। श्वसन प्रणाली को साफ रखने और नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जल नेति क्रिया की जाती है। प्राचीन भारत में योगियों द्वारा श्वसन रोगों को रोकने और दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इस क्रिया से आप नाक व सांस से संबंधी कई बीमारियों और संक्रमण को दूर कर सकते हैं।

तो आगे जानते हैं कि जल नेति क्रिया क्या होती है? इसको करने का तरीका क्या है? जल नेति से आपको क्या फायदे और नुकसान होते हैं और इसको करते समय आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

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  1. जल नेति क्रिया क्या है? - Jal neti kriya kya hai
  2. जल नेति से लाभ - Benefits of jal neti in Hindi
  3. जल नेति के नुकसान - Jal neti ke nuksan
  4. जल नेति क्रिया करने का सही तरीका - Jal neti kriya karne ka sahi tarika
  5. जल नेति कितनी बार करें? - Jal neti kitni baar kare
  6. जल नेति करने में सावधानी - Jal neti karne me savdhani barte
  7. सारांश

व्यक्ति के लिए कई तरह के शुद्धिकरण सत्कर्मों का जिक्र किया गया है। जल नेति क्रिया इन्हीं सत्कर्मों का हिस्सा है। शुद्धिकरण के सत्कर्मों की छह प्रक्रियाओं में इसको भी शामिल किया जाता है। जल नेति क्रिया आपके नासिका पथ में होने वाले संक्रमण और रूकावट को दूर करती है। मौसम के बदलाव के दौरान या ठंडा या गर्म मौसम में कई लोगों को नाक बंद होने की समस्या से परेशान होना पड़ता है। इस तरह की परेशानी को दूर करने के लिए आपको नियमित जल नेति क्रिया का अभ्यास करना चाहिए। इस क्रिया में आप नाक के एक नथुने में पानी डालते हैं और दूसरे नथुने से इस पानी को बाहर निकालते हैं। बारी-बारी से नाक के दोनों छेद में यह क्रिया की जाती है। इससे आपकी श्वसन प्रणाली में होने वाले कीटाणु और धूल बाहर आ जाते हैं। श्वसन प्रणाली की गंदगी आपकी नाक में सूजन व सांस से संबंधी अन्य विकारों को उत्पन्न कर सकती है। इतना ही नहीं इस क्रिया को करने के बाद आप साइनस जैसे रोग से भी सुरक्षित रहते हैं।

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जल नेति करने के कई तरह के फायदे होते हैं। इससे श्वसन प्रणाली ठीक होती हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। जल नेति करने के फायदों के बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

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  1. श्वसन प्रणाली को ठीक करें -
    सांस लेने में मुश्किल होने से आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। जिससे आप किसी भी काम को करने में सहज नहीं हो पाते हैं। जल नेति क्रिया से आप नासिका पथ को साफ करते हैं। इसके साफ होने से आपकी श्वसन प्रणाली मजबूत बनती है और आप आसानी से सांस ले सकते हैं।
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  2. अस्थमा के लिए उपयोगी -
    जल नेति क्रिया अस्थमा रोगियों के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है। इस क्रिया के अभ्यास से अस्थमा के रोगियों को सांस लेने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है।
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  3. संक्रमण को दूर करती है जल नेति -
    जल नेति क्रिया को नियमित करने वाले व्यक्ति आंखों, कानों और नाक के संक्रमण से बचे रहते हैं।
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  4. ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) रोगियों के लिए लाभकारी -
    ब्रोंकाइटिस रोग में व्यक्ति की नाक, मुंह और फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने वाले मार्ग में बाधा उत्पन्न हो जाती है। जल नेति क्रिया से इस रोग के कारणों को दूर किया जा सकता है और रोगी नाक से पहले के मुकाबले बेहतर तरह से सांस ले सकता है।
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  5. माइग्रेन में सहायक –
    जल नेति क्रिया करने से आपके मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मस्तिष्क जल्दी नहीं थकता है। इस क्रिया को करने से आपका मस्तिष्क लंबे समय तक बेहतर काम करता सकता है और ज्यादा देर तक शांत रह सकता है। इतना ही नहीं इससे माइग्रेन की समस्या भी धीरे-धीरे दूर हो जाती है।

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जल नेति से आपको कई तरह के फायदे मिलते हैं, लेकिन इस क्रिया के फायदों के साथ ही कुछ नुकसान भी होते हैं। इसमें सामान्यतः जल नेति के लिए प्रयोग किए जाने वाले बर्तन से संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अन्य नुकसान के बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. गर्म पानी से जलन होना - जल नेति में प्रयोग होने वाला गर्म पानी यदि अधिक गर्म हो या उस पानी में नमक की मात्रा अधिक हो, तो वह आपकी नाक के अंदर जलन कर सकता है।
     
  2. नाक से खून आना – जल नेति के पानी में नमक की मात्रा अधिक होने से यह आपके नाक से खून आने की समस्या को और बढ़ा सकती है। इसके साथ ही साथ बर्तन को ठीक से न पकड़ने पर भी यह आपकी नाक में चोट पहुंचा सकता है और इससे आपकी नाक से खून भी आ सकता है।
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  3. आंखों और कानों में दर्द होना – जल नेति में इस्तेमाल होने वाला नमक का पानी सही तरह से बाहर न आए तो यह कई अन्य परेशानियों का कारण बन सकता है। इससे आपको कान में दर्द, चक्कर आना और आंखों में जलन महसूस हो सकती है।
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  4. जल नेति से संक्रमण होना – जल नेति के लिए प्रयोग में लाएं जाने वाले बर्तन में यदि कीटाणु होते हैं तो वह कीटाणु जल नेति क्रिया के दौरान सीधे आपकी नाक के अंदर जा सकते हैं। इससे आपको कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं।
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इस क्रिया के नुकसान से बचने के लिए आपको यह क्रिया किसी एक्सर्ट की देखरेख में करनी चाहिए। इसके अलावा इस क्रिया में प्रयोग में लाए जाने वाला बर्तन हर बार साफ करके ही इस्तेमाल करना चाहिए।

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जिस तरह से किसी भी काम को करने के लिए उसके सही तरीके को अपनाया जाना बेहद जरूरी होता है, ठीक वैसे ही जल नेति क्रिया को सही तरीके से करना आवश्यक होता है। जल नेति क्रिया को सही तरीके से करने पर ही आपको इसके लाभ मिलते हैं। इसका अभ्यास करने के लिए आपके पास एक लंबी नली वाला लोटा या कोई अन्य बर्तन होना चाहिए। लंबी और पतली नली वाले लोटे से आप आसानी से अपने नथुने में पानी डाल सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि जल नेति में तांबे के लोटे का इस्तेमाल करने से अधिक लाभ मिलता है। इस क्रिया को करने से पहले निम्न चीजों की जरूरत पड़ती है।

  • हल्का गर्म पानी
  • जल नेति के लिए पतली व लंबी नली का लोटा
  • चुटकी भर नमक

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इस क्रिया को करने से पहले आपको लोटे में हल्का गर्म पानी व थोड़ा सा नमक मिलाकर इसे भर लेना चाहिए।

विशेषज्ञों के द्वारा जल नेति करने का सही तरीका आगे बताया जा रहा है।

  1. आप इस क्रिया को बैठकर कर सकते हैं। बैठने से इस क्रिया में आपके हिलने की संभावनाएं कम हो जाती है। इसके अलावा आप आगे की ओर झुककर भी इसको कर सकते हैं। इसको करने से पहले पानी के बहाव को जांच ले कि वह सही तरह से बाहर आ रहा है या नहीं।
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  2. लोटे से पानी निकलने की पतली और लंबी नली को आप अपने नथुने पर सटा कर रखें, ताकि इस क्रिया में पानी अंदर डालते समय आपको किसी तरह की परेशानी न हो।
     
  3. अगर आप बाएं नथुने से पानी अंदर की तरफ डाल रहें हैं तो आपको अपने सिर को हल्का सा दाईं ओर झुकाना होगा। इसके साथ ही आपको अपने मुंह से सांस लेनी होगी। पानी नीचे गिरने के दौरान शरीर को ज्यादा न हिलाएं और धीरे-धीरे करके पानी को अंदर डालें।
     
  4. बाएं तरफ के नथुने से पानी अंदर डालने और दाईं तरफ से पानी बाहर निकालने की प्रक्रिया पूरी हो जाए तो इसको दूसरे नथुने से दोहराएं।

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जल नेति क्रिया को आप एक दिन में तीन बार कर सकते हैं। लेकिन सुबह नाश्ता करने से पहले जल नेति करने से अधिक फायदे मिलते हैं। इसको आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर हर सुबह नहाने या ब्रश करने के बाद भी कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जल नेति सुबह करने से आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं। इसके साथ ही साथ आपका मन सभी कार्यों में स्थिर रहता है।

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जल नेति को पहली बार करते समय आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसको करते समय क्या सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, इस बारे में नीचे बताया जा रहा है।

  1. इस क्रिया को करने के बाद आपकी नाक के अंदर की त्वचा शुष्क (Dry) हो सकती है।
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  2. जिन व्यक्तियों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो उनको इस क्रिया को करते समय ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। अगर आपको शुष्क नाक के कारण चक्कर आने लगे तो आप एक जगह पर रूक जाएं या सीधे खड़े हो जाएं।
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  3. इस क्रिया में आपकी नाक के अंदर पानी की एक बूंद भी नहीं रहनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो आपको संक्रमण होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। 
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  4. सभी तरह की योग क्रियाओं की तरह जल नेति क्रिया भी किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही करनी चाहिए।
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जल नेति आपकी श्वसन प्रणाली को ठीक करती हैं। यह क्रिया आपके शरीर, मन और आत्मा में तालमेल बैठाने का काम करती है। इस क्रिया का अभ्यास नाक या सांस की समस्या होने पर ही नहीं, बल्कि आपको इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए।

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जल नेति एक प्राचीन योगिक क्रिया है जिसमें नमक मिले गुनगुने पानी का उपयोग करके नाक के मार्ग को साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया में विशेष नेति पॉट का उपयोग किया जाता है, जिससे एक नासिका द्वार से पानी डालकर उसे दूसरी नासिका द्वार से बाहर निकाला जाता है। जल नेति साइनस, एलर्जी, सर्दी और बंद नाक की समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। यह श्वसन तंत्र को साफ और स्वस्थ रखता है, साथ ही मानसिक शांति और स्पष्टता भी प्रदान करता है। जल नेति नियमित रूप से करने से सांस लेने में आसानी होती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। इस प्रक्रिया को करने से पहले योग विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होता है।

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