इंसान के जीवित रहने और पूरी तरह से स्वस्थ रहने के लिए उसके इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र का बेहतर तरीके से काम करना बेहद जरूरी है। प्रतिरक्षा प्रणाली के बिना हमारे शरीर पर बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवियों का आसानी से हमला हो सकता है। हमारा शरीर जब इतने सारे रोगाणुओं के बीच घूमता है तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र ही हमें इनसे बचाकर स्वस्थ रखता है। हमारा इम्यून सिस्टम कोशिकाओं और प्रोटीन्स के एक जटिल जाल की तरह है जो शरीर को संक्रमण से बचाता है।

इतना ही नहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारा इम्यून सिस्टम हर एक कीटाणु या रोगाणु जिसे उसने कभी हराया होगा उन सबका रेकॉर्ड रखता है ताकि अगर वह कीटाणु या रोगाणु दोबारा शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करे तो हमारा इम्यून सिस्टम बिना समय गंवाए उसे तुरंत हरा पाए। कोशिकाएं, उत्तक, प्रोटीन और अंगों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क या यूं कहें कि जाल है जो हमेशा बाहरी आक्रमणकारियों की तलाश करता है और जैसे ही कोई दुश्मन नजर आता है, उस पर जटिल तरीके से हमला किया जाता है। 

आसान शब्दों में समझें तो इम्यून सिस्टम किसी भी तरह के संक्रमण के खिलाफ शरीर का खुद को बचाने का एक सिस्टम है क्योंकि जैसे ही कोई रोगाणु या कीटाणु का शरीर पर हमला होता है तो इम्यून सिस्टम उस कीटाणु पर वार कर उसे शरीर में प्रवेश करने से रोकता है और हम बीमार पड़ने से बच जाते हैं। तो आखिर हमारा इम्यून सिस्टम कैसे काम करता है, इम्यून सिस्टम के अहम हिस्से कौन-कौन से हैं, इम्यून सिस्टम कितने तरह का होता है इन सभी के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

  1. इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) के अहम हिस्से कौन-कौन से हैं? - Parts of immune system in hindi
  2. इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) कैसे काम करता है? - How does immune system function in hindi
  3. इम्यून सिस्टम कितने तरह का होता है? - Types of immune system in hindi
  4. इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) से जुड़ी कॉमन गड़बड़ियां - Immune system disorder in hindi
इम्यून सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है के डॉक्टर

इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम कई खास तरह के अंग, कोशिकाएं, उत्तक और केमिकल्स से मिलकर बना होता है ताकि वे किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो सकें। प्रतिरक्षा प्रणाली के ये अहम हिस्से हैं:

  1. सफेद रक्त कोशिकाएं (वाइट ब्लड सेल्स wbc)
  2. एंटीबॉडीज
  3. पूरक तंत्र (कॉम्प्लिमेंट सिस्टम)
  4. लसीका तंत्र (लिम्फैटिक सिस्टम)
  5. स्प्लीन
  6. बोन मैरो
  7. बाल्यग्रंथि (थाइमस)

1. सफेद रक्त कोशिकाएं
हमारे इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा तंत्र में सबसे अहम किरदार निभाने वाले हिस्से का नाम है सफेद रक्त कोशिकाएं (वाइट ब्लड सेल्स wbc) जिन्हें लूकोसाइट्स भी कहते हैं। ये डब्लूबीसी बोन मैरो के अंदर बनता है और लसीका तंत्र यानी लिम्फैटिक सिस्टम का हिस्सा होता है। सफेद रक्त कोशिकाएं खून और उत्तकों के माध्यम से शरीर के हर एक हिस्से तक पहुंचती हैं और बाहरी आक्रमणकारियों जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगस की खोज करती रहती हैं। जैसे ही ये बाहरी आक्रमणकारी सफेद रक्त कोशिकाओं को मिल जाते हैं वे उन पर इम्यून अटैक करती हैं। 

(और पढ़ें : बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या है कैसे होता है, जानें)

सफेद रक्त कोशिकाएं 2 तरह की होती हैं:
फैगोसाइट्स :
 ये कोशिकाएं रोगाणु को घेरकर उसे सोख लेती हैं और फिर उन्हें तोड़कर खा जाती हैं। फैगोसाइट्स कोशिकाएं भी 4 तरह की होती हैं- न्यूट्रोफिल्स जो सबसे कॉमन है और बैक्टीरिया पर हमला करती हैं, मोनोसाइट्स जो सबसे बड़ी तरह की कोशिका होती है और उनका कई तरह का काम होता है, मैक्रोफेजेस जो गश्त लगाकर रोगाणुओं की खोज करती है और साथ ही में मृत कोशिकाओं को हटाने का भी काम करती है, मास्ट कोशिकाएं जो रोगाणुओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही घाव को भी भरने में मदद करती हैं। 

लिम्फोसाइट्स : ये कोशिकाएं पुराने आक्रमणकारियों को याद रखने और अगर वे वापस आए तो उनकी पहचान करने में शरीर की मदद करती हैं। लिम्फोसाइट्स कोशिकाएं भी 2 तरह की होती हैं- बी लिम्फोसाइट्स जो एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं और टी लिम्फोसाइट्स को अलर्ट करने में मदद करती हैं और दूसरी है टी लिम्फोसाइट्स जो शरीर में मौजूद जोखिम वाली कोशिकाओं को नष्ट कर दूसरी सफेद रक्त कोशिकाएं या लूकोसाइट्स की मदद करती हैं।

2. एंटीबॉडीज
एंटीबॉडीज को इम्यूनोग्लोबुलिन्स भी कहते हैं और बी लिम्फोसाइट्स द्वारा इनका निर्माण किया जाता है। एंटीबॉडीज एक तरह के प्रोटीन हैं जो रोगाणुओं से लड़ने में और उनके द्वारा उत्पन्न किए गए जहरीले तत्वों से शरीर को बचाने में मदद करते हैं। ऐसा करने के लिए वे रोगाणु की सतह पर मौजूद खास तरह के तत्व एंटीजेन की पहचान कर उस पर ताला लगा सकते हैं और उसके बाद बिना किसी मदद के उसे समाप्त भी कर सकते हैं।

(और पढ़ें : एंटीजेन और एंटीबॉडीज क्या हैं, जानें)

3. पूरक तंत्र
पूरक तंत्र या कॉम्प्लिमेंट सिस्टम पूरी तरह से प्रोटीन से बना होता है और इनका काम एंटीबॉडीज द्वारा किए गए कार्यों को बढ़ाना या उनके पूरक कार्य करना है।

4. लसीका तंत्र
लसीका तंत्र या लिम्फैटिक सिस्टम पूरे शरीर में मौजूद बेहद बारीक और नाजुक ट्यूब्स का एक तंत्र है और यह तंत्र 3 चीजों से बना होता है। पहला- लिम्फ नोड्स या ग्लैंड्स जो रोगाणुओं को जाल में फंसाता है, लिम्फ नलिका जिसमें रंगहीन तरल पदार्थ होता है जिसमें इंफेक्शन से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं और तीसरा सफेद रक्त कोशिकाएं। इस सिस्टम का प्रमुख काम है-

  • शरीर में तरल पदार्थों के लेवल को मैनेज करना
  • बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिक्रिया देना
  • कैंसर कोशिकाओं से निपटना
  • उन सेल प्रॉडक्ट्स से निपटना जिनसे बीमारी होने का खतरा हो सकता है
  • आंत से फैट को सोखना

5. स्प्लीन
स्प्लीन या तिल्ली हमारे शरीर के खून को छानने वाला अंग है जो रोगाणुओं को हटाता है और पुरानी या क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। साथ ही यह इम्यून सिस्टम के बीमारी से लड़ने वाले तत्वों का भी निर्माण करता है जिसमें एंटीबॉडीज और लिम्फोसाइट्स शामिल हैं।

6. बोन मैरो
बोन मैरो या अस्थि मज्जा हड्डियों के अंदर पाया जाने वाला स्पंज के समाज एक ऊतक है। यह उन लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है जिनकी हमारे शरीर को जरूरत होती है ऑक्सीजन ले जाने के लिए, सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है जिसका उपयोग हमारा शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए करता है और प्लेटलेट्स भी बनाता है जिसकी जरूरत होती है खून का थक्का बनाने में।

7. बाल्यग्रंथि या थाइमस
थाइमस हमारे खून को छानता है और ब्लड के कॉन्टेंट पर नियमित रूप से नजर भी रखता है। यह टी-लिम्फोसाइट्स नाम की सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन भी करता है।

Tulsi Drops
₹286  ₹320  10% छूट
खरीदें

इम्यून सिस्टम को गैर-स्वयं (नॉन सेल्फ) से स्वयं (सेल्फ) के बीच क्या अंतर है यह बताने में सक्षम होना जरूरी है। ऐसा करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली उन प्रोटीनों का पता लगाता है जो सभी कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं। यह प्रारंभिक अवस्था में अपने खुद को या खुद के प्रोटीन को अनदेखा करना सीखता है। ऐसे में एंटीजेन कोई भी बाहरी वस्तु या तत्व है जिसकी वजह से इम्यून रिस्पॉन्स या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। 

बहुत से मामलों में यह एंटीजेन बैक्टीरिया हो सकता है, फंगस हो सकता है, वायरस, टॉक्सिन या कोई भी बाहरी वस्तु हो सकती है। हालांकि यह कई बार शरीर की अपनी खुद की कोशिकाएं भी हो सकती हैं जो दोषपूर्ण हो गई हों या फिर मृत हों। शुरुआत में कई तरह की कोशिकाओं की एक श्रेणी एक साथ काम करती है ताकि एंटीजेन की बाहरी आक्रमणकारी के तौर पर पहचान की जा सके।

इसमें बी लिम्फोसाइट्स की भूमिका
एक बार जब बी लिम्फोसाइट्स एंटीजेन की पहचान कर लेते हैं उसके बाद वे एंटीबॉडीज का स्त्राव शुरू करते हैं। हर एक बी कोशिका एक खास तरह के एंटीबॉडी का निर्माण करती है। उदाहरण के लिए- एक बी कोशिका निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है तो दूसरी कॉमन कोल्ड वायरस की पहचान कर सकती है। 

इसमें टी लिम्फोसाइट्स की भूमिका
टी लिम्फोसाइट्स 2 तरह के होते हैं- हेल्पर टी सेल्स और किलर टी सेल्स।
हेल्पर टी सेल्स, इम्यून रिस्पॉन्स या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को समन्वित या समायोजित करने का काम करते हैं। इनमें से कुछ दूसरी कोशिकाओं के साथ संपर्क करते हैं, बी सेल्स को उत्तेजित करते हैं ताकि वे और ज्यादा एंटीबॉडीज का निर्माण कर सकें। बाकी और ज्यादा टी सेल्स या फैगोसाइट्स को आकर्षित करते हैं।

किलर टी सेल्स जैसा की नाम से ही पता चल रहा है दूसरी कोशिकाओं पर हमला करते हैं। वायरस से लड़ने में ये खासकर फायदेमंद साबित होती हैं। संक्रमित कोशिका की बाहर से ही पहचान कर ये टी सेल्स संक्रमित कोशिका को बर्बाद करती हैं।

हर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम एक दूसरे से अलग होता है लेकिन एक सामान्य नियम की ही तरह जैसे-जैसे व्यक्ति वयस्क होता जाता है उसका इम्यून सिस्टम भी समय के साथ विकसित और मजबूत होता जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि समय के साथ हमारा शरीर अलग-अलग रोगाणुओं के संपर्क में आकर और मजबूत हो जाता है और हमारी इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता भी विकसित होती जाती है। यही वजह है कि बच्चों की तुलना में वयस्क कम बीमार पड़ते हैं।

किसी रोगाणु के संपर्क में आकर जब एक बार कोई एंटीबॉडी बन जाती है तो उसकी एक कॉपी शरीर में रह जाती है ताकि अगर वही एंटीजेन फिर से हमला करे तो उसके खिलाफ बिना समय गंवाएं तुरंत निपटा जा सके। यही वजह है कि कुछ बीमारियां जब व्यक्ति को एक बार हो जाती हैं तो वह दोबारा नहीं होतीं क्योंकि शरीर में उसकी एंटीबॉडी जमा रहती है। इसे ही इम्यूनिटी कहते हैं।

(और पढ़ें : रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आसान उपाय)

इंसान के शरीर में 3 तरह की इम्यूनिटी होती है :
जन्मजात या इनेट :
हम सभी बाहरी आक्रमण के खिलाफ कुछ मात्रा में इम्यूनिटी के साथ पैदा होते हैं और इसलिए हमारा इम्यून सिस्टम शिशु के जन्म लेने के बाद से ही पहले दिन से काम करना शुरू कर देता है। यह एक सामान्य सुरक्षा की तरह होता है। उदाहरण के लिए- नवजात शिशु की स्किन कीटाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है और ये जन्मजात इम्यून सिस्टम उन खतरनाक बाहरी आक्रमणकारियों की पहचान करता है।

(और पढ़ें : बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)

अनुकूलनीय या अडैप्टिव : अनुकूलनीय या सक्रिय इम्यूनिटी जीवनभर विकसित होती रहती है। जब हमारा शरीर किसी बीमारी या रोगाणु से एक्सपोज होता है तो हम इस अनुकूलनीय इम्यूनिटी को विकसित करते हैं या फिर तब जब टीकाकरण के जरिए हमारे शरीर को निश्चित बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षित किया जाता है।

निष्क्रिय या पैसिव : इस तरह की इम्यूनिटी को हमारा शरीर किसी दूसरे स्त्रोत से उधार के तौर पर ग्रहण करता है और यह कुछ समय के लिए भी शरीर में मौजूद रहती है। उदाहरण के लिए- नवजात शिशु, जब गर्भ में होता है तो प्लैसेंटा के जरिए मां से एंटीबॉडीज प्राप्त करता है और पैदा होने के बाद मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे को अस्थायी इम्यूनिटी देती हैं उन बीमारियों के खिलाफ जिनसे मां एक्सपोज हो चुकी होती हैं। इससे बच्चा जीवन के शुरुआती दिनों में कुछ निश्चित संक्रमणों के खिलाफ बीमार पड़ने से बच जाता है। 

चूंकि इम्यून सिस्टम खुद में बेहद जटिल है लिहाजा कई संभावित कारण हैं जिसकी वजह से उसमें गड़बड़ियां होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम से जुड़े विकार को 3 कैटिगरी में बांटा जा सकता है:

इम्यूनोडिफिशिएंसी : यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा तंत्र का एक या अधिक हिस्सा सही ढंग से कार्य नहीं करता है। इम्यूनोडिफिशिएंसी की समस्या कई कारणों से हो सकती है जैसे- बढती उम्र, मोटापा और अल्कोहल की लत आदि। विकासशील देशों में कुपोषण भी इसका एक कारण है। एड्स बीमारी, अक्वायर्ड यानी अधिग्रहित इम्यूनोडिफिशिएंसी का एक उदाहरण है। कुछ मामलों में इम्यूनोडिफिशिएंसी की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है।

ऑटोइम्यूनिटी
ऑटोइम्यून या स्वप्रतिरक्षित परिस्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम या प्रतिक्षा तंत्र गलती से बाहरी आक्रमणकारी या दोषपूर्ण कोशिकाओं पर हमला करने की बजाए शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करने लगता है। ऐसी परिस्थिति में इम्यून सिस्टम स्वयं में और गैर-स्वयं में अंतर नहीं कर पाता। ऑटोइम्यून बीमारियों में सीलिएक डिजीज, टाइप 1 डायबिटीज, रुमेटायड आर्थराइटिस और ग्रेव्ज डिजीज शामिल है। 

हाइपरसेंसिटिविटी
हापरसेंसिटिविटी या अतिसंवेदनशीलता की स्थिति में इम्यून सिस्टम इस तरह से ओवररिऐक्ट करता है कि स्वस्थ कोशिकाएं भी क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। इसका उदाहरण- ऐनाफाइलैक्टिक शॉक है जिसमें शरीर एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्व के खिलाफ इतनी तीव्र प्रतिक्रिया देता है कि वह इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

Dr. Abhas Kumar

Dr. Abhas Kumar

प्रतिरक्षा विज्ञान
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Hemant C Patel

Dr. Hemant C Patel

प्रतिरक्षा विज्ञान
32 वर्षों का अनुभव

Dr. Lalit Pandey

Dr. Lalit Pandey

प्रतिरक्षा विज्ञान
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Shweta Jindal

Dr. Shweta Jindal

प्रतिरक्षा विज्ञान
11 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia [Internet]. US National Library of Medicine. Bethesda. Maryland. USA; Immune System and Disorders
  2. University of Babylon [Internet]. Iraq; White blood cells (WBCs) or Leukocytes
  3. Veda P. Why are neutrophils polymorphonuclear. European Journal of Inflammation. 2011; 9(2):85-93.
  4. British Society for Immunology [Internet]. London. UK; Public information
  5. Cincinnati Children's [Internet]. Cincinnati Children's Hospital Medical Center. Ohio; What is an Eosinophil?
  6. Berger Abi. Th1 and Th2 responses: what are they?. BMJ. 2000; 321:424.
  7. Cleveland Clinic [Internet]. Ohio. US; Lymphatic system
  8. University of Maryland Science Academy [Internet]. Maryland. US; Cells and organs of immune system
  9. Health direct [internet]. Department of Health: Australian government; Lymph nodes
  10. Lewis SM, Williams A, Eisenbarth SC. Structure and function of the immune system in the spleen. Sci Immunol. 2019;4(33):eaau6085. PMID: 30824527.
  11. Matejuk Agata. Skin Immunity. Arch Immunol Ther Exp (Warsz). 2018; 66(1): 45–54. PMID: 28623375.
  12. Microbiology Society [Internet]. London. Uk; Immune system
  13. Janeway CA Jr, Travers P, Walport M, et al. Immunobiology: The Immune System in Health and Disease. 5th edition. New York: Garland Science; 2001. Chapter 9, The Humoral Immune Response
  14. The biology Project: University of Arizona. [Internet]. Arizona. US; Antibody Structure
  15. Nemours Children’s Health System [Internet]. Jacksonville (FL): The Nemours Foundation; c2017; Blood Test: Immunoglobulins (IgA, IgG, IgM)
  16. Michigan Medicine [internet]. University of Michigan. US; Immunoglobulins
  17. Janeway CA Jr, Travers P, Walport M, et al. Immunobiology: The Immune System in Health and Disease. 5th edition. New York: Garland Science; 2001. Chapter 8, T Cell-Mediated Immunity
  18. Children's Hospital of Philadelphia [Internet]. Pennsylvania. US; Types of Immunity
  19. Johns Hopkins Medicine [Internet]. The Johns Hopkins University, The Johns Hopkins Hospital, and Johns Hopkins Health System; Disorders of the Immune System Facebook
  20. University of Rochester Medical Center [Internet]. University of Rochester. New York. US; Immune System Disorders
ऐप पर पढ़ें