साइट्रिक एसिड, सिट्रिक एसिड या टाटरी- इसका नाम तो आपने जरूर सुना होगा। खाने-पीने की चीजों में खट्टापन लाने के लिए एडिटिव्स के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन खट्टे फलों में विशेष रूप से नींबू और चकोतरा जैसे फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला साइट्रिक एसिड एक कमजोर एसिड है जिससे इन फलों को इनका खट्टा स्वाद मिलता है। अगर आपने कभी नींबू को चखा हो तो इसका मतलब है कि आपको साइट्रिक एसिड का स्वाद पता है।
खट्टे फलों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले साइट्रिक एसिड को आर्टिफिशियल तरीके से मैन्यूफैक्चर भी किया जाता है और खाने-पीने की चीजों में खासकर प्रोसेस्ड फूड में इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा क्लीनिंग एजेंट के तौर पर, दवाइयों में और पोषक तत्वों वाले सप्लिमेंट्स के तौर पर भी साइट्रिक इस्तेमाल किया जाता है। साइट्रिक एसिड युक्त दवाइयां किडनी में स्टोन जैसी सेहत की समस्याएं को दूर करने में मदद करती हैं। निम्नलिखित खट्टे फलों में प्राकृतिक रूप से उच्च मात्रा में साइट्रिक एसिड पाया जाता है:
- नींबू
- चकोतरा (लाइम)
- संतरा
- मौसंबी
- बेरीज (और पढ़ें- ब्लूबेरीज के फायदे नुकसान)
खट्टे फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला साइट्रिक एसिड आर्टिफिशयल या मैन्यूफैक्चर्ड साइट्रिक एसिड से अलग होता है। मैन्यूफैक्चर होने वाले साइट्रिक एसिड को टाटरी या नींबू का फूल भी कहा जाता है जो सफेद रंग का और बेहद दरदरा (चीनी से भी बारीक) कण वाला होता है। खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को खट्टा स्वाद देने के लिए इसे पानी में मिलाकर डाला जाता है।
आप सोच रहे होंगे कि आखिर नैचरल और मैन्यूफैक्चर्ड साइट्रिक एसिड में अंतर क्या है और इसका इस्तेमाल करना आपकी सेहत के लिए अच्छा है या बुरा। तो इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि साइट्रिक एसिड क्या है, इसका उपयोग कहां और कैसे होता है और यह सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह।