विटामिन और अन्य खनिज पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक हैं। इनके सेवन से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम होता है। कई अध्ययन के जरिए इस बात का पता चला है। वहीं, एक ताजा रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन ए, ई और डी का सेवन करने से वयस्कों में सांस संबंधी परेशानियां कम होती हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका "बीएमजे न्यूट्रिशन प्रिवेंशन एंड हेल्थ जर्नल" में ऑनलाइन प्रकाशित एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। राष्ट्रीय प्रतिनिधि दीर्घकालिक सर्वेक्षण डाटा के विश्लेषण के तहत शोधकर्ताओं को इन विटामिन ( ए, ई और डी) के लाभ से जुड़ी अहम जानकारी मिली है।
श्वसन संक्रमण को रोकने में भी सहायक हैं विटामिन
शोधकर्ता ने सुझाव दिया कि वर्तमान कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर विभिन्न जातीय समूहों और भौगोलिक क्षेत्रों के बीच अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकला है। जैसा कि पता है पोषण में कई संक्रमणों के जोखिम को कम करने की क्षमता होती है। हालांकि, यह कैसे प्रतिरक्षा को बढ़ाता है ये काफी जटिल है और पूरी तरह से समझा नहीं गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि विटामिन ए, ई, सी और डी को पहले से ही यूरोपीय संघ में प्रतिरक्षा प्रणाली के सामान्य कामकाज में सहायता करने के लिए सुझाया जाता है। वहीं, अमेरिकन न्यूट्रिशन एसोसिएशन भी यह सुझाव देता है कि ये विटामिन श्वसन संक्रमण को रोकने में भी सहायक हो सकते हैं।
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शोधकर्ता यह पता लगाना चाहते थे कि क्या आहार और दवा के रूप इन विटामिनों का सेवन ब्रिटेन के वयस्कों के राष्ट्रीय प्रतिनिधि नमूने में श्वसन संबंधी शिकायतों की व्यापकता से जुड़ा हो सकता है। इसके लिए उन्होंने साल 2008 से 2016 के बीच राष्ट्रीय आहार और पोषण सर्वेक्षण रोलिंग कार्यक्रम (एनडीएनएस आरपी) में 6,115 वयस्क प्रतिभागियों द्वारा दी गई जानकारी पर फोकस किया। इन प्रतिभागियों ने आहार डायरी से जुड़े तीन या अधिक दिन पूरे कर लिए थे। बता दें कि एनडीएनएस आरपी एक रोलिंग सर्वेक्षण है जो पूरे यूनाइटेड किंगडम में निजी घरों में रहने वाले लगभग एक हजार लोगों से ली जाने वाली सभी खाद्य और पेय पदार्थों की सालाना जानकारी इकट्ठा करता है।
इस दौरान शोध में शामिल लोगों ने सांस संबंधी समस्या की जानकारी दी थी लेकिन इन्हें किसी डॉक्टर द्वारा डायग्नोसड नहीं किया गया था। उन्हें मोटे तौर पर परिभाषित किया गया था और इसमें संक्रामक और गैर-संक्रामक दोनों स्थितियों को शामिल किया गया जैसे कि सर्दी, पुरानी प्रतिरोधी फेफड़े की बीमारी और अस्थमा।
संभावित प्रभावशाली कारकों की गणना की गई
शोधकर्ताओं ने केवल दैनिक आहार मात्रा को देखा था (निरंतर जोखिम) जो कि खाने और दवा के रूप में लिया गया था। साथ ही उन्होंने संभावित प्रभावशाली कारकों की भी गणना की जो कि सेवन के लिए जिम्मेदार थे। जैसे कि उम्र, लिंग, वजन (बीएमआई), धूम्रपान, घरेलू आय और कुल ऊर्जा। कुल मिलाकर, सांस की शिकायतों के 33 मामले थे। ये भी आमतौर पर पुराने मामले थे और यह कहने की संभावना कम थी कि वे नियमित रूप से विटामिन ए, ई, सी या डी की खुराक लेते हैं। इसके साथ शोधकर्ताओं ने पाया कि बीएमआई और विटामिन सेवन के बीच या बीएमआई और श्वसन शिकायतों के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं था। साथ ही यहां विटामिन सी की खुराक के साथ किसी भी संपर्क को निर्धारित करना संभव नहीं था क्योंकि श्वसन संबंधी शिकायतों वाले वयस्कों में से किसी ने भी विटामिन सी दवा का सेवन नहीं किया था।
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इससे अलग शोधकर्ताओं को पता चला कि विटामिन ए और विटामिन ई के सेवन (खाने और दवा दोनों रूप में) से ब्रिटेन के वयस्कों में श्वसन संबंधी शिकायतों को कम करने से जुड़ा था। विटामिन ए के प्रमुख आहार स्रोतों में दूध और पनीर के साथ गाजर, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां व नारंगी रंग के फल शामिल हैं। वहीं, विटामिन ई के प्रमुख आहार स्रोतों में वनस्पति तेल, नट्स, और बीज शामिल हैं। इसके अलावा विटामिन डी के लिए दवा का सेवन किया जा सकता है लेकिन उससे जुड़े आहार का सेवन नहीं। शोधकर्ताओं ने यह सुझाव देने के लिए प्रेरित किया कि निष्कर्ष विटामिन डी स्पलीमेंट्स के लाभ से जुड़ी वैज्ञानिक बहस को समर्थन देते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक "यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रिटेन में सामान्य आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा विटामिन डी की कमी से ग्रसित है और 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के 30% से अधिक वयस्क अनुशंसित पोषक तत्वों का सेवन प्राप्त नहीं करते हैं। हमारे निष्कर्ष इस परिकल्पना के अनुरूप हैं कि पर्याप्त विटामिन डी की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए दवा की खुराक लेना महत्वपूर्ण है और संभावित रूप से संकेत मिलता है कि केवल आहार के जरिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा को पूरा नहीं किया जा सकता है।"
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हालांकि, शोधकर्ताओं ने सावधानी बरतने की बात कहते हुए रिसर्च में बताया है कि यह एक ऑर्ब्जवेशनल अध्ययन है जिसमें कारणों को स्थापित नहीं किया सकता है। इसमें श्वसन संबंधी परेशानियों से जुड़े लोगों की एक छोटी सी संख्या थी, जिसका मतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के संबंध में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। वैज्ञानिकों ने सुझाव देते हुए कहा कि इस रिसर्च को कोविड महामारी के संदर्भ में लागू करने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता होगी। साथ ही उनका कहना है "हमारा अध्ययन पोषण और श्वसन संबंधी विकारों पर और अधिक डाटा संग्रह की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जिसमें व्यापक भौगोलिक क्षेत्रों और उच्च जोखिम वाले समूहों को शामिल किया गया है।"