वायरस के संपर्क में आने से हमें कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। दुनियाभर में फैला कोविड-19 संक्रमण हो या सामान्य सर्दी-जुकाम, यह सभी वायरस के कारण होने वाली बीमारियां हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वायरस के संपर्क में आने के बाद आपको वायरल संक्रमण होगा या नहीं? असल में यह निम्न बातों पर निर्भर करता है।
- आपके शरीर में वायरस कितने व्यापक रूप से फैला हुआ है?
- वायरस कितना शक्तिशाली है?
- सबसे महत्वपूर्ण बात, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किस प्रकार से इससे मुकाबला करती है?
आगे की बातों को जानने से पहले यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर वायरस किस प्रक्रिया के तहत शरीर के भीतर फैलता है? आइए जानते हैं।
- सबसे पहले, वायरस को शरीर में प्रवेश करने के लिए विशिष्ट बिंदुओं की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, नाक, गले या आंखों की श्लेष्मा झिल्ली।
- दूसरा, वायरस को मानव शरीर के विशिष्ट सेलुलर रिसेप्टर्स से जुड़ना होता है।
- और तीसरा, इसे बीमारी फैलाने के वास्ते स्वयं को फैलाने के लिए होस्ट कोशिकाओं की आवश्यकता होती है।
जब वायरस एक संक्रमित कोशिका से दूसरी कोशिका, शरीर के संक्रमित ऊतकों से दूसरे में और एक संक्रमित व्यक्ति से आसपास के लोगों को संक्रमित करने लगता है तो यह प्रक्रिया वायरल शेडिंग कहलाती है। वायरल शेडिंग, कई माध्यमों से हो सकती है। उदाहरण के लिए छींकने या खांसने से निकलने वाली बूंदों (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) या संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से वायरल शेडिंग हो सकती है।
यहां पर यह समझना महत्वपूर्ण है कि वायरल शेडिंग, हर बार नए संक्रमण का कारण नहीं बनती है। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को पोलियो रोग होता है, उनके शौच में पोलियो के वायरस की मौजूदगी होती है। हालांकि, यह आम तौर पर नए संक्रमण का कारण नहीं बनता है, क्योंकि भारत ने इस बीमारी पर जीत हासिल कर ली है।
आइए इस लेख में वायरल शेडिंग और उससे जुड़े विषयों को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
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