पराबैंगनी किरणें सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का एक प्रकार हैं। कुछ कृत्रिम स्त्रोत से भी यह ऊर्जा निकलती है।

पराबैंगनी किरणों को आप सूर्य की रोशनी या गर्मी की तरह देख और महसूस नहीं कर पाते हैं। इस कारण पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान के बाद ही आपको इनके बारे में पता चलता है।

सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी (यूवी) किरणें त्वचा कैंसर का मुख्य कारण मानी जाती हैं। इन किरणों से आपको सनबर्न, टैनिंग और समय से पहले त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं। इसके अलावा पराबैंगनी किरणें आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचती हैं। 

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इन किरणों से कुछ फायदे भी होते हैं। इस लेख में पराबैंगनी किरणों के उपयोग, प्रभाव और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको इससे बचाव के उपाय और सुझाव भी बताए जा रहें हैं।

  1. पराबैंगनी किरणें क्या है - Ultraviolet rays kya hai
  2. पराबैंगनी किरणों के प्रकार - Ultraviolet rays ke prakar
  3. यूवी किरणों के उपयोग और लाभ - Ultraviolet rays ke upyog aur labh
  4. पराबैंगनी किरणों के प्रभाव और नुकसान - Ultraviolet rays ke prabhav aur nuksan
  5. पराबैंगनी किरणों से सावधानियां - Ultraviolet rays se savdhaniya

पराबैंगनी किरणों से त्वचा कैंसर होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। सूर्य पराबैंगनी किरणों का मुख्य स्त्रोत होता है। कुछ अन्य उपकरणों द्वारा भी पराबैंगनी किरणें बनती हैं। जो लोग पराबैंगनी किरणों के संपर्क में ज्यादा रहते हैं उनको त्वचा कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

पराबैंगनी किरणें सूर्य की किरणों का छोटा सा हिस्सा ही हैं, लेकिन सूर्य से त्वचा पर होने वाले नुकसान का यह मुख्य कारण होती हैं। पराबैंगनी किरणें त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचाती हैं। त्वचा की कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन्स (genes) के डीएनए पर होने वाले दुष्प्रभावों के कारण त्वचा कैंसर शुरू होता है।

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पराबैंगनी किरणें मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं, जिनको नीचे बताया गया है।

  1. यूवीए किरणें (UVA rays) –
    यूवीए किरणें त्वचा की कोशिकाओं की उम्र और उनके डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है। पराबैंगनी किरणों का यह प्रकार त्वचा को लंबे समय तक नुकसान पहुंचाने वाला होता है। इससे आपको झुर्रियों की परेशानी हो सकती है। इतना ही नहीं, यूवीए किरणें त्वचा कैंसर के लिए जिम्मेदार होती हैं। (और पढ़ें - झुर्रियां हटाने की क्रीम)
     
  2. यूवीबी किरणें (UVB rays) –
    यूवीए के मुकाबले यूवीबी किरणों में अधिक ऊर्जा होती है। इसकी वजह से यूवीबी किरणें सीधे तौर पर त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुंचाती हैं। इन किरणों के कारण ही आपको सनबर्न की समस्या होती है। यूवीबी किरणों कई तरह के त्वचा संबंधी कैंसर का कारण होती हैं। (और पढ़ें - सनबर्न हटाने के घरेलू उपाय)
     
  3. यूवीसी किरणें (UVC rays) –
    यूवीसी किरणों में अन्य यूवी किरणों की तुलना में सबसे अधिक ऊर्जा होती है, लेकिन यह किरणें हमारे वायुमंडल और सूर्य की रोशनी में नहीं होती हैं। साथ ही यह किरणें त्वचा कैंसर का भी कारण नहीं बनती हैं।

यूवीए और यूवीबी दोनों ही किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाने और त्वचा कैंसर का मुख्य कारण होती हैं। यूवीबी किरणें ज्यादा नुकसानदायक होती हैं और यह कुछ प्रकार के त्वचा कैंसर का मुख्य कारण होती हैं। आज तक जितनी इन पर वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध है, उसके अनुसार किसी भी तरह की पराबैंगनी किरण सुरक्षित नहीं हैं।

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ऐसा नहीं हैं कि पराबैंगनी किरणों से आपको नुकसान ही होता हैं, इन किरणों से आपको कुछ फायदे भी मिलते हैं। पराबैंगनी किरणों के फायदे निम्न हैं - 

  1. विटामिन डी बनाने में सहायक होती हैं –
    आपके शरीर को विटामिन डी बनाने के लिए सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों की आवश्यकता होती है। विटामिन डी से आपकी हड्डियों, मांसपेशियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती मिलती है। विटामिन डी से कोलन कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है। (और पढ़ें - विटामिन डी की कमी के साइड इफेक्ट)
     
  2. त्वचा संबंधी समस्याओं में मददगार होती हैं –
    यूवी किरणों का उपयोग सोरायसिस जैसी कुछ त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इस समस्या में कोशिकाएं तेजी से बनते हुए त्वचा को ढकने लगती हैं, जिससे खुजली और त्वचा पर चकत्ते होने लगते हैं। सोरायसिस में पराबैंगनी किरणों से त्वचा की कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि कम हो जाती है और इस बीमारी के लक्षणों से आराम मिलता है। (और पढ़ें - सोरायसिस के घरेलू उपाय)
     
  3. मूड को अच्छा बनाती हैं –
    रिसर्च बताती है कि सूर्य की किरणें पीनियल ग्रंथि (Pineal gland) को उत्तेजित करती है। यह ग्रंथि मस्तिष्क में होती है, जो मूड को अच्छा बनाने वाले कैमिकल "ट्राईप्टामाइंस" (Tryptamines) को स्त्रावित करती है। (और पढ़ें - मूड को अच्छा बनाने वाले सुपरफूड)
     
  4. कई जंतुओं के देखने में सहायता करती है –
    कुछ जीव-जंतु (जैसे चिड़िया, मक्खी और रेंगने वाले कीड़े) फूलों, फलों और बीजों के पास की पराबैंगनी रोशनी से ही उनको देख पाते हैं और उनकी ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा हवा में उड़ने वाले जंतु या कीट पराबैंगनी किरणों की मदद से ही अपनी दिशा का सही पता लगाते हैं। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
     
  5. संक्रमण मुक्त रखने में सहायक होती हैं –
    संक्रमण से बचाने और कीटाणुओं को नष्ट करने में पराबैंगनी किरणें अहम भूमिक निभाती हैं। पराबैंगनी किरणें बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म किटाणु जैसे बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने का काम करती हैं। पराबैंगनी किरणें कोशिकाओं के भीतर पहुंचकर डीएनए को नष्ट करती हैं, जिससे सूक्ष्म किटाणु की संख्या बढ़ नहीं पाती है। (और पढ़ें - फंगल संक्रमण के घरेलू उपाय)

पैराबैंगनी किरणें आपके लिए कई तरह से हानिकारक होती हैं, इन किरणों से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है। 

  1. त्वचा के कैंसर का कारण होती हैं –
    पर्यावरण में उत्पन्न होने वाली पराबैंगनी किरणें कैंसर का मुख्य कारण होती है। त्वचा संबंधी तीनों मुख्य कैंसर (बेसल सेल कार्सिनोमा/ Basal cell carcinoma, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा/ Squamous cell carcinoma और मेलेनोमा/ Melanoma) की वजह सूर्य की पराबैंगनी किरणें ही होती हैं और रिसर्च में भी इस बात का पता चला है कि 90 प्रतिशत स्किन कैंसर इन्हीं पराबैंगनी किरणों के कारण होते हैं। (और पढ़ें - ब्लड कैंसर का इलाज)
     
  2. सनबर्न का मुख्य कारण होती हैं –
    पराबैंगनी किरणों से त्वचा का जलना या झुलसना, सनबर्न कहलाता है। त्वचा की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने से सनबर्न की समस्या होती है। यह समस्या त्वचा में पराबैंगनी किरणों के अवशोषण के कारण होती है। सनबर्न से प्रभावित त्वचा को ठीक करने के लिए रक्त का संचार इस हिस्से में अधिक होने लगता है और इस वजह से आपकी त्वचा का रंग लाल दिखाई देने लगता है। (और पढ़ें - चर्म रोग का इलाज)
     
  3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं –
    पराबैंगनी किरणों में ज्यादा देर तक रहने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हानिकारक असर होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सनबर्न के दौरान रोग से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं के कार्य और वितरण प्रणाली में बदलाव आने लगता है और सूर्य का यह हानिकारक प्रभाव 24 घंटों तक आपके शरीर में दिखाई देता है। पराबैंगनी किरणों के लगातार संपर्क में आने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचने लगता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता आपको हानिकारक बैक्टीरिया, सूक्ष्म जीवाणु, वायरस और विषाक्ता से सुरक्षा प्रदान करने कार्य करती है। (और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ायें)
     
  4. आंखों के लिए हानिकारक होती हैं –
    पराबैंगनी किरणों में लंबे समय तक रहने से आपकी आंखों के ऊतकों में क्षति पहुंचती है। इसकी वजह से आपकी आंखों में जलन होने लगती है, इसको हिमान्धता (snow blindness/ बर्फ से टकराकर पराबैंगनी किरणों से आंखों को होने वाला अस्थायी नुकसान) और “फोटोकिरेटिटिस” (Photokeratitis / अधिक रोशनी की वजह से आंखों को नुकसान होना) कहते हैं। आंखों पर होने वाले इस तरह के हानिकारक प्रभाव कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन बाद में आंखों की अन्य समस्या का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा अन्य अध्ययन बताते हैं कि सूर्य की कम रोशनी से भी आपकी आंखों को मोतियाबिंद, “टेरिजियम” (Pterygium/ आंखों का रोग) और “पिंग्यूक्लूला” (Pinguecula/ आंखों का एक रोग) हो सकते हैं। आंखों पर पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव धीरे-धीरे शुरू होते हैं, इससे बचने के लिए आप अपनी आंखों को सुरक्षित रखना चाहिए। (और पढ़ें - आँखों में दर्द का घरेलू इलाज)
     
  5. त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देना –
    पराबैंगनी किरणें त्वचा की ऊपरी परत के नीचे मौजूद कोलेजन (collagen: त्वचा के लिए एक जरूरी प्रोटीन) और संयोजी ऊतकों को नष्ट कर देती है, जिससे आपकी त्वचा में उम्र बढ़ने के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इससे आपकी त्वचा में झुर्रियां व भूरे रंग के दाग होने लगते हैं और त्वचा की लोच खत्म होने लगती है। सूर्य की किरणों के प्रभाव से किसी व्यक्ति के हाथों के ऊपरी और निचले हिस्से की त्वचा के रंग, झुर्रियों और झांइयों में अंतर हो सकता है। सामान्यतः हाथों के ऊपरी हिस्से में सूर्य की किरणें सीधे पड़ती हैं, जिसकी वजह से इस हिस्से को ज्यादा नुकसान होता है। पराबैंगनी किरणों से त्वचा पर होने वाले दुष्प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, इसलिए आपको अपनी त्वचा को सूर्य से बचाने के प्रयास जल्द ही शुरू कर देने चाहिए। 

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पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए आपको कुछ विशेष उपाय अपनाने की जरूरत होती है। इन उपायों को नीचे बताया गया है।

  1. दिन के समय बाहर ना जाएं –
    सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में जाने से बचना चाहिए। अगर बेहद आवश्यक काम हो तो आप छाते का इस्तेमाल करें। एक साल से कम उम्र के बच्चे को भी सीधे सूर्य के सामने ना लाएं। इससे बच्चे की त्वचा को खतरा हो सकता है। (और पढ़ें - चमकदार त्वचा के उपाय)
     
  2. त्वचा को ढककर रखें –
    पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए आपको घर से बाहर निकलने से पहले अपने हाथ-पैरों को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़ों को पहनना चाहिए। साथ ही सिर पर टोपी लगाकर गर्दन और चेहरे को सूर्य की किरणों से बचाना चाहिए।
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  3. अपनी त्वचा के प्रकार को समझें –
    पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव आपकी त्वचा के रंग और उसके टैन होने की क्षमता पर निर्भर करता है। गोरी त्वचा और हल्के रंग की आंखों वाले लोगों को पराबैंगनी किरणों के नुकसान का खतरा अधिक होता है। (और पढ़ें - सन टैन दूर करने के घरेलू उपाय)
     
  4. सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें – 
    दिन में बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। बाहर जाने से करीब 30 मिनट पहले आपको अपनी त्वचा के खुले हुए हिस्सों पर सनस्क्रीन लगानी चाहिए, इससे लोशन आपकी त्वचा में अच्छी तरह से अवशोषित हो जाता है। स्वीमिंग या पसीना आने के बाद भी आपको सनस्क्रीन का दोबारा उपयोग करना चाहिए। (और पढ़ें - एक अच्छी सनस्क्रीन कैसे चुनें)
     
  5. आंखों पर चश्मा पहनें –
    चश्मा आपकी आंखों को यूवीए किरणों से 90 प्रतिशत और यूवीबी किरणों से 95 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करता है। बच्चों की आंखों को सुरक्षा प्रदान करने वाले चश्में यूवीए व यूवीबी दोनों ही प्रकार किरणों से 99-100 प्रतिशत तक बचाव करते हैं।

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