शरीर में सभी चीजों का संतुलित मात्रा में रहना जरूरी है. यदि कोई चीज बढ़ने या कम होने लगे, तो इससे कई शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं. इसी तरह से शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स नामक फैट की मात्रा का भी संतुलित रहना जरूरी है. ये फैट शरीर को एनर्जी प्रदान करने में मदद करता है. इसकी नार्मल रेंज 150 mg/dL तक होती है.

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आज इस लेख में हम जानेंगे कि ट्राइग्लिसराइड्स क्या है, इसकी नार्मल रेंज कितनी होनी चाहिए और इसका शरीर में महत्व क्या है -

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  1. ट्राइग्लिसराइड्स क्या है?
  2. ट्राइग्लिसराइड्स की नॉर्मल रेंज कितनी होनी चाहिए?
  3. शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का महत्व
  4. सारांश
ट्राइग्लिसराइड्स क्या है, नार्मल रेंज, महत्त्व, लाभ के डॉक्टर

ट्राइग्लिसराइड्स रक्त में पाया जाने वाला एक तरह का फैट (लिपिड) होता है. यह खाने में मौजूद कैलोरीज से बनता है. दरअसल, कैलोरीज शरीर में पहुंचकर ट्राइग्लिसराइड्स में बदल जाती हैं, जो फैट सेल्स में जमा रहती हैं. फिर जब शरीर को एनर्जी की जरूरत होती है, तब हार्मोन ट्राइग्लिसराइड्स को रिलीज करते हैं.

यही ट्राइग्लिसराइड्स एनर्जी देने का काम करते हैं. अगर कोई अधिक कैलोरीज लेता है और कम कैलोरीज बर्न करता है, तो ऐसी स्थिति में हाई ट्राइग्लिसराइड्स यानी हाइपरट्राइग्लिसरीडेमिया होने का जोखिम बढ़ जाता है.

(और पढ़ें - ट्राइग्लिसराइड की होम्योपैथिक दवा)

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ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को मुख्य रूप से 4 वर्गों में बांटा जाता है, जो निम्न प्रकार से हैं -

  • सामान्य स्तर - 150 mg/dL से कम
  • बॉर्डर लाइन - 150 से 199 mg/dL
  • अधिक स्तर - 200 से 499 mg/dL
  • खतरनाक स्तर - 500 mg/dL या इससे अधिक

शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की रेंज कितनी है, ये जानने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है.

(और पढ़ें - ट्राइग्लिसराइड टेस्ट)

ट्राइग्लिसराइड्स शरीर में अहम भूमिका निभाता है. इसकी मात्रा कम या ज्यादा होने से निम्न प्रकार के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है -

लो ट्राइग्लिसराइड्स

लो ट्राइग्लिसराइड्स के कारण होने वाली समस्याएं -

  • ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल कम होने पर थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है. 
  • अगर ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम है, तो इससे वजन कम हो सकता है. 
  • इस स्थिति में मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. 
  • लो ट्राइग्लिसराइड्स के कारण त्वचा ड्राई हो सकती है.

(और पढ़ें - ट्राइग्लिसराइड का आयुर्वेदिक इलाज)

हाई ट्राइग्लिसराइड्स

हाई ट्राइग्लिसराइड्स के कारण होने वाली समस्याएं -

(और पढ़ें - छाती में दर्द का होम्योपैथिक इलाज)

ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर संतुलित रहने पर शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं जब इसका स्तर बढ़ने लगे, तो इससे कुछ शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं. दरअसल, यह एक तरह का फैट होता है, जो शरीर में एनर्जी को बनाए रखने में मदद करता है. ऐसे में अगर किसी के शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उनके द्वारा बताए गए इलाज की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए.

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