तंबाकू में जहरीले रसायन जैसे कि निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार समेत कई जहरीली धातुएं और रसायन मौजूद रहते हैं। निकोटिन एक ऐसा जहर है जो आसानी से दिमाग में घुल जाता है। यहां तक कि यह मांसपेशियों के सभी ऊत्तकों में भी घुल जाता है। इससे आप धीरे–धीरे तंबाकू के आदि हो जाते हैं। इसकी कम खुराक असर तक करना बंद कर देती है और आप ज्यादा खुराक लेने लगते हैं। समय के साथ आपके तंबाकू की खपत बढ़ती है और आप अधिक तंबाकू रूपी जहर का उपयोग करने लगते हैं। आपमें से कईयों को लगता होगा कि तंबाकू के धुआं रहित रूप जैसे कि खैनी गुटखा, जर्दा अधिक नुकसानहेद नहीं है लेकिन आप गलत हैं। बल्कि ये पदार्थ धुआं रहित होने के चलते अधिक सहजता से मुंह द्वारा खाकर खून में अवशोषित कर लिए जाते हैं, जिससे कि मुंह और जीभ के कैंसर का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। कार्बन मोनोऑक्साइड भी अपने विषैले प्रभावों के कारण जानी जाती है। ये शरीर में रक्त द्वारा ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देती हैं। इससे सांस फूलने जैसी दिक्कतें होने लगती है। तीसरा भयानक तत्व है टार जिसमें की कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं।
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तंबाकू में कई अन्य ऐसी विषैली चीजें भी होती है जो कि शरीर के कई अन्य हिस्सों में कैंसर को जन्म देने के लिए जानी जाती है। इन चीजों से लंग कैंसर, मुंह का कैंसर, सीने में दिक्कत, स्ट्रोक, टीबी, अस्थमा, किडनी या आंखों को क्षति, डायबिटीज, लिंग स्तंभन में दिक्कत, पाचन संबंधी समस्याएं, दांत और मसूढ़ो को क्षति जैसी दिक्कतें होती है।
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आगे बढ़ते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह आपके आस–पास मौजूद लोगों के जीवन में क्या बदलाव लाता है। यह गर्भवती महिला और उसके भ्रूण दोनों के ही लिए बेहद हानिकारक है। इससे गर्भपात, मृतशिशु का जन्म, बच्चे के विकास में समस्या, प्रीमैच्योर डिलीवरी या बच्चे में हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है। तो यदि आप अभी धूम्रपान कर रहे हैं तो सावधान, आप न सिर्फ खुद की सेहत बल्कि एक बच्चे की सेहत भी तबाह कर रहे हैं।
वर्ल्ड नो टोबैको डे 2019 कैंपेन
इस साल विश्व तंबाकू दिवस पर जो मुहिम छेड़ी गई है उसका नाम है, तंबाकू और लंग हेल्थ। यह कैंपेन इस बात पर फोकस करती है कि कैसे तंबाकू के सेवन से सेवन करने वाले और उसके परिवार के फेफड़े प्रभावित होते हैं। इस कैंपेन के मार्फत यह बताया जा रहा है कि कैसे प्रतिदिन की कई गतिविधियां और बिना दिक्कत के सांस लेने में स्वस्थ फेफड़ों का योगदान है। इसके बावजूद कितनी सहजता से इसकी उपेक्षा की जाती है।
जबकि धूम्रपान करके हर एक पफ के साथ शरीर में सात हजार कैमिकल खिंच लिए जाते हैं। इसमें से 69 प्रकार के कैमिकल कैंसर कारक होते हैं। धूम्रपान का धुआं उस सतह को भी जला देता है जहां से शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान–प्रदान होता है। इस सतह के जल जाने से आदान–प्रदान वाली जगह कम हो जाती है, परिणामस्वरूप कई सारी श्वसन समस्याएं और फेफडों की दिक्कत होने लगती है। इससे व्यक्ति को लंग इंफेक्शन (फेफड़ा संक्रमण), टीबी, अस्थमा और कैंसर की दिक्कत होने लगती है। यहां तक कि उसकी मौत भी हो जाती है।
दुनिया भर में करीब एक लाख पैंसठ हजार बच्चे करीब 5 साल की उम्र तक भी नहीं पहुंच पाते और उससे पहले ही मर जाते हैं क्योंकि उनके फेफड़ो में दूसरे के द्वारा छोड़ा गया धुआं (सैकंड हैंड स्मोक) पहुंचता है।
इस कैंपेन के तहत सरकार और समुदायों से तंबाकू का उपयोग कम करने के लिए कहा जाएगा ताकि 2030 तक लाइफ स्टाइल डिजीज की तादाद को एक तिहाई करके सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल हासिल किया जा सके।
तंबाकू खपत रोकने में चुनौतियां
तंबाकू से लड़ाई कई सदियों से जारी है। कई सारे नियम, नियमावली और योजनाएं बनाए गए हैं. इसके साथ ही तंबाकू की खरीद –फऱोख्त के बाबत कई सारी शर्ते रखी गई है। लेकिन इन प्रयासों से अब तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि तंबाकू उत्पादक किसान तंबाकू की जगह कोई और फसल उगाने को लेकर तैयार नहीं होते, कारण कि तंबाकू से उनको तुरंत ही फसल बिक्री की लागत वसूल हो जाती है। इसके अलावा दूसरा पहलू यह भी है कि एक बार तंबाकू की कृषि करने के बाद जमीन अपनी उर्वरता खो देती है। इसे दोबारा उर्वर बनने में बहुत समय लगता है।
तंबाकू इंडस्ट्री हजारों लोगों को रोजगार भी दे रही है। जिसमें छोटे बच्चें खास तौर से लड़कियां शामिल हैं जो कि बड़ी तन्मयता से मेहनत करते हुए बीड़ी या सिगरेट को रोल करके तैयार करते हैं। ऐसे में अगली बार बीड़ी या सिगरेट जलाते हुए ध्यान रखें कि आप एक बच्चे का भविष्य भी जला दे रहे हैं।
तीसरी बड़ी चुनौती यह है कि जैसे जैसे कानून सख्त होता है यानि कि नाबालिकों को सिगरेट न बेची जाएं या 14 साल से छोटे बच्चों को तंबाकू उत्पादों का कंपनियों में काम पर न रखा जाएं। तंबाकू कंपनियां बड़ी मुस्तैदी से ग्राहकों और दुकानदारों के पैसे लौटा देती है।
चौथी बड़ी चुनौती यह है कि तंबाकू से सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है। ऐसे में सरकार द्वारा तंबाकू को पूर्ण रूप से बैन किया जाना भी मुश्किल ही है। कोप्टा जो एक्ट है (सिगरेट एंड टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2015) उसका सरे आम ठीक से पालन नहीं किया जाता। सार्वजनिक स्थलों, स्कूलों, होटलों और रेस्तरां में धूम्रपान निषेध के बोर्ड लगाए जाते हैं। जिनका या तो ठीक से पालन नहीं किया जाता या फिर बहुत कम पालन किया जाता है।
MPOWER द नेशन
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल द्वारा छह नीतियां सुझाई गई है। यह छह नीतियां MPOWER नाम से जानी जाती है। इसमें MPOWER से आशय है।
- एम यानि तंबाकू के प्रयोग पर ध्यान देना और उसे रोकने के लिए नियम लाना
- पी यानि लोगों को तंबाकू के उपयोग से बचाना।
- ओ मतलब तंबाकू छोड़ने के लिए सहायता देना
- डब्ल्यू मतलब तंबाकू के खतरों के बारे में आगाह करना।
- ई मतलब तंबाकू के प्रचार और विज्ञापन पर पाबंदी लगाना।
- आर मतलब तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना।
एक जिम्मेदार संस्था के तौर पर हम क्या कर सकते हैं?
हम जिस समुदाय और संस्था में है उसका पूरा ख्याल रखें, साथ ही अपने पास मौजूद लोगों का भी ध्यान रखें। हर एक का लक्ष्य होना चाहिए कि सभी लोगों में तंबाकू को लेकर जागृति फैलाई जाए। अगर आप कोई कंपनी चलाते हैं तो ऐसे ही लोगों को काम पर लें जो न के बराबर तंबाकू उपयोग करते हो। साथ ही उनकी खपत बढ़ने या घटने पर भी ध्यान दें। अस्पतालों के संपर्क में रहे, अपने स्टॉफ और डॉक्टर के बीच बातचीत के सत्र आयोजित करवाएं। याद रखें कि कई ऐसे क्लिनिक हैं जो तंबाकू छोड़ने के इच्छुक लोगों की सहायता करते हैं।
आपको हर साल अपनी कंपनी में 'नो तंबाकू डे' आयोजित करना चाहिए। आपके दफ्तर के जो एरिया हो, जिनमें लोग स्मोक करते हो वहां पर तंबाकू निषेध के लिए जागृति से जुड़े पोस्टर लगाने चाहिए। आस पड़ोस में अगर तंबाकू खरीदा या बेचा जाता है तो भी आवाज उठानी चाहिए।
इसमें जितना समय लगेगा उतनी ही मौते बढ़ेंगी। ऐसे में जान बचाने के लिए साथ आएं, सहयोग दें और जिंदगियां बचाएं। याद रखें कि हमें अपना पर्यावरण स्वस्थ रखना है क्योंकि आने वाली पीढ़ी के लिए यही हमारी सौगात होगी।