राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। प्रदूषण न केवल देश की बल्कि पूरे विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। यह दिवस लोगों को बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। इस बात पर कोई दो राय नहीं कि इस समय न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व ही बढ़ते प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है।
बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक आपदा है, जिससे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मृदा प्रदूषण कई गुना बढ़ जाते हैं। यह वातावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसके सबसे बड़े उदाहरणों में भोपाल गैस त्रासदी, चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना और फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना हैं, जिनके कारण कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
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भोपाल गैस त्रासदी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक मानी जाती है। इसलिए लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरुक करना बेहद आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा प्रदूषण को रोकने और उससे लड़ने के लिए कई कानून व नियम बनाए गए हैं। इसमें दिल्ली सरकार का ऑड-ईवन भी शामिल है, जिससे काफी हद तक सड़कों पर वायु प्रदूषण को कम किया गया है। देश में नेशनल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड प्रदूषण को नियंत्रित करने वाली मुख्य सरकारी संस्था है। संस्था यह पता लगाती है कि इंडस्ट्री वातारण को कोई नुकसान पहुंचाने वाले नियम का उल्लंघन तो नहीं कर रहीं हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियम :
- वाटर (प्रदूषण को काबू व रोकथाम) एक्ट ऑफ 1974
- वाटर (प्रदूषण को काबू व रोकथाम) सेस एक्ट 1977
- एयर (प्रदूषण को काबू व रोकथाम) एक्ट 1981
- एनवायरनमेंट (प्रोटेक्शन) रूल्स ऑफ 1986
- एनवायरनमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट ऑफ 1986
- मैन्युफैक्चर, स्टोरेज एंड इम्पोर्ट ऑफ हजारडस रूल्स ऑफ 1989
- हजारडस वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रूल्स ऑफ 1989
- मैन्युफैक्चर, स्टोरेज, इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट ऑफ हजारडस माइक्रो-ऑर्गेनिज्म जेनेटिकली इंजीनियर्ड ऑर्गेनिज्म या सेल्स रूल्स ऑफ 1989
- दी नेशनल एनवायरनमेंट ट्रिब्यूनल एक्ट 1995
- केमिकल्स एक्सीडेंट्स (इमरजेंसी, प्लानिंग, प्रिपेयरडनेस एंड रिस्पांस) रूल्स ऑफ 1996
- बायो-मेडिकल वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रूल्स ऑफ 1998
- रीसायकल्ड प्लास्टिक्स मैन्युफैक्चर एंड यूसेज रूल्स ऑफ 1999
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प्रदूषण से कैसे बचें
देश में वायु प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ता जा रहा है। इससे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और कलकत्ता मुख्य रूप से प्रभावित हैं। वायु प्रदूषण के कारण निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, मतली महसूस होना, चक्कर आना, हृदय रोग, लंग कैंसर और श्वसन संबंधित रोग हो सकते हैं।
वायु प्रदूषण से बचने के लिए
- रोजाना अपने इलाके का पूर्वानुमान देखें
- घर से बाहर कम जाएं
- अधिक यातायात वाली जगहों पर न जाएं
- धूम्रपान का सेवन न करें
- विटामिन सी और विटामिन ई का अधिक सेवन करें
प्रदूषित जल पीने से पोलियो, आंखों में संक्रमण, टाइफाइड, हैजा, दस्त और मलेरिया जैसी कई जानलेवा बीमारियां होने का खतरा रहता है।
जल प्रदूषण से बचने के लिए
- घर में पानी साफ करने के उपकरण लगवाएं
- घरेलू नुस्खों के इस्तेमाल से पानी साफ रखें
- नालों या नदियों में कूड़ा कचरा न डालें
- दवाओं को नाली में न बहाएं
- जड़ी-बूटी, कीटनाशक और उर्वरक का इस्तेमाल कम करें
- हमेशा पानी बचाएं
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ध्वनि प्रदूषण को अधिक गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जबकि इसके कारण कई बीमारियां होने का खतरा बना रहता है, जैसे कि बहरापन, सिरदर्द, नींद न आना, अवसाद और ओटाइटिस मीडिया (कान में संक्रमण) मुख्य रूप से शामिल हैं।
ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए
- घर को शोर-मुक्त बनाएं
- शोर करने वाली मशीनों से दूर रहें
- मेडिटेशन अपनाएं
- ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करें, जिनसे कुछ समय के लिए शोर से ध्यान भटका सकें (जैसे ईयरफोन्स)
- ध्वनि प्रदूषण के कारकों को जानें और उन्हें कम करने की कोशिश करें
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मृदा प्रदूषण से वायु और जल प्रदूषण के मुकाबले कम बीमारियां फैलती हैं, क्योंकि लोग इसके संपर्क में कम आते हैं। हालांकि, इसके कारण सिरदर्द, मतली या उल्टी होना, सीने में दर्द, खांसी व फेफड़ों संबंधी रोग, थकान महसूस होना, त्वचा पर रैश होना और आंखों में संक्रमण होने की आशंका रहती है।
मृदा प्रदूषण से बचने के लिए
- रीसायकल की जाने वाली वस्तुओं को न फेंकें
- आर्गेनिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें
- कचरा न फैलाएं
- प्लास्टिक और कागज का कम से कम इस्तेमाल करें
- पेड़-पौधे न काटें
- बिजली की जगह सूरज से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करें
- गाडी, बाइक और स्कूटी का कम इस्तेमाल करें