आज के समय में लगातार बढ़ता प्रदूषण सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कई रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं ने प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लोगों के सामने रखा है। इसी कड़ी में एक नई स्टडी के माध्यम से शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें अपनी रिसर्च में प्रदूषण के उस खतरनाक स्तर का पता चला है जो बच्चों और युवाओं के मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका "जर्नल एनवायरनमेंटल रिसर्च" में इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है।
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बच्चों और युवाओं के दिमाग में मिले प्रदूषण के छोटे कण
शोधकर्ताओं की मानें तो उन्हें बच्चों और युवा वयस्कों के मस्तिष्क में वायु प्रदूषण के छोटे कणों का पता चला है जो कि खतरनाक बीमारी का कारण बन सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रदूषण के ये नैनोपार्टिकल्स (बेहद छोटे कण) दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिससे अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 10 में से 9 लोग उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषक के कारण हवा बहुत असुरक्षित और जहरीली हो चुकी है।
पिछले अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि वायु प्रदूषण की आपसी साझेदारी की वजह से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी (मांसपेशियां या नसों का प्रभावित होना) को बढ़ावा मिलता है लेकिन कभी भी इसकी पुष्टि नहीं की गई। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस अध्ययन से एक संभावित शारीरिक तंत्र पर प्रकाश डाला जा सकता है जो यह बता सकता है कि प्रदूषण का उच्च स्तर अल्जाइमर के खतरे को कैसे बढ़ाता है।
कैसे की गई रिसर्च?
शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण के घातक प्रभाव को जानने के लिए मैक्सिको सिटी के 186 मृतक युवाओं के दिमाग का अध्ययन किया। यह वो लोग थे जो अचानक मर गए थे। इन सभी मृतकों की उम्र 11 महीने से लेकर 27 साल तक थी। अध्ययन में शामिल सभी व्यक्तियों के मस्तिष्क में ग्रे पदार्थ के रूप में प्रदूषण के सबूत मिले थे और शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रदूषित कण ब्लड स्ट्रीम (रक्तप्रवाह) और सांस लेने के दौरान शरीर के बाकी अंगों तक पहुंचे थे। रिसर्च में पता चला कि ये नैनोपार्टिकल्स सबस्टैनशिया नाइग्रा में मौजूद थे। ये वह क्षेत्र है जो पार्किंसन्स को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कारक माना जाता है।
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यह भी संभव है कि प्रदूषण के कणों ने नाक या आंत के माध्यम से मानव अंगों में अपना रास्ता तय किया हो। हालांकि, जो लोग गैर-आबादी वाले क्षेत्रों और मैक्सिको के प्रदूषण वाले इलाकों से दूर रहते थे उनके दिमाग में जहरीले प्रदूषकों का कोई संकेत नहीं मिला।
दूसरी ओर इंग्लैंड में लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर बारबरा माथेर ने अंग्रेजी अखबार "द गार्जियन" को बताया "यह रिसर्च अभी ऑर्ब्जवेशनल यानी समीक्षा का हिस्सा है और इसमें कारण और कार्य का सिद्धांत नहीं बताया गया है। लेकिन आप इन नैनोपार्टिकल्स से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये धातु प्रजातियों के साथ मिलकर मस्तिष्क की महत्वपूर्ण कोशिकाओं के अंदर आराम से बैठेंगे और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।" इसके साथ माथेर कहती हैं कि अगर रिसर्च में इससे जुड़े प्रमाण मिले हैं कि प्रदूषण के ये छोटे कण न्यूरोडीजेनेरेटिव क्षति का कारण बन रहे हैं तो यह गंभीर विषय है।
रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे शोध के क्षेत्र के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि आमतौर पर बच्चे अल्जाइमर या पार्किंसंस से पीड़ित नहीं होते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि बच्चों का दिमाग अन्य कारकों से अप्रभावित रहता है जैसे की अल्कोहल का इस्तेमाल। चूंकि वयस्क अंगों में अल्कोहल का प्रभाव भी देखा जा सकता है। इस आधार पर अध्ययन भविष्य से संबंधित है और भविष्य के रिसर्च के लिए संभावनाओं को बढ़ावा देता है लेकिन इसे कुछ संदेह के साथ लिया जा रहा है।
वायु प्रदूषण से डिमेंशिया का भी जोखिम
पार्किंसंस यूके के अनुसंधान निदेशक डेविड डेक्सटर का कहना है कि हालांकि यह अध्ययन न्यूरोडीजेनेरेशन के साथ वायु की गुणवत्ता को जोड़ने वाली रिसर्च पर आधारित है, लेकिन मस्तिष्क को होने वाली क्षति उन लोगों से काफी अलग है जिनका पहले अध्ययन किया जा चुका है। नए अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि मॉलिक्यूलर क्षति मैक्सिको सिटी से जुड़ी रिसर्च के तथ्य से कम हो सकती है जबकि पार्किंसंस यूके के मस्तिष्क बैंक के अंगों में मुख्य रूप से यूके से थे। अल्जाइमर रिसर्च यूके में शोध के निदेशक डॉ. सुसान कोहलहास का कहना है "वायु प्रदूषण कई प्रतिकूल स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है। अध्ययन से मिले प्रमाण बताते हैं कि इसमें डिमेंशिया (मनोभ्रंश) बीमारी होने का भी जोखिम है।"
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सुसान कोहलहास का कहना है कि इससे पहले कि डिमेंशिया के स्पष्ट लक्षण नजर आने लगें सालों पहले से ही ब्रेन में प्रोटीन का जमा होना (बिल्डअप) शुरू हो जाता है, लेकिन इससे पहले कि हम बच्चों में मस्तिष्क बीमारी को वायु प्रदूषण से जोड़ने का कोई सुझाव दें, इसके लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।