खुशबू सभी को पसंद होती है। आपको भी ऐसे लोगों के आसपास रहना अच्छा लगता होगा जिनमें से खुशबू आती हो। अक्सर लोग दूसरों को प्रभावित और आकर्षित करने के लिए ये तरीका अपनाते हैं और इस काम को पूरा करने में साथ देता है परफ्यूम। 

इन दिनों परफ्यूम लगाना हर उम्र के लोगों को पसंद है। बाजार में महिलाओं के लिए अलग और पुरूषों के लिए अलग परफ्यूम मौजूद हैं। आपने अब तक परफ्यूम की सिर्फ खूबियों के बारे में ही सुना होगा लेकिन आपको बता दें कि इसमें कुछ खामियां भी होती हैं जो आपके शरीर पर बहुत बुरा असर डाल सकती हैं।

यहां तक कि यह तथ्य भी साबित हो चुका है कि जो भी चीज आपके शरीर के संपर्क में आती है, वह आपके स्वास्थ्य को मानसिक या शारीरिक रूप से जरूर प्रभावित करती है। यही लाॅजिक तब भी लागू होता है जब आप परफ्यूम को अपनी त्वचा पर लगाते हैं। इसका आपकी त्वचा पर किस तरह असर पड़ता है, इसके बारे में जानते हैं।

परफ्यूम कंपनियां छिपाती हैं ये बातें

आपने अक्सर विज्ञापनों में सुना होगा कि परफ्यूम में प्राकृतिक तेल और इत्र का इस्तेमाल किया गया है जबकि परफ्यूम में इसके अलावा कई तरह के रसायनों का इस्तेमाल भी किया जाता है। विज्ञापनों में इन तथ्यों को जाहिर नहीं किया जाता है क्योंकि ये रसायन आपकी त्वचा के लिए सही नहीं होते हैं। उपभोक्ता यह नहीं जानते कि परफ्यूम में 3100 अलग-अलग सिंथेटिक यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

परफ्यूम का व्यवसाय यूं ही सुरक्षित तरीके से चलता रहे, इसी वजह से इससे संबंधित कंपनियां इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का खुलासा नहीं करती हैं। अतः ध्यान रखें कि परफ्यूम की बॉटल पर लिखे विवरण पर पूरी तरह भरोसा नहीं करना है। इससे यह पता नहीं चलेगा कि परफ्यूम आपकी त्वचा के लिए सुरक्षित है या नहीं।

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परफ्यूम से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

जिन रसायनों का परफ्यूम में इस्तेमाल किया जाता है, वह मनुष्य के ऊतकों में जम जाती हैं जिससे हार्मोनल असंतुलन और स्किन एलर्जी हो सकती है। परफ्यूम की वजह से सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते, बांझपन, कैंसर और तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंच सकती है। यही नहीं परफ्यूम से और भी कई समस्यांए हो सकती हैं। हम यहां परफ्यूम में मौजूद रसायनों से होने वाली कुछ आम बीमारियों के बारे में बता रहे हैं।

  • फ्थेलेट्स:
    माना जाता है कि फ्थेलेट्स की वजह से एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर - जिसमे ध्यान लगाने में दिक्कत आती है), आटिज्म (मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार) और अन्य तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। इसकी वजह से कैंसर और स्पर्म को भी क्षति हो सकती है। यह रसायन यूरोपीय संघ, जापान, साउथ कोरिया, चीन ओर कनाडा में बैन है। (और पढ़ें - शुक्राणु की कमी के लक्षण)
  • मस्क कीटोन:
    यह रसायन वसायुक्त ऊतकों और ब्रेस्ट मिल्क में घुल जाता है।
  • फाॅर्मलडिहाइड:
    यह रसायन रूम फ्रेशनर और एयर फ्रेशनर में पाया जाता है। इसे कार्सिनोजन के तौर पर जाना जाता है।

ऑर्गेनिक प्रोडक्ट में नाम शामिल करना

जैसा कि इन दिनों प्रदूषण चारों ओर फैल चुका है। हर जगह, हर चीज, फल, सब्जी, प्रोडक्ट यहां तक कि आप जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वह भी प्रदूषित हो चुकी है। यही वजह है कि जो भी कंपनी ऑर्गेनिक के नाम पर अपना प्रोडक्ट बेचती हैं, लोग उसे बिना हिचक के खरीद लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये शरीर को कम नुकसान पहुंचाते हैं।

(और पढ़ें - प्रदूषण से खराब हो रही त्वचा का समाधान)

हालांकि, निर्देशों के अनुसार वही प्रोडक्ट ऑर्गेनिक माने जाते हैं जिनमें कुछ निश्चित यौगिकों का 1 फीसदी भी इस्तेमाल किया गया हो। जाहिर है कि ज्यादातर परफ्यूमों में खुशबू लाने के लिए हानिकारक रसायनों का इस्तमेाल किया जाता है।

इनसे खुद को कैसे बचाएं

  • परफ्यूम खरीदने से पहले उसके लेबल को जरूर पढ़ें। सिर्फ त्वचा के लिए खरीदी गई चीजों का ही लेबल न पढ़ें बल्कि खाने की चीजों को खरीदने से पहले भी उसका लेबल पढ़ना जरूरी होता है।
  • ऐसे उत्पादों को खरीदें जिसमें 100 फीसदी ऑर्गेनिक सामग्री का इस्तेमाल किया गया हो। हो सकता है कि ऐसी चीजें आपकी जेब पर भारी पड़ें लेकिन यह तसल्ली रहेगी कि आपको स्वास्थ्य संबधी कोई अन्य समस्या नहीं होगी।
  • विभिन्न सुगंधित तेलों को मिलाकर आप घर पर ही परफ्यूम तैयार कर सकते हैं।
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