शिलाजीत, जिसे संस्कृत में "पहाड़ों का विजेता" के नाम से जाना जाता है, एक अद्वितीय पदार्थ है जिसे सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। मध्य एशिया की प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं से प्राप्त, शिलाजीत एक शक्तिशाली राल से युक्त पदार्थ है जो चट्टानों से निकलता है, और माना जाता है कि इस के बहुत सारे फायदे हैं। इस लेख में, हम शिलाजीत की उत्पत्ति, संरचना और स्वास्थ्य के लिए इस के गुणों के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसके अलावा शिलाजीत के फायदे ,शिलाजीत के औषधीय गुण ,शिलाजीत में क्या पाया जाता है,शिलाजीत का उपयोग कैसे करना चाहिए ,शिलाजीत का प्रयोग किसे नहीं करना चाहिए और शिलाजीत किस मौसम में खाना चाहिए , इसके बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
शिलाजीत क्या है?
शिलाजीत एक प्राकृतिक पदार्थ है जो सदियों से इकट्ठे हो रहे पौधों और सूक्ष्म जीवों के अपघटन से बना है और इसमें बहुत से खनिज,सूक्ष्म तत्व और कार्बनिक यौगिक पाए जाते हैं। यह आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों विशेषकर अल्ताई, काकेशस और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में पाया जाता है। राल को कच्चे माल के रूप में सावधानीपूर्वक विशेष विधि के द्वारा अलग किया जाता है। इसी से शक्तिशाली और पोषक तत्वों से भरपूर शिलाजीत प्राप्त होती है।
पिछले हजारों वर्षों से भारत की पारंपरिक औषधियों में शिलाजीत का इस्तेमाल किया जा रहा है। चक्र संहिता और सुश्रुत संहिता में भी शिलाजीत का उल्लेख किया गया है। इन ग्रंथों में इसे ‘सोने जैसे धातु का पत्थर’ और ‘चिपचिपे पदार्थ’ के रूप में बताया गया है।
आयुर्वेद में शिलाजीत को रसायन (शक्तिवर्द्धक) कहा गया है क्योंकि इससे संपूर्ण सेहत में सुधार आता है। शिलाजीत का अर्थ ‘पहाड़ों को जीतने वाला और कमजोरी को दूर करने वाला’ होता है। इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शिलाजीत सेहत के लिए कितना गुणकारी होता है।
शिलाजीत कहाँ पाया जाता है?
शिलाजीत मुख्य रूप से उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है, विशेष रूप से हिमालय, अल्ताई, काकेशस और मध्य एशिया के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में। इन स्थानों पर शिलाजीत के निर्माण के लिए अनुकूल स्थितियाँ हैं। वर्षों तक पौधों और जीवाणुओं के अपघटन से चट्टानों में राल का निर्माण होता है। जिसे शुद्ध करके शिलाजीत का निर्माण किया जाता है।
क्या आप जानते हैं?
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार शिलाजीत से गौमूत्र जैसी गंध आती है। शुद्ध शिलाजीत का सेवन करना महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए ही बुहत लाभकारी माना जाता है।
शिलाजीत के बारे में तथ्य:
- लैटिन नाम: एस्फैल्टम पंजाबिअनम
- सामान्य नाम: ऐस्फाल्ट, मिनरल पिच, मिनरल वैक्स, शिलाजीत
- संस्कृत नाम: शिलाजीत, शिलाजतु
- भौगोलिक विवरण: हिमालय के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में शिलाजीत सबसे ज्यादा पाया जाता है। भारत के अलावा शिलाजीत चीन, नेपाल, पाकिस्तान, तिब्बत और अफगानिस्तान में मिलता है।
शिलाजीत की संरचना
शिलाजीत एक जटिल पदार्थ है जिसमें विभिन्न प्रकार के खनिज, ट्रेस तत्व, फुल्विक एसिड, ह्यूमिक एसिड और विभिन्न कार्बनिक यौगिक शामिल हैं। कुछ प्रमुख घटक हैं:
फुल्विक एसिड: ये अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है, फुल्विक एसिड पोषक तत्वों के अवशोषण और शरीर से जहरीले पदार्थों को निकालने में मदद करता है।
खनिज: शिलाजीत में सभी आवश्यक खनिज जैसे लोहा, जस्ता, तांबा, मैग्नीशियम, मैंगनीज और अन्य होते हैं ,जो सम्पूर्ण शारीरिक स्वास्थ में योगदान देते हैं।
ट्रेस तत्व: शिलाजीत में मौजूद सेलेनियम, स्ट्रोंटियम और अन्य ट्रेस तत्व विभिन्न शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डिबेंजो-अल्फा पाइरोन्स (डीबीपी): माना जाता है कि इन यौगिकों में सूजन को खत्म करने के गुण और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं।
ह्यूमिक एसिड: इसे इम्यूनिटी वाले गुणों के लिए जाना जाता है, ह्यूमिक एसिड शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है।