ऐसा मानना कि प्रत्येक मानव शरीर को व्यक्तिगत रूप से एक जन्म में ही अतीत, वर्तमान और भविष्य के टीन भागों में अलग कर दिया गया है, गहराई से भारतीय विश्वास प्रणाली में निहित है। यहाँ दिए गये 16 रस्मों और गर्भ संस्कार से हर व्यक्ति का ऐसा आनुवांशिक और पर्यावरणीय विकास मुमकिन है कि वह उज्ज्वल हो, उसमें चरित्र की अखंडता हो, दैव्य और हर रूप से स्वस्थ हो। यह सभी संस्कार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हैं। यह 16 संस्कार गर्भावस्था के दौरान और बाद करने चाहिए।
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