सेहत को बेहतर बनाए रखने में हार्मोंस का अहम योगदान होता है. ऐसा ही एक हार्मोन प्रोलैक्टिन है. ये महिला व पुरुष दोनों में पाया जाता है, लेकिन दोनों के लिए इसके कार्य अलग-अलग होते हैं. ये हार्मोन मुख्य रूप से रक्त में पाया जाता है. जहां, गर्भावस्था के व स्तनपान के लिए ये हार्मोन महिलाओं के लिए जरूरी होता है, वहीं पुरुषों की बेहतर प्रजनन क्षमता के लिए इस हार्मोन का होना आवश्यक है. इस हार्मोन के कम या ज्यादा होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

आज इस लेख में आप प्रोलैक्टिन हार्मोन के सामान्य स्तर व महत्व के बारे में जानेंगे -

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  1. प्रोलैक्टिन क्या है?
  2. प्रोलैक्टिन की नॉर्मल रेंज कितनी होती है?
  3. प्रोलैक्टिन बढ़ने के लक्षण
  4. प्रोलैक्टिन बढ़ने के कारण
  5. प्रोलैक्टिन बढ़ने के नुकसान
  6. प्रोलैक्टिन कम करने के घरेलू उपाय
  7. सारांश
प्रोलैक्टिन क्या है? के डॉक्टर

प्रोलैक्टिन (PRL) एक प्रकार का पॉलीपेप्टाइड हार्मोन है, जो पिट्यूटरी ग्रंथि में बनता है. पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क के ठीक नीचे होती है. डोपामाइन (मस्तिष्क रसायन) और एस्ट्रोजन (हार्मोन) पिट्यूटरी ग्रंथि से प्रोलैक्टिन हार्मोन के उत्पादन और स्राव को नियंत्रित करते हैं. दरअसल, प्रोलैक्टिन हार्मोन रक्त में पाया जाता है. यह हार्मोन महिला व पुरुष की प्रजनन क्षमता के लिए जरूरी होता है. वहीं, शिशु के जन्म के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट मिल्क बनाने का काम करता है. इसे लैक्टोट्रोपिन भी कहा जाता है. रक्त में प्रोलैक्टिन हार्मोन की मात्रा जानने के लिए प्रोलैक्टिन टेस्ट किया जाता है.

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प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर को चेक करने के लिए प्रोलैक्टिन टेस्ट किया जाता है. इसके लिए व्यक्ति को अस्पताल में ब्लड सैंपल देना होता है. प्रोलैक्टिन टेस्ट का रिजल्ट कुछ दिनों में ही आ जाता है. जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं या जो गर्भवती हैं, उनमें प्रोलैक्टिन का स्तर अधिक हो सकता है. इसके विपरीत जन्म के समय लड़कों में प्रोलैक्टिन लेवल सामान्य से कम हो सकता है. साथ ही जो महिला स्तनपान नहीं करवा रही है व गर्भवती नहीं है, उनमें भी प्रोलैक्टिन लेवल कम हो सकता है. आइए, प्रोलैक्टिन की नॉर्मल रेंज जानते हैं -

  • पुरुषों में प्रोलैक्टिन हार्मोन की नॉर्मल रेंज 2 से 18 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एनजी/एमएल) होनी चाहिए.
  • महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन की नॉर्मल रेंज 2 से 29 एनजी/एमएल होनी चाहिए.
  • वहीं, गर्भवती महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन का सामान्य स्तर 10 से 210 एनजी/एमएल हो सकता है.
  • प्रोलैक्टिनोमा की अवस्था में प्रोलैक्टिन हार्मोन का स्तर 200 एनजी/एमएल से अधिक हो सकता है. पिट्यूटरी ग्रंथि में प्रोलैक्टिन हार्मोन का सामान्य से अधिक निर्माण होने की अवस्था को प्रोलैक्टिनोमा कहा जाता है. इसमें कैंसर रहित ट्यूमर बन जाता है.

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पुरुष और महिला दोनों में प्रोलैक्टिन हार्मोन पाया जाता है. दोनों में ही प्रोलैक्टिन हार्मोन का लेवल घट या बढ़ सकता है. पुरुषों और महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन बढ़ने के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं -

महिलाओं में प्रोलैक्टिन बढ़ने के लक्षण

पुरुषों में प्रोलैक्टिन बढ़ने के लक्षण

  • कामेच्छा में कमी.
  • इरेक्शन में कठिनाई.
  • छाती में कोमलता महसूस होना.
  • चेस्ट टिश्यू का बढ़ना.
  • गंभीर मामलों में निप्पल से दूध जैसा तरल पदार्थ निकलना.
  • टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी आना.

इनके अलावा, सिरदर्द और देखने में परेशानी होना ऐसे लक्षण हैं, जाे महिला और पुरुष दोनों में नजर आ सकते हैं.

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गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन का लेवल अधिक हो सकता है, जो सामान्य. इसके अलावा भी कुछ कारण होते हैं, जिनके चलते महिला व पुरुष दोनों में इस हार्मोन का स्तर अधिक हो सकता है -

इन सभी स्थितियों में प्रोलैक्टिन बढ़ना आम होता है. यह कुछ समय में सामान्य हो जाता है. इनके अलावा भी कई ऐसे कारण होते हैं, जो प्रोलैक्टिन हार्मोन के बढ़ने का कारण बन सकते हैं -

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मेनोपॉज के बाद प्रोलैक्टिन हार्मोन बढ़ना हाइपोथायरायडिज्म का कारण बन सकता है, क्योंकि इस स्थिति में शरीर पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता है. अगर प्रोलैक्टिन हार्मोन बढ़ता है, तो पुरुषों और जो महिलाएं स्तनपान नहीं करवा रही हैं या गर्भवती नहीं हैं, उन्हें गैलेक्टोरिया (Galactorrhea) हो सकता है. 

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प्रोलैक्टिन के स्तर की जांच करने के लिए टेस्ट किया जाता है. अगर टेस्ट में प्रोलैक्टिन का स्तर अधिक पाया जाता है, तो ऐसे में डॉक्टर एमआरआई (MRI) कराने की सलाह दे सकते हैं. एमआरआई से पिट्यूटरी ग्रंथि को करीब से देखा जा सकता है, इससे सही कारण का पता चल पाता है.

प्रोलैक्टिनोमा होने पर दवा या सर्जरी से उचित इलाज किया जा सकता है, लेकिन प्रोलैक्टिन हार्मोन के बढ़ने पर सभी मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है. कुछ मामलों में आसान से घरेलू उपायों को आजमाकर भी प्रोलैक्टिन के स्तर को सामान्य किया जा सकता है -

  • प्रोलैक्टिन के स्तर को सामान्य करने के लिए हेल्दी डाइट लेना जरूरी होता है.
  • तनाव या चिंता कम करने से भी प्रोलैक्टिन हार्मोन के लेवल को कम किया जा सकता है.
  • हैवी एक्सरसाइज और एक्टिविटी करने से बचें. इससे प्रोलैक्टिन बढ़ सकता है. 
  • ऐसे कपड़े बिल्कुल न पहनें, जो सीने से टाइट हो. 
  • ऐसी एक्टिविटी न करें, जो निप्पल को अधिक उत्तेजित करती हैं.
  • विटामिन-बी6 और विटामिन-ई रिच डाइट लेने से हाई प्रोलैक्टिन लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है.
  • विटामिन-ई प्रोलैक्टिन के स्तर में वृद्धि को रोकने में सहायक होता है.

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प्रोलैक्टिन प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के लिए एक जरूरी हार्मोन है. साथ ही पुरुषों की बेहतर प्रजनन क्षमता के लिए भी यह हार्मोन जरूरी है. यह स्तन ग्रंथियों को उत्तेजित करता है. अगर रक्त में उस समय प्रोलैक्टिन हार्मोन बढ़ता है, जब कोई महिला न ही गर्भवती हैं और न ही स्तनपान करवा रही हैं, तो यह स्थिति बांझपन का कारण बन सकती है. इसलिए अगर प्रोलैक्टिन हार्मोन लेवल बढ़ने के लक्षण महसूस करते हैं, तो इन्हें बिल्कुल नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. महिला और पुरुषों दोनों में प्रोलैक्टिन हार्मोन का स्तर सामान्य होना जरूरी है.

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