अपने मुँह को स्वस्थ रखने के लिए आप ब्रश करते हैं या फिर दाँत साफ करने वाले धागे से दातों की सफाई करते हैं। क्या आप सोच सकते हैं इसके सिवा और ऐसा आप क्या कर सकते हैं जो आपके मुँह को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
जी हाँ, आप अपने मुँह को स्वस्थ रखने के लिए आयल पुल्लिंग कर सकते हैं। आयुर्वेद में इसे कवलग्रह के नाम से जानते हैं। आयल पुल्लिंग पारंपरिक रूप से भारतीय तकनीक है जो दाँत की सड़न, बदबूदार सांस, मसूड़ों से रक्तस्राव और फटे हुए होंठ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसका उल्लेख चरक संहिता में मौखिक स्वच्छता और रखरखाव के लिए किया गया है।
आयल पुल्लिंग का एक प्रकार और भी है जिसे गंडुशा के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग भी आयुर्वेद में मुँह की सफाई के लिए किया जाता है। गंडुशा में अपने मुंह को पूरी तरह से तेल से भरना पड़ता है और थोड़े समय बाद इसे बाहर थूकना पड़ता है। इसमें और कवलग्रह में बस इतना अंतर है कि कवलग्रह में मुंह को पूरी तरह तेल से भरा नहीं जाता है। यहाँ मुँह से तेल को थूकने से पहले मुँह में हिलने की जगह होती है। आम तौर पर आयल पुल्लिंग के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है पर आप नारियल और सूरजमुखी तेल जैसे अन्य खाद्य तेलों का उपयोग भी कर सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं यह प्राचीन उपचार (आयल पुल्लिंग) हमारे लिए कैसे फायदेमंद है।