जब कुछ लोग सामाजिक स्थितियों जैसे- स्कूल, कॉलेज, ऑफिस या सबसे हाल में साइबर स्पेस में एक निश्चित शक्ति रखते हैं और वे लोग दूसरे लोगों को असहाय, कमजोर और शक्तिहीन महसूस करवाने की कोशिश करते हैं तो इसे ही डराना-धमकाना या बुलिंग कहते हैं। बुलिंग का तात्पर्य है जानबूझकर और बार-बार किसी व्यक्ति के साथ मौखिक या शारीरिक रूप से नकारात्मक व्यवहार करना, जिसका उद्देश्य उस व्यक्ति को डराना-धमकाना या नुकसान पहुंचाना होता है।
बुलिंग मुख्य रूप से 2 प्रकार की होती है: पहला है- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष और दूसरा है- संबंधपरक। प्रत्यक्ष बुलिंग में जहां पीड़ित व्यक्ति के साथ शारीरिक और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है, वहीं अप्रत्यक्ष बुलिंग अधिक घातक हो सकती है। इसमें पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ व्यंगात्मक टिप्पणी करना, निंदात्मक ढंग से पेश की जाने वाली कोई तस्वीर उस व्यक्ति की सहमति के बिना ऑनलाइन पोस्ट करना, जानबूझकर किसी को समूह में हो रही चर्चा से बाहर करना, उस व्यक्ति के बारे में अफवाह या गलत बातें करना या उसे बदनाम करना या उसकी झूठी निंदा करना शामिल है।
साइबर बुलिंग या फिर फोन पर, किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या सोशल मीडिया के माध्यम से की जाने वाली डराने-धमकाने की घटनाएं प्रत्यक्ष (उदाहरण- मौखिक दुर्व्यवहार यानी गाली-गलौज करना और धमकी देना) और अप्रत्यक्ष (उदाहरण- पीड़ित व्यक्ति को ध्यान में रखते हुए बदनामी भरा या गलत तरीके का जोक करना) दोनों रूप में हो सकती है। जो लोग बुलिंग या डराने-धमकाने का शिकार होते हैं उनके लिए यह एक अत्यंत तनावपूर्ण अनुभव होता है जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित व्यक्ति चिंता, बेचैनी, आत्मसम्मान के मुद्दे और डिप्रेशन का शिकार होने के साथ ही मादक द्रव्यों का भी सेवन करने लग जाता है।
अनुसंधान से पता चलता है कि बुलिंग के व्यवहार की जड़ें सेहत और परिवार से जुड़ी समस्याओं में हो सकती हैं। उदाहरण के लिए जो बच्चे अपने घर पर अपमानजनक व्यवहार का अनुभव करते हैं या फिर परिवार में किसी को अत्याचारपूर्ण या अपमानजनक व्यवहार करते हुए देखते हैं, वे बच्चे स्कूल में या खेल के मैदान में इसी तरह के व्यवहार को अंजाम देते हैं।
जिन लोगों के साथ बुलिंग हो रही है उनके साथ-साथ जो व्यक्ति बुलिंग कर रहा है यानी धौंस दिखा रहा है उस पर इसका नकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है। अनुसंधान से पता चलता है कि दूसरों को डराने-धमकाने और धौंस दिखाने वाला व्यक्ति आगे चलकर शराब की आदत में पड़ जाता है और बड़े होने पर उन्हें दूसरों से दोस्ती करने में भी मुश्किल होती है।
यूएस नैशनल एसोसिएशन के सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए पॉल आर स्मोकोव्स्की और केली हॉलैंड कोपैज ने "बुलिंग इन स्कूल: एन ओवरव्यू ऑफ टाइप्स, इफेक्ट्स, फैमिली कैरेक्टेरिस्टिक्स एंड इंटरवेंशन स्ट्रैटिजिज" में लिखा है, "एक स्टडी में यह बात सामने आयी कि दूसरों को डराने-धमकाने और धौंस दिखाने वाले लोगों में से करीब एक तिहाई लोगों में एडीएचडी (एटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिजीज) देखने को मिलता है, 12.5 प्रतिशत में डिप्रेशन और 12.5 प्रतिशत में विपक्षी आचरण विकार था। एक अध्ययन में पाया गया कि दूसरों को बुलि करने वाले लोगों में पीड़ितों की तुलना में अत्यधिक शराब पीने और अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने की आदत अधिक लग जाती है। शोध में पाया गया है कि वयस्कों के रूप में, दूसरों को डराने-धमकाने और बुलि करने वाले लोगों में अक्सर एक्सटर्नलाइजिंग व्यवहार (शारीरिक आक्रामकता, नियमों की अवहेलना, धोखाधड़ी, चोरी और संपत्ति का विनाश) और अति सक्रियता देखने को मिलती है। और आखिर में दूसरों को धमकाने वाले लोगों में बचपन में असामाजिक विकास के साथ जोड़ा जाता है।"
यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि डराना-धमकाना (बुलिंग) हमारे दिमाग पर एक स्थायी प्रभाव कैसे डालता है और दूसरों को बुलि करने वाले लोगों से निपटने के लिए क्या टिप्स अपना सकते हैं।