सीबीडी यानी कैनाबिडियॉल तेल, भांग के पौधे के फूल, पत्तियों और तने से कैनाबिडियॉल नामक केमिकल कम्पाउंड के निचोड़ के जरिए प्राप्त किया जाता है। भांग के पौधे में एक-दो नहीं बल्कि 80 तरह के कैनाबिडियॉल पाए जाते हैं जिसमें सीबीडी के अलावा टीएचसी, कैनाबिगेरॉल और कैनाबिनॉल शामिल है।
सीबीडी ऑयल को अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है जिसमें इन्फ्यूजन यानी किसी चीज के अर्क को मिलाने से लेकर डिस्टिलेशन यानी स्त्रावण जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के अनुसार, सीबीडी उत्पाद, कानूनी तौर पर स्वीकार किए जाएं यानी लीगल हों इसके लिए उन्हें भांग के पौधे से प्राप्त किया जाना चाहिए और उसमें टीएचसी (टेट्राहाइड्रोकैनाबिडियॉल) की मात्रा 0.3% से अधिक नहीं होनी चाहिए। भारत में भी मौजूदा समय में अमेरिका के समान ही दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है।
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बहुत से लोग अक्सर सीबीडी को टीएचसी और गांजा समझने की भूल कर देते हैं। हालांकि, टीएचसी की तरह, सीबीडी के सेवन से नशा या उत्तेजना उत्पन्न नहीं होती लेकिन यह भी सच है कि सीबीडी, भांग के पौधे से प्राप्त किया जाता है जिसका गांजे के पौधे के साथ बेहद नजदीकी संबंध है। वास्तव में, सीबीडी में कई सारे औषधीय गुण होते हैं जो दर्द और इन्फ्लेमेशन (आंतरिक सूजन और जलन) की समस्या को कम कर सकते हैं। अमेरिका के एफडीए ने मिर्गी (एपिलेप्सी) के इलाज के लिए सीबीडी ऑयल के शुद्ध रूप के इस्तेमाल को स्वीकृति भी दे रखी है।
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चूंकि अब तक सीबीडी या सीबीडी ऑयल के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है लिहाजा बेहतर यही होगा कि किसी अनुभवी चिकित्सक की देखरेख में ही इसका इस्तेमाल किया जाए। सीबीडी ऑयल के फायदे, नुकसान और इस्तेमाल का सही तरीका क्या है, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।