लेटुस (Lettuce) यानि सलाद पत्ता वैज्ञानिक रूप से लेक्टूका सैटाइवा (Lactuca sativa) के रूप में जाना जाता है। सबसे पहले इसकी खेती हजारों साल पहले मिस्र वासियों द्वारा की जाती थी। मिस्र वासी इसके बीज का उपयोग तेल के उत्पादन करने के लिए और इसके पत्तों का उपयोग सब्जी के लिए करते थे। प्राचीन मिस्र में इस पौधे का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी था। क्योंकि यह पवित्र माना जाता था। बाद में ग्रीक और रोमन भी इस फसल की खेती करने लगे थे।
यह 16 वीं और 18 वीं शताब्दी के बीच की अवधि में था कि विभिन्न प्रकार के लेटुस विकसित किए गए थे। यूरोप में मध्यकालीन युग के दौरान लेटुस को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता था। इसका उल्लेख कई मध्यकालीन ग्रंथों में किया गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में कई बीमारियों के लिए औषधि के रूप में इस पौधे का उपयोग किया जाता था, इसके कई उदाहरण भी मिल सकते हैं। इसका उपयोग पित्त के उतार-चढ़ाव में, रक्तचाप के लिए, भूख नहीं लगने के लिए, अनिद्रा, आंतों और पाचन तंत्र के लिए टॉनिक के रूप में और यौन की तीव्र इच्छा को कम करने के लिए किया जाता था।
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मध्यकालीन समय के दौरान और आधुनिक समय की शुरुआत में लेटुस यूरोप से उत्तरी अमेरिका तक फैल गया था। 19वीं शताब्दी के दौरान, यह दुनिया के अन्य हिस्सों में खासकर एशिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक फैल गया था। आज यह दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में पाया जाता है।
लेटुस में नमी, ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, आहार फाइबर और शर्करा पाया जाता है। इसमें कई खनिज और विटामिन जैसे कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, थायामिन, राइबोफ़्लिविन, नियासिन, फोलेट, विटामिन बी-6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई और विटामिन k हैं।
चलिए हम आपको आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा पुष्टि किए गए इसके कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताते हैं।