क्या आपको पता है कि आपकी पलकें क्यों झपकती हैं? अक्सर हमें बिना पता चले ही हमारी आंखें प्राकृतिक रूप से झपकती रहती हैं। लेकिन कई बार बाहरी कारणों से भी आँखें झपकती हैं जैसे जब कभी भी हमारी आँखों के सामने कोई कीट पतंग दिखाई देता है तो हमारी पलकें अपने आप झपकने लगती हैं। कई बार तो हम जानबूझ कर भी अपनी पलकों को झपकाते हैं जैसे जब हमें धुंधला दिखता है या फिर जब हमारी आँखें थकी हुआ होती हैं।
क्या आपको पता है कि शिशुओं की तुलना में बड़ों की पलकें ज्यादा बार झपकती हैं? शिशुओं की पलकें हर मिनट केवल एक या दो बार झपकती हैं। वहीँ बड़े अपनी पलकों को एक मिनट में 14 - 17 बार झपका लेते हैं। इस अंतर का कारण अभी तक किसी को समझ नहीं आया है। लेकिन कुछ लोगों का सुझाव है कि शिशुओं की तुलना में बड़ों को अपनी आँखों में ज़्यादा चिकनाहट (lubrication) की ज़रूरत होती है क्योंकि शिशुओं की आँखें बड़ों की तुलना में कम खुलती हैं। इसलिए वयस्कों की पलकें ज्यादा बार झपकती हैं।
मान लीजिए कि आप टेलीविज़न देख रहे हैं या कोई किताब पढ़ रहे हैं, तो आप कम पलक झपकाते हैं। क्या आपने कभी नोटिस किया है? कोई किताब पढ़ने के दौरान प्रत्येक वाक्य के अंत में आप की पलकें झपकती हैं। साथ ही दर्द में, उज्ज्वल प्रकाश में, तापमान में परिवर्तन और किसी से बात करते समय आप की पलकें ज्यादा बार झपकती हैं।
हम में से कुछ लोग अधिक पलक झपकने की समस्या से भी पीड़ित हैं। यह आमतौर पर चेहरे, सिर या गर्दन के मूवमेंट के साथ जुड़ी समस्या हो सकती है। अधिक पलक झपकने का कारण पलकों में किसी तरह की परेशानी, दृष्टि में कमी, तिरछा दिखाई देना या तनाव हो सकता है।