आयोडीन हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्व है जो हमारे शारीरिक वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। मानव शरीर में लगभग 60% आयोडीन थाइरोइड ग्रंथि में संग्रहित होता है। आयोडीन थायराइड ग्रंथि के सामान्य कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आयोडीन मानव शरीर में थायराइड ग्रंथियों के कामकाज को नियंत्रित करता है जिनका हमारी मेटाबोलिक (metabolic) प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। आयोडीन शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने और विभिन्न खनिजों, जैसे कैल्शियम और सिलिकॉन का उपयोग करने में हमारे शरीर की मदद करता है।

  1. आयोडीन के स्रोत - Sources of iodine in hindi
  2. आयोडीन के फायदे - Iodine benefits in hindi
  3. आयोडीन की कमी के लक्षण और नुकसान - Iodine deficiency disorders in hindi
  4. आयोडीन की अधिक मात्रा से नुकसान - Side effects of consuming too much iodine in hindi
  5. आयोडीन की कितनी मात्रा का सेवन करना चाहिए? - How much iodine to take per day in hindi
  6. सारांश

आयोडीन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। गर्भावस्‍था के दौरान इसका सेवन बहुत जरूरी है। आयोडीन की कमी से कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थॉयराइड ग्रंथि को सुचारु करने के लिए बहुत जरूरी है। यह एक माइक्रोपोशक तत्व है जो हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यक होता है। आयोडीन शरीर के तापमान को भी नियमित करता है। इसलिए शरीर में आयोडीन की कमी ना होने दें। आयोडीन के अच्छे और प्रकृति स्रोत अनाज, दालें एवं ताजे खाद्य पदार्थ, दूधमछली और सी फ़ूड हैं। मॉस तथा अंडों में भी कुछ मात्रा में आयोडीन होता है। इसके अलावा आलू, दूध, मुनक्कादहीब्राउन राइसलहसुनमशरूमपालक और आयोडीन नमक भी अच्छे स्रोत हैं।

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मनुष्यों के उचित विकास और चयापचय को नियंत्रित करने के अलावा आयोडीन के कुछ और भी स्वास्थ्य लाभ हैं तो चलिए आज हम आयोडीन के लाभों के बारे में जानते हैं।

आयोडीन थायराइड हार्मोन के निर्माण में मदद करके थायराइड ग्रंथि के कार्य में सुधार करता है जिससे शरीर की चयापचय दर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कुछ हार्मोन जैसे थायरोक्सिन (thyroxin) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (triiodothyronine) हृदय की दर, रक्तचाप, शरीर के वजन और तापमान को प्रभावित करते हैं। शरीर इन हार्मोन्स की मदद से बेसिक मेटाबोलिक दर को बनाए रखता है जिससे प्रोटीन संश्लेषण (synthesis) में भी मदद होती है।

आयोडीन शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोडीन कैलोरी को अच्छी तरह उपयोग करने में मदद करता है। आयोडीन के उपयोग से कैलोरी को अतिरिक्त वसा के रूप में इकट्ठा होने से रोका जा सकता है।

आयोडीन स्वस्थ और चमकदार त्वचा, दांत और बालों के लिए बहुत लाभदायक है। यह बालों की देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। आयोडीन की कमी के कारण बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है। आयोडीन बालों के बढ़ने में मदद करता है और इनकी जड़ों को मजबूत करता है।

यह प्रजनन अंगों के सामान्य विकास और परिपक्वता (maturity) में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा के सेवन से मृत प्रसव, न्यूरो कॉग्निटिव विकार (neurocognitive disorder) और नवजात शिशुओं में बौनेपन की समस्या नहीं होती है। यह शिशु के मूवमेंट और ग्रोथ के साथ सुनने और बोलने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसकी कमी महिला में बांझपन की समस्या को जन्म दे सकती है। गर्भवती महिलाओं को स्वयं अपने लिए और अपने बच्चे के लिए आयोडीन का सेवन करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिला स्तन के दूध के माध्यम से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में आयोडीन को खोती है। एक अध्ययन से पता चलता है कि गर्भवती या नर्सिंग महिला प्रतिदिन जितना आयोडीन का सेवन करती है, उससे अधिक मात्रा में वो आयोडीन अपने शरीर से खोती है जिसके परिणामस्वरूप आयोडीन की कमी हो सकती है।

आयोडीन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाता है। यह विटामिन-सी की तरह पूरे शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की गतिविधि को उत्तेजित करता है जो हृदय रोग और कैंसर सहित विभिन्न रोगों से लड़ने में मदद करते हैं।

आयोडीन का सेवन हार्मोनल गतिविधि को बढ़ाता है जिससे आपको वजन और शरीर में वसा कम करने में मदद मिलती है जो हाइपोथायरॉइड रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा होता है। हाइपोथायरायडिज्म का एक कारण आयोडीन की कमी भी है। हाइपोथायरायडिज्म के परिणामस्वरूप शारीरिक प्रक्रियाएं धीमा हो जाती हैं क्योंकि हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर में रासायनिक संतुलन बंद हो जाता है। साथ ही हमारा शरीर भोजन की कैलोरी को जला कर इसे ऊर्जा में नहीं बदल पाता है।

आयोडीन की कमी के हमारे शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं जैसे हताशा, अवसाद, त्वचा का सूखापन, नाखूनों और बालों का टूटना, कब्ज़ और भारी कर्कश आवाज़। इसके अलावा आयोडीन की कमी से वज़न बढ़ सकता है, रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ सकता है, ठंड बर्दाश्त नहीं हो पाती है, प्रजनन क्षमता में कमी होती है, त्वचा मोटी हो जाती है, घेंघा रोग (goitre) हो सकता है और साथ ही थकान भी हो सकती है। इसकी कमी से मस्तिष्क का धीमा होना और दिमाग की क्षति आदि बीमारियां हो सकती हैं। साथ साथ आयोडीन की लगातार कमी से चेहरा सूज जाता है, गले में सूजन आ जाती है, थाइराइड की कमी और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बाधा आती है।

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  • गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात हो सकता है, नवज़ात शिशुओं का वज़न कम हो सकता है, शिशु मृत पैदा हो सकता है, जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु हो सकती है।
  • शिशु में आयोडीन की कमी से विकास सम्बंधित समस्याएं जैसे मस्तिष्क का धीमा चलना, शरीर का विकास कम होना, बौनापन, देर से जवानी आना, सुनने, बोलने और समझने में दिक्कत आदि हो सकती हैँ।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में मानसिक कमजोरी आयोडीन की कमी के प्रमुख कारणों में से एक है।

आयोडीन हमारे शरीर के विकास और थायराइड हार्मोन बनाने के लिए बहुत आवश्यकता है। संतुलित मात्रा में इसके सेवन के कई स्वस्थ लाभ है। अगर हम इसका अधिक मात्रा में सेवन करते है तो यह हमारे स्वस्थ के लिए हानि करक होता है।

अत्यधिक मात्रा में आयोडीन के सेवन से पेट में दर्ददस्त या उल्टी जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा मुँह और गले में जलन ही सकता है। आयोडीन की अधिक मात्रा स्वाद ग्रंथि को भी प्रभावित करती है जिसके परिणामस्वरूप हमारे मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।

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अत्यधिक मात्रा में आयोडीन थायराइड हार्मोन के निर्माण के साथ हस्तक्षेप करता है। जिससे हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। मैरीलैंड मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी के अनुसार बहुत ज्यादा आयोडीन का सेवन हाशिमोटो और थायराइड कैंसर सहित अन्य थायराइड रोगों के खतरे का कारण बन सकता है.बहुत ज्यादा आयोडीन के सेवन से बेहोशी और घबराहट जैसी समस्या को जन्म देती है। आयोडीन की अधिक मात्रा खाँसी, बुखार, सांस की तकलीफ, सदमे आदि समस्या पैदा करती है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 1 वर्ष से छोटे शिशुओं को प्रतिदिन 50-90 माइक्रोग्राम, 1 से 11 वर्ष के बच्चों को 90-120 माइक्रोग्राम, वयस्कों तथा किशोरों को 90-120 माइक्रोग्राम, गर्भवती महिलाओं को 200-220 माइक्रोग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 250-290 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए।

आयोडीन एक महत्वपूर्ण खनिज है जो थायरॉयड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। इसके प्रमुख स्रोतों में समुद्री मछलियाँ, जैसे टूना और सैल्मन, समुद्री शैवाल, अंडे, डेयरी उत्पाद, और आयोडीन युक्त नमक शामिल हैं। आयोडीन की पर्याप्त मात्रा शरीर में ऊर्जा संतुलन बनाए रखने और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह बच्चों में मानसिक विकास और शारीरिक वृद्धि के लिए भी आवश्यक है।

आयोडीन की कमी से गला बढ़ना (गॉइटर), थकान, वजन बढ़ना, और मानसिक कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं में इसकी कमी से भ्रूण के मस्तिष्क विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, आयोडीन की अत्यधिक मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है, जिससे थायरॉयड ग्रंथि की गतिविधि असंतुलित हो सकती है। इसलिए इसे संतुलित मात्रा में लेना जरूरी है।


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