अस्थमा और सांस के रोगियों के लिए इनहेलर बहुत ही उपयोगी डिवाइस है। मुंह से ली जाने वाली गोली या टैबलेट जो काम नहीं कर पाती, इनहेलर वही काम कुछ ही मिनटों में पूरा कर देता है। इसका असर काफी प्रभावशाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनहेलर की मदद से ली गई दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है। इससे मरीज को अस्थमा के लक्षण से बचने में मदद मिलती है।

  1. इनहेलर क्या है - Inhaler kya hai
  2. इनहेलर मशीन के प्रकार - Inhaler machine ka prakar
  3. इनहेलर का प्रयोग कब करें - inhaler ka prayog kab karen
  4. इनहेलर के उपयोग में रहें सावधान - inhaler ke upyog me rahe savdhan
  5. इनहेलर के लाभ - inhaler ke fayde
  6. इनहेलर के दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट - inhaler ke side effect
  7. इनहेलर से जुड़े कुछ मिथ - inhaler se jude kuch myth

अस्थमा इनहेलर एक छोटा सा उपकरण है जिसे अस्थमा या लंग्स के मरीज चैबीसो घंटे अपने पास रखते हैं। यह उस स्थिति में काम आता है जब मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके साथ ही नियमित अस्थमा इनहेलर की मदद से मरीज अस्थमा अटैक को आने से भी रोक सकता है। हालांकि अस्थमा अटैक से बचने के लिए सही इनहेलर और सही तकनीक का पता होना जरूरी है। अगर किसी मरीज को इनहेलर यानी उपकरण से समस्या हो तो उसे इस संबंध में डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उपयुक्त इनहेलर का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए।

आमतौर पर इनहेलर के दो प्रकार होते हैं। एक को कंट्रोलर (नियंत्रक) या प्रीवेंटर (रोधक) और अन्य को रिलीवर (आराम दायक) के नाम से जाना जाता है। कंट्रोलर वह अस्थमा इनहेलर होता है जो अस्थमा के लक्षण को नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं। जबकि रिलीवर, अस्थाम के लक्षणों से तुरंत आराम दिलाने में काम आता है। अस्थमा के लक्षण को कम करने में अस्थमा इनहेलर को सबसे सुरक्षित तरीका माना गया है। मोटे तौर पर अस्थमा इनहेलर को चार हिस्सों में विभाजित किया गया है। जैसे प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर, ड्राई पाउडर इनहेलर, ब्रीथ एक्टुएट इनहेलर और नेबुलाइजर।

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प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर

यह पंप इनहेलर है। ज्यादातर अस्थमा के मरीज इस इनहेलर का ही इस्तेमाल करते हैं। यह स्प्रे के रूप में मार्केट में मिलता है। इसकी मदद से मरीज को दवा की एक निश्चित मात्रा मिलती है जो सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है। इसके हर पंप से दवा की समान मात्रा निकलती है। इस इनहेलर की वजह से मरीज को किसी अन्य दवा पर आश्रित होने की जरूरत नहीं होती। इसके इस्तेमाल के लिए मरीज को मुंह के अंदर इनहेलर को पंप करना होता है जिससे दवा सीधे अंदर चली जाती है। आजकल पंप इनहेलर में डोज काउंटर भी दिखता है। इससे मरीज को अपने हर पफ की पूरी जानकारी होती है।

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ड्राई पाउडर इनहेलर

इस तरह के इनहेलर दवा को पाउडर के रूप में वितरीत करते हैं। यह सांस की मदद से चलने वाले उपकरण होते हैं। इसका उपयोग करना मरीजों के लिए काफी आसान है। आमतौर पर मरीज के लिए इसका एक ही पफ काफी होता है। जरूरी हो तो मल्टी डोज पाउडर इनहेलर भी मार्केट में मौजूद है।

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मल्टीहेलर

मल्टीहेलर के ब्लिस्टर स्ट्रिप (जिसमें दवा होती है) में पहले से ही दवा के कई डोज मौजूद होते हैं ताकि मरीज को बार-बार इसमें जरूरत के अनुसार कैप्सूल डालने की जरूरत न हो। जरूरत के अनुसार इसे घुमाने पर ही मरीज को दवा मिल जाती है। मल्टीहेलर में भी डोज काउंटर है। काउंटर की मदद से मरीज को पता चल पाएगा कि इसमें कितनी दवा बाकी है।

ब्रीथ ऐक्चूएट इनहेलर 

यह प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर का ही उन्नत संस्करण है। इससे मरीज को प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर और ड्राई पावडर इनहेलर के फायदे मिलतेहैं। दरअसल यह उपकरण मरीज की संवेदनशीलता को समझते हुए जरूरत अनुसार स्वतः दवा रिलीज करता है। इसी का एक हिस्सा ऑटो इनहेलर होता है। इसे बच्चे, बड़े या बूढ़े अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेबुलाइजर

नेबुलाइजर बाकी सभी इनहेलर से अलग है। यह एक मशीन है जो तरल दवा को ऐयरोसेल ड्राॅपलेट्स में तब्दील करता है। नेबुलाइजर को मरीज हर समय अपने पास नहीं रख सकता है और न ही जब-तब इस्तेमाल कर सकता है। शिशु, बच्चों, युवा, बुजुर्ग, मरीज हर कोई इसका अस्थमा अटैक आने की स्थिति में उपयोग करता है। नेबुलाइजर मशीन तुरंत अस्थमा अटैक से राहत देने में कारगर है।

जैसा कि आप जानते हैं कि अस्थमा इनहेलर का इस्तेमाल अस्थमा के लक्षण नजर आने पर करना चाहिए जैसे कि एक्सरसाइज, शारीरिक गतिविधियां आदि। इसी तरह अगर आप शारीरिक श्रम वाले एक्सरसाइज काफी ज्यादा करते हैं, तब भी अस्थमा इनहेलर का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अस्थमा इनहेलर के इस्तेमाल को लेकर सजग रहना चाहिए। चिकित्सक सलाह देते हैं कि अस्थमा के लक्षण गंभीर नजर आ रहे हैं तो हर 15 से 30 मिनट में अस्थमा इनहेलर का इस्तेमाल करें। शारीरिक श्रम करते हुए अस्थमा इनहेलर अपने हाथ में ही रखें। अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे नियमित एक्सरसाइज करें। कई बार एक्सरसाइज से सांस की तकलीफ बढ़ जाती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक्सरसाइज करना छोड़ दें। इसके बजाय कोशिश करें कि नियमित एक्सरसाइज करें। इससे फेंफड़ों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, वजन संतुलित रहता है और इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। अगर एक्सरसाइज करने में तकलीफ हो तो बेहतर है कि एक बार डाॅक्टर से संपर्क कर लें। आपके लिए बेहतर यही होगा कि ऐसी एक्सरसाइज करें जिसमें शारीरिक श्रम कम लगता है। इसके साथ ही मौसमी बदलाव का भी ध्यान रखें। मौसम में एकाएक परिवर्तन की वजह से भी अस्थमा या लंग्स के मरीज को अस्थमा इनहेलर की जरूरत होती है।

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बेशक अस्थमा के मरीज नियमित अस्थमा के इनहेलर का उपयोग करते हैं। यही वजह है कि वे इसके उपयोग के तरीके को लेकर निश्चिंत रहते हैं। जबकि विशेषज्ञ सभी अस्थमा इनहेलर लेने वाले मरीजों को सलाह देते हैं कि नियमित अपने अस्थमा का चेकअप कराएं। जितनी बार डाॅक्टर के पास जाते हैं, उनसे अपने अस्थमा इनहेलर के इस्तेमाल के तरीके पर अवश्य बात करें। डाॅक्टर से कहें कि आपके द्वारा अस्थमा इनहेलर के उपयोग के तरीके की जांच करें। अगर आपको हाल-फिलहाल में अस्थमा अटैक आया है, तो ऐसी स्थिति में अस्थमा इनहेलर के इस्तेमाल की तकनीक के बारे में जानना और भी जरूरी हो जाता है। आप डाॅक्टर से किसी कारणवश इस संबंध में बात नहीं कर पाए हैं, तो फर्मासिस्ट से भी अस्थमा इनहेलर की तकनीक के बारे में पूछ सकते हैं।

इन सबके अलावा अस्थमा इनहेलर के मरीजों को अपने इनहेलर की नियमित सफाई भी करनी चाहिए। बाजार में उपलब्ध ज्यादातर इनहेलर इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं। इसके बावजूद जिन इनहेलर को घर में रखा जाता है, उसकी देखरेख करना जरुरी है। ध्यान रखें कि आप इनहेलर कहां रख रहे हैं, किस तरह रख रहे हैं और उसकी नियिमत सफाई जैसे कारक पर गौर करें। इनहेलर को हमेशा साफ रखें और सही जगह पर रखें। जिस जगह आप काम करते हैं, वहां इनहेलर रखना सबसे जरूरी होता है। खासकर शारीरिक काम करने वाले अस्थमा के मरीज के लिए यह ज्यादा जरूरी है।

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अस्थमा इनहेलर का सही तरह से इस्तेमाल करने से दवा सीधे लंग्स तक पहुंचती है, जहां इसकी जरूरत है। इसका कोई नुकसान सुनने या देखने को अब तक नहीं मिले। दरअसल इनहेलर से कम मात्रा में दवा शरीर में पहुंचती है जो शरीर के अन्य हिस्से को प्रभावित नहीं करती। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि अस्थमा या लंग्स रोग के मरीज जब-तब इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल कब और क्यों किया जाना चाहिए यह जानना जरूरी है। अस्थमा इनहेलर इस्तेामल तभी करें जब डाॅक्टर ने आपको इसके इस्तेमाल का सुझाव दिया हो। इसका सुझाव निम्न वजहों से दिया जा सकता है-

  • अस्थमा अटैक के जोखिम को कम करने के लिए
  • सांस की तकलीफ से परेशान लोगों को सीढ़ी चढ़ते वक्त सांस लेने में समस्या होने पर
  • रात को सांस संबंधी समस्या न हो
  • अस्थमा के अन्य लक्षणों को कम करने के लिए
  • शारीरिक गतिविधियों से सांस लेने में समस्या होने पर
  • एक्सरसाइज के दौरान सांस लेने में तकलीफ होने पर

अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए अस्थमा इनहेलर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें कॉर्टिकॉस्टिरॉइड दवा होती है। सवाल है कि कॉर्टिकॉस्टिरॉइड दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद है या नहीं? क्या इसका कोई नकारात्मक प्रभाव मरीज के शरीर पर पड़ सकता है? क्या इनहेलर का प्रभाव और मुंह से ली जाने वाली दवा का समान रूप से शरीर पर असर पड़ता है? यही नहीं मरीजों के जहन में यह सवाल भी होता है कि रक्तवाहिकाओं पर इनहेलर के जरिए उपयोग की गई दवा का क्या असर पड़ता है?

विशेषज्ञों के अनुसार अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा का मुख्य रूप से वायुमार्ग की सूजन को निर्देशित करना है। लंबे समय से चल रहे अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए स्टेरॉयड को इनहेलर की मदद से सांस के जरिए लिया जाता है। बाजार में स्टेरॉयड की विविधताएं मौजूद हैं। ज्यादातर स्टेरॉयड एक ही तरह से काम करते हैं। इनके बहुत कम नकारात्मक प्रभाव नजर आते हैं। इसके बावजूद जैसे-जैसे स्टेरॉयड की खुराक बढ़ जाती है, वैसे-वैसे उसके जटिल जोखिम नजर आ सकते हैं। फ्लोराइड युक्त स्टेरॉयड फ्लाइक्टासोन (फ्लोवेंट) और बुडेसोनाइड (पल्मिकॉर्ट) सबसे शक्तिशाली होते हैं। आमतौर पर सबसे कम प्रभावी खुराक का उपयोग करना महत्वपूर्ण है जो फेफड़ों के कार्य को बेहतर करता है और लक्षणों को कम करने मे मदद करता है।

कुछ स्टेरॉयड इनहेलर, डाॅक्टर के परामर्श के बाद ही इस्तेमाल किए जाते हैं। इसका शरीर पर बहुत गहरा असर पड़ सकता है। कुछ संभावित प्रभावों में हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क में) और एडरनल (किडनी के ऊपर) की क्षति शामिल है। ये ग्रंथियां हमारे शरीर में तनाव की प्रतिक्रिया में शामिल होते हैं। जब इन ग्रंथियों पर स्टेरॉयड लेने की वजह से अतिरिक्त दबाव बनता है तो इनकी कार्यप्रणाली बाधित होती है। स्टेरॉयड का सबसे सामान्य नुकसान ओरल कैंडिडियास (थ्रश) है। इसका आसानी से उपचार किया जाता सकता है साथ ही अस्थमा इनहेलर के उपयोग में कमी लाकर इस समस्या से बचा रहा जा सकता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि स्टेराॅयड इनहेल करने की वजह से ग्लूकोमा भी फैलता है।

कुल मिलाकर कहने की बात यही है कि अस्थमा के लक्षणों से निपटने के लिए स्टेरॉयड लिया जााना एक बेहतरीन तरीका है। अगर आप इसका सही तरह से और डाॅक्टरों के परामर्श पर इस्तेमाल करते हैं, तो इसके भरपूर लाभ उठा सकते हैं।

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पूरी दुनिया में मौजूद सांस के मरीज, अस्थमा के मरीजों ने इनहेलर को स्वीकार किया है। सभी जानते हैं कि अस्थमा इनहेलर का असर प्रभावशाली है। इसके बावजूद इनहेलर उपकरण के इस्तेमाल से कुछ मिथ जुड़े हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अस्थमा के कुछ मरीजों से बार-बार कहा जाता है कि अस्थमा इनहेलर के इस्तेमाल की वजह से वे कभी ठीक नहीं हो पाएंगे। जबकि इनहेलर का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित और असरकारक है। अतः इसका उपयोग बिना किसी संकोच के किया जा सकता है। इसके बावजूद यह जान लेना जरूरी है कि इससे संबंधित किस तरह के मिथ फैले हुए हैं।

मिथ - इनहेलर के कारण नशा होता है

ज्यादातर लोगों का मानना है कि इनहेलर से नशा होता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। इनहेलर में इस्तेमाल दवा में ऐसा कोई तत्व मौजूद नहीं होता जो नशे को बढ़ाए। हालांकि इसके इस्तेमाल को बंद करने से लक्षण फिर से उभरने लगते हैं। लेकिन साफ-साफ शब्दों में यह कहा जा सकता है कि अस्थमा के मरीजों को जब भी जरूरत हो या डाॅक्टर द्वारा परामर्श की गई हो, तो इनहेलर का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे नशा नहीं होता।

मिथ - इनहेलर के इस्तेमाल से बच्चों का कद रुक जाता है

यह भी एक मिथ है। हैरानी की बात है कि इनहेलर का किसी तरह का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता। इसमें मौजूद दवा अस्थमा के मरीजों के लिए प्रभावशाली होती है। इसके साथ ही इनहेलर को इस तरह डिजाइन किया गया होता है कि बहुत सीमित मात्रा में दवाई सीधे लंग्स तक पहुंचती है। जहां तक बात इस मिथ की है कि इनहेलर के इस्तेमाल से बच्चों का कद रुक जाता है, तो यह निराधार बात है। अस्थमा इनहेलर के इस्तेमाल करने वाले बच्चों का कद सामान्य बच्चों की तरह ही बढ़ता है।

मिथ - स्टेरॉयड को इनहेलर करना नुकसानदायक है

जब आप इनहेलर का इस्तेमाल करते हैं तो दवा सीधे लंग्स तक पहुंचती है। जैसा कि बार-बार कहा जा रहा है कि पंप के जरिए दवा की सीमित मात्रा ही लंग्स तक पहुंचती है। स्टेरॉयड की इतनी कम मात्रा शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती। अस्थमा के सभी मरीज जैसे बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी इसका इस्तेमाल सुरक्षित तरीके से कर सकती हैं। ध्यान रखें कि इनहेलर में इस्तेमाल किये जाने वाले स्टेरॉयड एथलीट और बाॅडी बिल्डर द्वारा लिए जाने वाले स्टेरॉयड से अलग होते हैं। एथलीट या बाॅडी बिल्डर स्टेरॉयड का इस्तेमाल अपनी परफाॅर्मेंस को बेहत करने के लिए करते हैं। जबकि अस्थमा के मरीजों का इनहेलर अलग है।

मिथ - सांस की तकलीफ से बचने के लिए इनहेलर आखिरी उपाय है

सांस की समस्या या अस्थमा की समस्या से निपटने के लिए इनहेलर आखिरी उपाय नहीं है। हां, इसे आप पहला उपाय जरूर कह सकते हैं। जैसा कि पहले ही कहा गया है कि पूरी दुनिया में इसे अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोगी तरीके के तौर पर अपनाया गया है। इनहेलर के जरिए लंग्स के अंदर तक जाकर दवाई काम करती है। सांस की तकलीफ से बचने के लिए और भी विकल्प मौजूद हैं। 

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