अमेरिकी विद्वान हेनरी डेविड थोरो ने एक बार कहा था, 'आंख शरीर का आभूषण है।' यह सच है। आंखें दुनिया के लिए आपकी खिड़कियां हैं। इसीलिए इनकी देखभाल करना महत्वपूर्ण है। जीवनशैली और रोजमर्रा के तनाव से झुर्रियां, लालिमा, सूखापन और काले घेरे हो सकते हैं। इससे गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं और दृष्टि भी जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2.2 अरब लोग आंखों की समस्याओं से जूझ रहे हैं। ये लोग आंखों के खराब स्वास्थ्य से प्रभावित हैं, लेकिन तथ्य यह है कि इनमें से एक अरब मामलों को रोका जा सकता था। वास्तव में विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह अवलोकन भारत को एक मौका देता करता है कि वह अपनी खुद की दृष्टिबाधित आबादी पर ध्यान दे और जाने कि वह आंखों की समस्याओं संबंधी मामलों को रोकने और उनके इलाज के लिए क्या कर सकता है। सच तो यह है कि आंखों की देखभाल के लिए बहुत ज्यादा कुछ नहीं करना है। रोजमर्रा की कुछ ऐसी आदतों को अपनाएं जिससे आंखों की समस्याओं और विकारों की परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है।
चाहे आपको चश्मा लगा हो या आपकी आंखों से संबंधित कोई समस्या हो, समय समय पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से आंखों की नियमित जांच कराना बेहतर होता है। इसका कारण यह है कि आंखों के संक्रमण या आंखों की समस्या को अनदेखा करने से आंखों को गंभीर क्षति या यहां तक कि आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसलिए 10 से 60 वर्ष की उम्र के बीच प्रत्येक व्यक्ति को हर दो साल में कम से कम एक बार नेत्र रोग को विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। जब बात आंखों की देखभाल की आती है तब डॉक्टर हर किसी को इन कुछ चीज़ों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं -
(और पढ़ें - दादी मां के घरेलू नुस्खे)