क्या आपने सोचा है कि जन्म के तुरंत बाद ही हमें अपने बच्चों के प्रति इतना प्यार क्यों महसूस होने लगता है? किसी को गले लगाना, प्यार में पड़ना या फिर यौन संबंध बनाने के दौरान एक अजीब से आनंद की अनुभूति क्यों होती है? इसका जवाब ये है कि इन सभी स्थितियों में शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज होता है, यानी कि ऑक्सीटोसिन के कारण ही इस प्रकार के आनंद का अनुभव होता है। शायद यही कारण कि ऑक्सीटोसिन को 'लव हार्मोन' के नाम से भी जाना जाता है। हार्मोन स्वाभाविक रूप से शरीर में उत्पन्न होने वाले रसायन होते हैं जो शरीर के अंदर ही संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं और शरीर के सही विकास और सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करते हैं। ऑक्सीटोसिन हार्मोन के बारे में विस्तार से समझते हैं।
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वैसोप्रेसिन के साथ ऑक्सीटोसिन हार्मोन का उत्पादन ब्रेन में मौजूद हाइपोथैलेमस द्वारा होता है जबकि मस्तिष्क का पॉस्टीरियर पिट्यूटरी लोब (पिछला पीयूष भाग) इस हार्मोन को रिलीज करता है। अब यदि आप सोच रहे हैं कि क्या पुरुषों में भी ऑक्सीटोसिन का उत्पादन होता है? तो इसका जवाब है हां, बिल्कुल। वैसे तो पुरुषों और महिलाओं, दोनो में ही समान मात्रा में इसका निर्माण होता है (उदाहरण के लिए बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मां और पिता दोनों को बच्चे के प्रति अत्यधिक प्यार महसूस होता है), फिर भी महिलाओं में इसकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। अब कुछ लोगों के मन में एक सवाल और आ सकता है कि क्या बच्चे में भी ऑक्सीटोसिन का उत्पादन होता है तो इसका भी जवाब हां है।
रोमांस और यौन संबंध बनाना, समाज के प्रति सकारात्क सोच होना, बच्चे को जन्म देना और उसे अपना दूध पिलाना ऑक्सीटोसिन के उत्पादन और रिलीज के लिए महत्वपूर्ण संकेत देते हैं। इसके अलावा सकारात्मक प्रतिक्रिया तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि जब तक उत्तेजना मौजूद है संबंधित और प्रगतिशील कार्यों के लिए हार्मोन का रिलीज होना जारी रहे। यह हार्मोन गर्भाशय, स्तन, प्रजनन पथ, प्रोस्टेट और किडनी पर प्रभाव डालता है। इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर भी प्रभाव डालता है।
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कुछ स्थितियों में ऑक्सीटोसिन की बाहरी आपूर्ति की भी आवश्यकता हो सकती है। कई बार डॉक्टर गर्भवती महिलाओं में लेबर को प्रेरित करने या उसे सपोर्ट करने के लिए भी ऑक्सीटोसिन फॉर्मूलेशन का इस्तेमाल करते हैं। इसे मांसपेशियों में, नसों में या इंट्रानेजल स्प्रे के माध्यम से दिया जाता है। कुछ रोगियों में इसके दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर, धड़कन का तेज होना या धीमा होना, शरीर में पानी और सोडियम का जमा होना, गर्भाशय में संकुचन महसूस होना, गर्भाशय का फटना या जन्म के वक्त सांस लेने में अवरोध महसूस होना जैसी समस्याएं।
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आइए प्यार, सामाजिक बंधन, माता-पिता से बच्चे के संबंध को स्थापित करने वाले, रिश्तों में विश्वास को बढ़ावा देने वाले और प्राकृतिक प्रसव को प्रेरित करने वाले ऑक्सीटोसिन हार्मोन के बारे में विस्तार से जानते हैं।