एक समय था जब लोगों को फोन की जरूरत थी, लत नहीं। फोन लोगों से जुड़ने का एक माध्यम था, लेकिन अब लत की वजह से यही फोन लोगों को एक-दूसरे से दूर कर रहा है। जिस तरह शराब की लत धीरे-धीरे लोगों की सोचने समझने की क्षमता को कम कर देती है। वैसे ही फोन धीरे-धीरे इंसान पर कई तरह के मानसिक प्रभाव डालता है। मोबाइल फोन के इन्हीं दुष्प्रभावों से युवाओं को बाहर निकालने के लिए डी एडिक्शन सेंटर और क्लीनिक खोले जा रहे हैं।
केरल में राजगिरी कॉलेज ऑफ सोशल साइंस के मनोवैज्ञानिक विभाग ने फोन की लत से जूझ रहे लोगों के लिए एक क्लीनिक खोला है। इस क्लीनिक का उद्घाटन 19 सितंबर 2019 को किया गया था। इसका नाम हेल्दी इंटरनेट टेक्नोलॉजी एक्सपीरियंस क्लीनिक है। ये कॉलेज के सेंटर फॉर बिहेवरियल साइंस का हिस्सा है। इसका उद्देश्य लोगों को फोन की लत से बाहर लाना है।
लोग कैसे बनते हैं फोन की लत के शिकार
- लोग वर्चुअल रिलेशनशिप्स (ऐसे लोग जो असलियत में नहीं होते उनसे संबंध) से खुद को बिजी रखते हैं
- खुद को जानकारियों से जोड़े रखने के लिए और बोरियत से बचाने के लिए लोग वीडियो देखना और गेम्स खेलना पसंद करते हैं
- ऑनलाइन सट्टे बाजी और जुआ लोगों को इंटरनेट का आदी बना देता है
इंटरनेट एडिक्शन के निम्न कारण और लक्षण
- अकेलापन और डिप्रेशन
- हर वक्त चिंता
- स्ट्रेस
- अटेंशन स्पैन का कम होना
- क्रिएटिविटी और एकाग्रता का कम होना
- नींद न आना
- खुद को ज्यादा इंपोर्टेंस देना और खुद से प्रभावित रहना जैसे सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते रहना।
एडिक्शन से लोगों के व्यवहार में आ रहा बदलाव
- फोन तब परेशानी बन जाता है जब आप सामने बैठे इंसान से ज्यादा फोन पर बैठे इंसान को महत्व देने लग जाते हैं
- लोग अपने दैनिक कामों को करने से कतराने लगते हैं
- अपने परिवार और दोस्तों से दूर हो जाते हैं
- अपने स्मार्टफोन के साथ अकेले में वक्त बिताना पसंद करने लगते हैं
- कुछ भी छूट जाने का डर रहना जिसे फोमो भी कहते हैं
- घर पर फोन छूट जाने पर परेशान हो जाना, फोन की चार्जिंग कम हो जाने पर परेशान होना
जब किसी फोन के आदी इंसान से फोन छुड़वाया जाता है, उस इंसान में निम्न तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं
- अनिद्रा
- बहुत गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन
- किसी चीज पर ध्यान केंद्रित न कर पाना
- बार बार अपने फोन की याद आना
कैसे फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से खुद को कंट्रोल कर सकते हैं
- अपनी आदतों पर ध्यान दें
- आप कब फोन का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं और ऐसे में फोन न मिलने पर कैसा महसूस करते हैं
- लोगों के साथ बैठकर बात करने और ऑनलाइन बात करने का अंतर समझने की कोशिश करें
- अपने गुस्से पर काबू पाने का तरीका ढूंढे, अपना गुस्सा इंटरनेट पर ट्वीट या व्हाट्सएप कर दूसरों पर न बरसाएं
- अपनी उन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करें जो आपको अकेलेपन में धकेलती हैं
- जो लोग आपको आपकी मुसीबत के समय हौंसला देते हैं उनके साथ वक्त बिताएं और अपनी परेशानी साझा करें
(और पढ़ें - क्या मोबाइल फोन से हो सकता है कैंसर?)
कैसे धीरे-धीरे इस लत को छुड़ाया जा सकता है
- दिन के कुछ खास समय पर अपने फोन को बंद रखें
- सोने के समय अपने बिस्तर पर फोन या लैपटॉप न रखें
- अपने फोन इस्तेमाल करने की आदत को अच्छी आदतों जैसे किताबें पढ़ना, खेलना और लिखना से बदलें
- खाना खाते वक्त या परिवार के साथ बैठकर जो फोन इस्तेमाल करेगा उसका फोन छीन लिया जाएगा, इस तरह की गेम्स खेलें
- सभी सोशल मीडिया एप्स को अपने फोन से हटा दें
- अगर आप हर पांच मिनट पर फोन चेक करते हैं तो कोशिश कीजिए कि इस समय सीमा को बढ़ाएं
- फोमो को दूर करें
स्मार्टफोन एडिक्शन का ट्रीटमेंट
- कॉग्नेटिव बिहेवियरियल थेरेपी - लोगों को अपनी परेशानियों का हल इंटरनेट पर नहीं ढूंढना चाहिए।
- शादी और रिलेशनशिप संबंधी सलाहें - अगर आप ऑनलाइन ज्यादा रहते हैं और अपनी पर्सनल लाइफ को इग्नोर कर रहे हैं तो आपको काउंसलिंग की जरूरत है।
- किसी सपोर्ट ग्रुप में जाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
(और पढ़ें - दिनभर मोबाइल से चिपके रहते हैं तो हो सकता है इन बीमारियों का खतरा)