मछली उन सबसे हेल्दी खाद्य पदार्थों में से एक है जिनका सेवन आप और हम कर सकते हैं। मछली कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। ऐसे में एक ओर जहां भारत में ज्यादातर लोगों में विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी है, ऐसे में मछली का सेवन आपको इन पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा मछली में गुड फैट और उच्च जैविक मूल्य वाला प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिस कारण मछली हृदय से जुड़ी सेहत, इम्यून सिस्टम, प्रजनन प्रणाली, मस्तिष्क के विकास और एनीमिया की समस्या दूर करने में भी मददगार हो सकती है।

(उच्च जैविक मूल्य वाले प्रोटीन वे प्रोटीन होते हैं जो शरीर द्वारा अच्छी तरह से अवशोषित हो जाते हैं और जिनका शरीर द्वारा आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है)

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भारत दो समुद्रों और एक महासागर से घिरा हुआ है। साथ ही यह ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिंधु और यमुना से लेकर दक्षिण भारत में कृष्णा, गोदावरी और कावेरी जैसी महान नदियों से लेकर कई झीलों की भी भूमि है। इस वजह से भारत में पूरे साल भर नदी और समुद्र में मिलने वाली मछलियां बहुतायत में उपलब्ध होती हैं। 

लेकिन आपके और आपके परिवार की सेहत के लिहाज से कौन सी मछली सबसे अच्छी है, इसका चुनाव आप कैसे कर सकते हैं? यहां पोषक तत्वों से भरपूर मछलियों की सूची दी गई है, जो भारत में आसानी से उपलब्ध हैं- आप अपने बजट, स्वाद और सेहत से जुड़ी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इनमें से किसी भी मछली का चुनाव कर सकते हैं: 

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  1. रोहू मछली खाने के फायदे
  2. कतला मछली खाने के फायदे
  3. रावस मछली खाने के फायदे
  4. बांगड़ा (मैकरेल) मछली खाने के फायदे
  5. रानी मछली (पिंक पर्च) को खाने के फायदे
  6. सुरमई मछली खाने के फायदे
  7. पॉम्फ्रेट मछली खाने के फायदे
  8. हिल्सा मछली खाने के फायदे
  9. पेडवे मछली खाने के फायदे
  10. सिंघाड़ा मछली खाने के फायदे
कौन सी मछली खानी चाहिए? के डॉक्टर

रोहू मछली, जिसे लेबियो रोहिता, रोहो लेबियो और रुई नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में पायी जाती है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है और यह ओमेगा 3 फैटी एसिड के साथ-साथ विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी से भरपूर होती है। रोहू भारतीयों के लिए मछली के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है, क्योंकि यह सस्ती दरों पर आसानी से उपलब्ध है। रोहू प्रजाति की मछली में पारा यानी मर्क्युरी का लेवल भी मध्यम होता है इसलिए इसे खाना सुरक्षित माना जाता है।

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कतला को भारतीय कार्प या बंगाल कार्प के नाम से भी जाना जाता है। कार्प का अर्थ है तालाब की बड़ी मछली। कतला मीठे पानी की मछली है। यह मुख्य रूप से असम और उत्तर भारत की झीलों और नदियों में पायी जाती है। पूर्ण रूप से विकसित एक कतला मछली का वजन दो किलोग्राम तक हो सकता है।

कतला व्यापक रूप से खायी जाने वाली तैलीय मछली है। यह प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है। साथ ही इसमें सल्फर और जिंक की भी अच्छी खासी मात्रा पायी जाती है। ये सभी खनिज त्वचा की सेहत बनाए रखने और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने में मददगार साबित होते हैं। तैलीय होने के बावजूद, कतला मछली में वास्तव में कैलोरी कम होती है और इसलिए यह वजन घटाने और सही वजन को बनाए रखने का एक स्वस्थ विकल्प हो सकती है।

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रावस मछली को भारतीय सैल्मन मछली के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत के पश्चिमी तट के आसपास के हिस्से में पायी जाती है। मछली का गुलाबी-नारंगी रंग का मांस अपने हल्के स्वाद के लिए मशहूर है। रावस सबसे महंगी और पोषक तत्वों से भरपूर भारतीय मछली है, जो अपने बेहतरीन स्वाद और नरम मांस के लिए जानी जाती है। इस मछली में आवश्यक एमिनो एसिड (प्रोटीन) की अच्छी मात्रा होती है जो मांसपेशियों को बनाने और बनाए रखने में मदद करता है। कतला की ही तरह रावस भी एक तैलीय मछली है जो ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है।

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बांगड़ा को भारतीय मैकेरल के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिण भारत और मध्य भारत में सबसे लोकप्रिय है। यह ओमेगा 3, विटामिन डी और सेलेनियम जैसे पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है, जो आपके हृदय की सेहत, मस्तिष्क स्वास्थ्य, रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर में सुधार), प्रजनन स्वास्थ्य और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने के लिए बहुत अच्छा है। यह आपके शरीर में ऑक्सिडेटिव तनाव को कम करने में भी मदद करता है, जिससे इन्फ्लेमेशन (सूजन और जलन) को कम करके इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है।

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रानी मछली को पिंक पर्च के नाम से भी जाना जाता है। पर्च का अर्थ है मीठे पानी की मछली और इसका रंग गुलाबी होता है इसलिए पिंक पर्च। इसमें प्रोटीन उच्च मात्रा में और पारा या मर्क्युरी बेहद कम मात्रा में होता है। यह मछली उन एथलीटों के लिए एक बढ़िया विकल्प है जो घने प्रोटीन स्रोत की तलाश में हैं। यह बिना चर्बी वाली मछली है, जो वजन घटाने और मांसपेशियों को बढ़ावा देने के लिए बेहतरीन मानी जाती है। भारत के ज्यादातर हिस्सों में रानी मछली बहुत ही उचित मूल्य पर मिल जाती है इसलिए इसे खाने के इच्छुक लोग इसे आसानी से खरीद सकते हैं।

(और पढ़ें- प्रोटीन की कमी के कारण, लक्षण, इलाज)

सुरमई मछली को किंग मैकरेल के नाम से भी जाना जाता है। सुरमई में प्रोटीन, ओमेगा 3 और विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन बी 6 और विटामिन बी 12 भरपूर मात्रा में होता है जो सेहत से जुड़ी निम्नलिखित समस्याओं में फायदेमंद हो सकता है:

इतने सारे फायदों के बावजूद सुरमई मछली में पारे का स्तर अधिक होता है, इसलिए सप्ताह में सिर्फ एक बार ही सीमित मात्रा में इसका सेवन करें और यह भी सुनिश्चित करें कि जिस सप्ताह आप सुरमई मछली खा रहे हों उस सप्ताह आप कोई दूसरी मछली न खाएं।

पॉम्फ्रेट को भारतीय बटर फिश भी कहा जाता है। यह भारत में सबसे ज्यादा पसंद से खायी जाने वाली मछली है। पॉम्फ्रेट एक गैर-तैलीय मछली है और इसका मांस सफेद रंग का होता है जो अत्यधिक स्वादिष्ट होता है। यह मछली प्रोटीन से भरपूर होती है और इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन ए, विटामिन बी 1 और विटामिन डी की अच्छी मात्रा पायी जाती है।

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हिल्सा या हेरिंग एक बहुत ही लोकप्रिय बंगाली मछली है और बांग्लादेश की तो यह राष्ट्रीय मछली है। यह मुख्य रूप से ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पायी जाती है। यह भारत में पायी जाने वाली महंगी मछलियों में से एक है। हालांकि इसका मांस बहुत से नरम होता है और स्वादिष्ट भी। यह एक तैलीय मछली है और ओमेगा 3 में बहुत समृद्ध है जो हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद है।

पेडवे को भारतीय तेल सार्डिन और माथी के नाम से भी जाना जाता है। पेडवे डीएचए (डोकोसाहएक्सैनीक एसिड) से भरपूर होती है जो स्वस्थ वयस्कों में याददाश्त को बढ़ाता है और बच्चों में मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत है जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनट सिस्टम को बढ़ावा देता है, इन्फ्लेमेशन को रोकता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है।

सिंघाड़ा मछली को कैटफिश के नाम से भी जाना जाता है। यह कम कैलोरी वाली और उच्च-प्रोटीन वाली मछली है जो विटामिन बी 12, सेलेनियम, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों का एक बेहतरीन स्त्रोत है। वजन घटाने के दौरान यह मछली एक अच्छा प्रोटीन विकल्प हो सकती है। इन पोषक तत्वों से भरपूर सिंघाड़ा मछली मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है, हृदय रोग के साथ ही एनीमिया से भी बचाती है। हालांकि, यह मछली गर्भवती महिलाओं को नहीं खानी चाहिए क्योंकि इसमें पारा या मर्क्युरी की उच्च मात्रा पायी जाती है जो गर्भ में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकती है।

Dr. Dhanamjaya D

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पोषणविद्‍
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